Sambhal Postmortem Scam– संभल में मंजू ऑनर किलिंग केस की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में रिश्वतखोरी का मामला गरमा गया है। पुलिस की जांच में 32 डॉक्टरों की संदिग्ध भूमिका सामने आने के बावजूद CMO डॉ. तरुण पाठक ने डॉक्टरों को जांच से पहले ही क्लीनचिट दे दी है। DM ने पूरे मामले की स्वतंत्र जांच के आदेश दिए हैं।
रिपोर्ट: रामपाल सिंह
तारीख: 27.06.2025 | लोकेशन: संभल
✍️ Written by: Khabrilal.Digital Desk
संभल में पोस्टमार्टम रिपोर्ट रिश्वतकांड पर जिलाधिकारी ने जहां जांच बैठा दी, वहीं मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) डॉ. तरुण पाठक ने डॉक्टरों की कमीज़ें पहले ही धोकर प्रेस कर दीं — बोले “डॉक्टर तो साफ हैं, गलती फार्मासिस्ट और कंप्यूटर ऑपरेटर की है!” अब समझिए, शवगृह में लाश कम और ‘लाभ’ ज्यादा तौले जा रहे हैं।
⚡ ऑनर किलिंग में ऑनर बेच दिया गया, रिपोर्ट पचास हज़ार में बिक गई!
रजपुरा थाना क्षेत्र की मंजू ऑनर किलिंग में आरोपियों को बचाने के लिए पोस्टमार्टम रिपोर्ट बदलने के एवज में 50,000 रुपये की रिश्वत दी गई — ये खुलासा खुद एसपी कृष्ण कुमार विश्नोई ने किया। पुलिस ने मोबाइल चैट, पेमेंट स्क्रीशॉट और डॉक्टरी लिंक तक निकाल डाली। जांच में 32 डॉक्टरों की भूमिका संदिग्ध मिली, लेकिन CMO साहब ने सफाई ऐसे दी जैसे ये कोई हाथ धोने का मामला हो।
DM बोले — जांच होगी! CMO बोले — सब क्लीन! Sambhal Postmortem Scam
तो अब प्रशासन की जांच चलेगी CMO की प्रेस रिलीज के खिलाफ?
DM डॉ. राजेंद्र पैंसिया ने पूरे सिस्टम को शक के घेरे में मानते हुए जांच कमेटी बना दी, लेकिन CMO साहब डॉक्टरों को क्लीनचिट देकर कमेटी पर ही सवाल छोड़ गए। उन्होंने बताया — जिले में 29 डॉक्टर हैं, जिनमें 27 पोस्टमार्टम करते हैं, लेकिन दोष सिर्फ फार्मासिस्ट मधुर आर्य और कंप्यूटर ऑपरेटर का है! सवाल ये है — क्या मौत की रिपोर्ट कंप्यूटर वाला बनाता है?
ठोस सबूतों का क्या हुआ? Sambhal Postmortem Scam
संभल का पोस्टमार्टम हाउस अब लाशों का नहीं, सिस्टम की नैतिकता का मुर्दाघर बन चुका है। पुलिस के पास ठोस डिजिटल सबूत हैं, मगर CMO के पास ‘डॉक्टरों की ईमानदारी’ का मौखिक सर्टिफिकेट। अब या तो CMO को जांच से पहले ही सब पता चल गया था, या फिर वो जांच से पहले ‘धो-पोंछ’ अभियान में लगे थे।
आख़िरी सवाल: क्या CMO जांच से ऊपर हैं, या जांच उनके नीचे?
अब सवाल उठता है — जब DM ने जांच के आदेश दिए, पुलिस ने डिजिटल सबूत दिए, और जनता को शक की सुई दिख रही है, तो CMO ने क्लीनचिट का थान क्यों खोल दिया? क्या ये जांच का अपमान है या जनता की आंख में धूल? अगर CMO खुद जांच से पहले फैसला सुनाने लगे, तो फिर अदालतें बंद कर दीजिए, पोस्टमार्टम रूम को ही हाईकोर्ट घोषित कर दीजिए! क्योंकि यहां मौत की वजह नहीं लिखी जाती, यहां लिखा जाता है — “कितना मिला?”