Sampurna Samadhan Diwas-समाधान दिवस में अब नहीं चलेगी खानापूर्ति, डीएम ने बदली कार्यशैली
Sampurna Samadhan Diwas अब सिर्फ़ कागज़ी खानापूरी नहीं रहेगा। जिलाधिकारी (डीएम) ज्ञानेंद्र सिंह ने जनता की शिकायतों के निपटारे को लेकर ऐसी हुंकार भरी है, जिसने अफसरों की नींद उड़ा दी है। उन्होंने दूसरे और चौथे शनिवार को आयोजित होने वाले समाधान दिवस में कम से कम 10 शिकायतों का मौके पर निपटारा जरूरी कर दिया है। यह नया फरमान पीलीभीत की जनता के लिए राहत की साँस है, जो सालों से शिकायतों के लिए तारीख पर तारीख और अफसरों की लापरवाही का शिकार थी।
पीलीभीत से रिपोर्ट। संवाददाता-सकुश मिश्रा
Public Grievance Redressal: Pilibhit में डीएम का बड़ा एक्शन
पीलीभीत में अब समाधान दिवस का मतलब महज़ ‘तारीख पर तारीख़’ नहीं रहेगा। डीएम ज्ञानेंद्र सिंह ने स्पष्ट कर दिया है कि अब Sampurna Samadhan Diwasसिर्फ फाइलों का बोझ नहीं बढ़ाएगा, बल्कि हर समाधान दिवस पर कम से कम 10 शिकायतों का मौके पर निस्तारण जरूरी होगा। डीएम ने अधिकारियों को सख्त हिदायत दी है कि खानापूर्ति का दौर अब खत्म हो चुका है।
समाधान दिवस, जो आम जनता की उम्मीद का एक मंच होता है, अब वाकई में उनके लिए राहत देने वाला बन सके, इसके लिए डीएम ने पुलिस अधीक्षक अभिषेक यादव के साथ मिलकर संयुक्त रणनीति तैयार की है। यह कदम जनता और प्रशासन के बीच की दूरी पाटने वाला साबित हो सकता है।
Pilibhit Sampurna Samadhan Diwas: आंकड़ों में देखें क्या बदलेगा
Sampurna Samadhan Diwas की शुरुआत उत्तर प्रदेश सरकार ने 2017 में की थी, जिससे जनता की समस्याओं का तत्काल निपटारा हो। लेकिन हकीकत इससे कोसों दूर थी। 2023 के सरकारी आँकड़ों के मुताबिक, पीलीभीत में हर महीने औसतन 50-60 शिकायतें समाधान दिवस में दर्ज होती थीं, जिनमें से केवल 20-25% का ही मौके पर निवारण होता था। बाकी शिकायतें या तो महीनों लटकती थीं या फाइलों में दफन हो जाती थीं। स्थानीय लोग कहते हैं कि, “पहले समाधान दिवस में अफसर आते थे, चाय पीते थे, और तारीख देकर चले जाते थे।” 2024 में, CPGRAMS पोर्टल पर पीलीभीत से 1,200 शिकायतें दर्ज हुईं, जिनमें से 40% का समाधान 60 दिनों के अंदर नहीं हुआ। जमीन विवाद, पुलिस निष्क्रियता, और बुनियादी सुविधाओं की शिकायतें सबसे ज्यादा थीं। डीएम की नई व्यवस्था इन आँकड़ों को पलटने का दावा करती है।
Sampurna Samadhan Diwas: पहले क्या, अब क्या?
पहले Pilibhit Sampurna Samadhan Diwas में शिकायतकर्ताओं को बार-बार चक्कर काटने पड़ते थे। 2022 के एक सर्वे में, 65% लोगों ने कहा कि उनकी शिकायतों का समाधान या तो अधूरा था या हुआ ही नहीं।2024 में, समाधान दिवस में 700 शिकायतें दर्ज हुईं, जिनमें से केवल 150 (21%) का मौके पर निवारण हुआ। बाकी शिकायतें पुलिस-राजस्व के पेंडुलम में लटकी रहीं। डीएम ज्ञानेंद्र सिंह की नई व्यवस्था में अब मुख्यालय पर दर्ज शिकायतें सीधे थाना समाधान दिवस में भेजी जाएँगी, और संयुक्त टीमें मौके पर जाकर समाधान करेंगी। यह कदम न सिर्फ़ समय बचाएगा, बल्कि जवाबदेही भी सुनिश्चित करेगा।
Sampurna Samadhan Diwas: जनता को कितना फायदा?
