Sanchar Saathi App पर सरकार Vs विपक्ष !
संचार साथी ऐप (Sanchar Saathi App) पिछले कुछ दिनों से देशभर में चर्चा का विषय बना हुआ है। ये ऐप दूरसंचार विभाग (DoT) द्वारा नागरिकों को मोबाइल सुरक्षा और फर्जी सिम की पहचान जैसी सुविधाएं देने के उद्देश्य से बनाया गया है। लेकिन जैसे ही सरकार ने मोबाइल निर्माताओं को इसे सभी नए फोन में प्री-इंस्टॉल करने का निर्देश दिया, विपक्ष ने इसे सीधा-सीधा निगरानी का उपकरण करार दिया।
Sanchar Saathi App पर विवाद कैसे शुरू हुआ?
DoT ने सभी फोन निर्माता कंपनियों को एक नोटिफिकेशन जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि—
- प्रत्येक नया फोन, संचार साथी ऐप के साथ प्री-इंस्टॉल होकर ही बेचा जाए
- पुराने फोन उपयोगकर्ताओं को OTA अपडेट के ज़रिए ये ऐप उपलब्ध कराया जाए
ये निर्देश आते ही सोशल मीडिया और विपक्ष में हंगामा शुरू हो गया। लोगों का कहना था कि क्या ये ऐप प्राइवेसी के लिए खतरा है?
विपक्ष का आरोप—”पेगासस प्लस-प्लस”
कांग्रेस ने केंद्र सरकार के फैसले की आलोचना की है, कांग्रेस DOT के निर्देशों के निर्देशों को असंवैधानिक बताया है, कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने X पर एक पोस्ट में लिखा, “मोबाइल में पहले से इंस्टॉल सरकारी ऐप जिसे हटाया नहीं जा सकता, दरअसल हर भारतीय नागरिक की निगरानी का टूल है, ये हर नागरिक की गतिविधियों और फ़ैसले पर नज़र रखेगा.”
केसी वेणुगोपाल ने कहा कि निजता का अधिकार संविधान में दिया गया मूलभूत अधिकार है और ये दिशा निर्देश इसकी अवहेलना करते हैं.
कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम ने आरोप लगाया कि संचार साथी लोगों की जासूसी के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
उन्होंने इसे “पेगासस प्लस प्लस” बताया और कहा कि—
“बिग ब्रदर हमारे मोबाइल फोन और निजी जीवन पर कब्जा करेगा।”
सोशल मीडिया पर भी कई यूज़र्स यही सवाल पूछते दिखे कि ऐप इतनी Permissions क्यों मांगता है।

Sanchar Saathi App कौन-कौन सी परमिशन मांगता है?
रजिस्ट्रेशन के दौरान ऐप मांगता है:
- फोन की जानकारी
- SMS एक्सेस
- कॉल लॉग
- स्टोरेज
- कैमरा (IMEI स्कैन के लिए)
यहीं पर लोगों का शक और गहरा हुआ, क्या इतनी परमिशन जरूरत से ज्यादा है ?
सरकार की सफाई—“ऐप पूरी तरह विकल्प आधारित”
विवाद बढ़ने पर केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने स्पष्ट किया—
- ऐप मैंडेटरी नहीं, पूरी तरह ऑप्शनल है
- जिसे नहीं चाहिए, वो इसेहटा सकता है
- ऐप न तो जासूसी कर सकता है और ना कॉल मॉनिटरिंग
- इसका मकसद सिर्फ मोबाइल सुरक्षा बढ़ाना है
सरकार ने ये भी बताया कि ऐप की मदद से—
- 96 लाख फर्जी मोबाइल कनेक्शन डिस्कनेक्ट किए गए
- Not My Number फीचर से 43 करोड़ से ज़्यादा फर्जी नंबर बंद किए गए
क्या वाकई चिंता की वजह है?
साइबर विशेषज्ञों का मानना है कि—
- कई ऐप्स ऐसी परमिशन मांगते हैं
- परमिशन देना हमेशा दोधारी तलवार
- जोखिम तभी बनता है जब डेटा Misuse हो
सरकार के अनुसार ऐप कोई डेटा Misuse नहीं करता और इसका उपयोग पूरी तरह नागरिक की मर्जी पर निर्भर है।
ऐपल का इनकार
रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक—
- ऐपल संचार साथी को प्री-इंस्टॉल करने के सरकारी निर्देश से सहमत नहीं
- कंपनी सरकार से इस पर पुनः चर्चा करना चाहती है
- ऐपल प्राइवेसी पॉलिसी के कारण इसे लागू करने सेमना कर सकती है
हालांकि, ऐपल ने आधिकारिक बयान फिलहाल जारी नहीं किया है।
संचार साथी ऐप का उद्देश्य नागरिकों को फर्जी सिम और मोबाइल फ्रॉड से बचाना बताया जा रहा है, लेकिन इसके प्री-इंस्टॉल होने के निर्देश ने प्राइवेसी को लेकर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं। सरकार इसे सुरक्षित और ऑप्शनल बता रही है, जबकि विपक्ष इसे संभावित जासूसी टूल मान रहा है। ऐपल के इनकार ने विवाद को और बढ़ा दिया है। आने वाले दिनों में सरकार और मोबाइल कंपनियों की आगे की बातचीत से तस्वीर और साफ हो सकती है।
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