बांदा के Sanskrit School में भष्टाचार?"बंद स्कूल, चालू पेंशन!"
Sanskrit School-बांदा के पुंगरी गांव में दशकों से बंद पड़ा संस्कृत विद्यालय बन गया है भ्रष्टाचार का क्लासरूम। न छात्र, न पढ़ाई, फिर भी शिक्षकों को मिल रहा सरकारी वेतन और पेंशन! Sanskrit School के नाम पर धर्म, संस्कृति और शिक्षा — तीनों को बंधक बना लिया गया है। विधायक मौन हैं, शिक्षा विभाग सो रहा है, और सनातन अब सिर्फ वेतन का साधन बन चुका है।
संवाददाता-दीपक पांडेय
Sanskrit School Scam: 30 साल से बंद स्कूल, लेकिन पेंशन चालू है महाराज!
Sanskrit School–बांदा। 20 जून 2025। सनातन धर्म की पाठशालाएं, जो कभी वैदिक ज्ञान की धरोहर थीं, आज भ्रष्टाचार की बलि चढ़ रही हैं। ये अब किसी अख़बार की फुसफुसाती हेडलाइन नहीं, बल्कि बांदा के पुंगरी गांव में खुले श्री महावीर संस्कृत विद्यालय की दीवारों पर चिपका हुआ सच बन चुका है। स्कूल पिछले 30 सालों से बंद है, न बच्चे हैं, न पाठशाला की घंटी, लेकिन सरकारी तनख्वाह अब भी वही — पूरी श्रद्धा और नियम से। शिक्षक तो ऐसे जैसे मोक्ष की बाट जोह रहे हो, न ड्यूटी न क्लास, लेकिन बैंक खाते में हर महीने वेतन की आरती उतार दी जाती है।
Sanskrit Education: जहां आचार्य रिटायर हुए लेकिन कभी पढ़ाया ही नहीं
Sanskrit Education की आड़ में हुए इस घोटाले में व्याकरणाचार्य, साहित्याचार्य और प्रधानाचार्य जैसे पदों से कर्महीन संत बनकर निकले ऐसे शिक्षक, जिनका क्लासरूम तो कभी खुला ही नहीं। 1981 में नियुक्त होकर 2015-18 तक रिटायर हुए ये आचार्य सिर्फ नियुक्ति और सेवानिवृत्ति के बीच पेंशन की महागाथा लिखते रहे। न छात्रों का नामांकन, न सम्बद्धीकरण, और न किसी को शर्म!
Political Accountability: विधायक जी का मौन व्रत और मीडिया की प्रतीक्षा
Political Accountability की भी एक दयनीय तस्वीर सामने आई, विधायक जी को जैसे कोई जानकारी ही नहीं। जनता ने जब भ्रष्टाचार के इस गड्ढे में टॉर्च मारी, तब जाकर विधायकजी की नींद खुली — और उन्होंने वही कहा जो हर चुनावी पोस्टर में छपा रहता है: “सुध लेंगे।” मतलब कुछ भी मत पूछिए, बस भरोसा करिए।
विधायक का वादा: “सुध लेंगी”, मतलब चाय में डालने वाली?
अब समझ नहीं आता कि विधायकजी की ‘सुध’ किस कैटेगरी में आती है — सुध-बूझ की? सुध-बुध की? या बस सुध लेने का वादा, जैसा कि चुनावी पोस्टरों में होता है: “आपका सेवक हूँ, विकास करूंगी, शपथ लेती हूँ, सौगंध खाती हूँ।” लेकिन ज़मीनी हकीकत ये है कि विधायकजी ने इस संस्कृत विद्यालय की हालत तब देखी जब हनुमान जी के भक्तों ने खुद ही हल चलाया। जब तक जनता ने चप्पल घिस-घिसकर दरवाजा नहीं खटखटाया, तब तक विधायकजी अपने ‘धर्मरक्षक’ दल के साथ किसी गोपनीय ध्यान-योग में लीन थीं।
ये वही विधायक हैं जिनकी पार्टी “सनातन की रक्षा हमारी ज़िम्मेदारी” जैसे नारे लगाते नहीं थकती। लेकिन जब सनातन की जड़ें शिक्षण संस्थानों में सड़ रही हों, तब इनका GPS सिस्टम खराब हो जाता है। संस्कृत विद्यालय अब सिर्फ भ्रष्टाचार नहीं, आस्था के अपमान की गाथा बन चुका है — और विधायकजी उसमें महाभारत के गांधारी की भूमिका निभा रही हैं।
Sanskrit School –वादों का ढोल, काम का सन्नाटा
2022 के विधानसभा चुनाव में ओममणि वर्मा ने नरैनी की जनता को बड़े-बड़े सपने दिखाए। उन्होंने सनातन संस्कृति को बढ़ावा देने, शिक्षा का स्तर सुधारने, और क्षेत्र को “मॉडल विधानसभा” बनाने की बात कही थी। लेकिन तीन साल बाद, नरैनी की जनता इन वादों की हकीकत देख चुकी है। श्री महावीर संस्कृत विद्यालय, जिसका नाम भगवान हनुमान के नाम पर रखा गया, आज खंडहर में तब्दील है। ग्रामीणों का कहना है कि विधायक जी ने इस पाठशाला की सुध लेने की बजाय सिर्फ लखनऊ की सैर की और वादों की घुट्टी पिलाई।

चुनावी वादे: ओममणि वर्मा ने 2022 में नरैनी को विकास और सनातन संस्कृति का केंद्र बनाने का दावा किया था। खास तौर पर संस्कृत विद्यालयों को पुनर्जनन देने की बात कही थी।
हकीकत: श्री महावीर संस्कृत विद्यालय 30 साल से बंद है। कागजों में यह चल रहा है, शिक्षक वेतन ले रहे हैं, लेकिन पढ़ाई का कोई अता-पता नहीं। ग्रामीणों का कहना है कि विधायक ने इस मुद्दे पर एक बैठक तक नहीं बुलाई।
शायद विधायक जी ने भी संस्कृत की दुर्दशा को “भाग्य” मान लिया है। और शिक्षा विभाग? वो तो मानो श्रीराम की तरह वनवास पर गया हो — तीस वर्षों से कोई सुध लेने नहीं आया।
Hindu School Fraud: जो संस्कृत नहीं पढ़ा सके, वो अब सनातन बेच रहे हैं
Hindu School Fraud अब सिर्फ सरकारी घोटाला नहीं, ये सनातन धर्म के नाम पर हुए पाखंड की जीवित मूर्ति है। रामलीला मैदान से लेकर पुंगरी तक हर संस्कृत विद्यालय या तो बंद पड़ा है या कभी-कभार खुलता है — छात्र शून्य, शिक्षण शून्य, लेकिन वेतन पूरा। जब धर्म की शिक्षा सरकारी फॉर्म और जाली उपस्थिति में बदल जाए, तो फिर वैदिक मंत्र नहीं, रिश्वत के श्लोक गूंजते हैं।
Sanskrit School–कांग्रेस का तीखा हमला, BJP पर सवाल

यह स्कूल नहीं, घोटाले की पाठशाला है
Sanatan School Scam में पुंगरी विद्यालय जैसे दर्जनों संस्थान सिर्फ कागज़ों पर ज़िंदा हैं, लेकिन हर महीने सरकारी धन सांसें ले रहे हैं। यह भ्रष्टाचार अब सिर्फ सिस्टम का अपराध नहीं, यह भारतीय संस्कृति के नाम पर किया गया सुनियोजित धोखा है। जिसका जवाब जनता आने वाले वक्त में जरूर देगी।