डीएम की इस पहल ने जनता में उम्मीद की किरण जगाई है। 9 जून, 2025 को तहसील सदर में हुए समाधान दिवस में 57 शिकायतें आईं, जिनमें से 5 का मौके पर निस्तारण हुआ। डीएम ने साफ कहा, “अफसरों, अपनी कार्यशैली बदलो, फरियादी भटकते न दिखें।” उनकी यह सख्ती नई नहीं है। 2024 में, डीएम ने खरुआ-कनकोर सड़क की खराब गुणवत्ता की शिकायत पर 24 घंटे में जाँच के आदेश दिए थे। नई व्यवस्था के तहत, अब हर समाधान दिवस में कम से कम 10 शिकायतों का निपटारा जरूरी है, जो पहले की तुलना में 50% ज्यादा है। यह कदम जमीन विवाद, पुलिस निष्क्रियता, और सड़क-पानी जैसी समस्याओं को हल करने में कारगर हो सकता है।
नए सिस्टम की खास बातें: Public Grievance Redressal Pilibhit में सुधार
हर शनिवार (दूसरे और चौथे) को कम से कम 10 शिकायतों का मौके पर समाधान जरूरी।
पुलिस और राजस्व विभाग के अफसर मिलकर मौके पर जाएंगे।
मुख्यालय की शिकायतें भी अब थानों को भेजी जाएंगी।
समाधान की रिपोर्ट डिजिटल पोर्टल पर अपलोड करनी होगी।
गुणवत्ता की मॉनिटरिंग के लिए प्रत्येक सप्ताह रिव्यू मीटिंग।
यह नई व्यवस्था जिले के सभी थानों और तहसीलों में लागू होगी, जिससे समाधान दिवस अब केवल नाम भर का कार्यक्रम नहीं बल्कि फील्ड एक्शन बन जाएगा।
जनता के लिए साबित होगा ब्रह्मास्त्र?
अब जनता को न सिर्फ़ समस्या का समाधान समय पर मिलेगा, बल्कि बार-बार तहसील और थानों के चक्कर लगाने की ज़रूरत भी नहीं पड़ेगी। दिव्यांग, वृद्ध और ग्रामीण क्षेत्र के लोग जिनकी शिकायतें पहले अनसुनी रह जाती थीं, अब उन्हें प्राथमिकता के आधार पर समाधान मिलेगा।
लेकिन क्या यह व्यवस्था सचमुच क्रांतिकारी है? पहले के डीएम, जैसे अखिलेश कुमार मिश्रा, भी बड़े-बड़े दावे करते थे, लेकिन सड़कों की बदहाली और शिकायतों का अंबार वही रहा। वरुण गांधी और जितिन प्रसाद जैसे सांसदों ने भी समाधान दिवस को ‘जनता का मंच’ बताया, लेकिन जमीनी हकीकत में बदलाव न के बराबर। डीएम ज्ञानेंद्र सिंह की यह पहल तारीफ के काबिल है, क्योंकि यह न सिर्फ़ शिकायतों के निस्तारण को गति देगी, बल्कि अफसरों को जवाबदेह बनाएगी।
Pilibhit Sampurna Samadhan Diwas में डीएम ज्ञानेंद्र सिंह का नया फरमान पीलीभीत की जनता के लिए राहत की उम्मीद है। 10 शिकायतों का मौके पर निपटारा जरूरी करने का आदेश अफसरों की खानापूरी पर चोट करता है। लेकिन सवाल वही—क्या यह व्यवस्था कागज़ों से निकलकर जमीनी हकीकत बनेगी? जनता अब तारीखों नहीं, समाधान चाहती है। डीएम साहब, की हुंकार ने उम्मीद जगाई है, अब इसे अमल में लाकर दिखाना होगा।