 
                  संभल में Paneer Quality पर चला खाद्य सुरक्षा विभाग का डंडा – गवां से 119 किलो पनीर नष्ट, बिना लाइसेंस कारोबार पर बड़ा एक्शन और दो डेरी यूनिटों से सैंपलिंग। अब नकली पनीर बेचने वालों की खैर नहीं। खाने का स्वाद असली चाहिए तो क्वालिटी भी असली होनी चाहिए – यही सबक है इस छापेमारी से!
गाड़ी में छुपा Paneer Quality का खेल!
संभल जनपद के गवां कस्बे में जब खाद्य सुरक्षा विभाग की टीम पहुँची तो उन्हें उम्मीद नहीं थी कि एक साधारण से मकान के आँगन में खड़ी गाड़ी से Paneer Quality का इतना बड़ा पिटारा निकलेगा। टीम ने गाड़ी खोली तो अंदर 120 किलो पनीर, होटल वालों को बेचने के लिए छुपा रखा था।
बिल गायब, लाइसेंस फरार – Paneer Quality पर उठे सवाल
मौके पर मौजूद पनीर कारोबारी विमल कुमार से जब बिल-पर्ची मांगी गई तो भाई साहब हाथ जोड़कर खड़े हो गए। बोले – ‘पनीर आज ही डिबाई से आया है।’ पर किसी रसीद का अता-पता नहीं! लाइसेंस? वो तो सपने में भी नहीं दिखा। ऐसे में Paneer Quality पर संदेह होना लाजिमी था।

स्वाद ने खोला पोल – Paneer Quality निकली बेढंगी
खाद्य सुरक्षा अफसरों ने पनीर को सूंघा, चखा – नतीजा साफ! पनीर का स्वाद भी ऐसा कि कोई होटल वाला खा ले तो किचन में ताला लग जाए। मौके पर 1 किलो का सैंपल जांच के लिए भेजा गया और बाकी 119 किलो पनीर को तुरंत नष्ट करवा दिया गया। बाजार में बिकता तो हालत खराब ही कर देता।
₹26180/- का नाश – Paneer Quality का असली हिसाब
जिस पनीर को होटल में 220 रुपये किलो बेचा जा रहा था, उसका पूरा स्टॉक करीब ₹26,180/- का था। ये पूरा माल मौके पर मिट्टी में मिल गया। विमल कुमार के पास न बिल मिला, न लाइसेंस, न ही किसी होटल का ऑर्डर! अब जांच के बाद ही पता चलेगा कि पनीर में सच में दूध था या कुछ और!
संभल की डेरी यूनिटों पर भी कसा शिकंजा
केवल गाड़ी ही नहीं, टीम ने संभल तहसील में दो पनीर बनाने वाली यूनिटों – दीपक लक्ष्मी डेरी (ग्राम भदरौला) और बाबूराम डेरी (ग्राम सलखना) पर भी छापा मारा। वहां से भी पनीर के नमूने लिए गए ताकि देखा जा सके कि असली में दूध से बना है या हेरा-फेरी से।
Paneer Quality पर प्रशासन सख्त

आयुक्त खाद्य सुरक्षा और संभल जिलाधिकारी की सख्ती के बाद अब जिले में पनीर बेचने वालों को लाइसेंस और क्वालिटी का हिसाब रखना ही होगा। वरना पनीर नहीं बिकेगा – नष्ट होगा, वो भी अधिकारियों की निगरानी में! Paneer Quality पर अब कोई समझौता नहीं।
Paneer Quality – स्वाद के नाम पर धोखा नहीं!
इस कार्रवाई से एक बात साफ हो गई – संभल में अब नकली पनीर, मिलावटी स्वाद और कागज विहीन कारोबार पर गाज गिरनी तय है। होटल वालों को भी अब सस्ता पनीर खरीदते वक्त दस बार सोचना होगा – कहीं ये भी गवां वाले गाड़ी से न उतर जाए!
सीख – Paneer Quality नहीं तो स्वाद नहीं!
तो संभल वालों, अबसे जब भी पनीर खरीदें – बिल जरूर मांगें, स्वाद जरूर परखें और लाइसेंस वाला ही माल लें। वरना दाल-रोटी में ही खुश रहिए – नकली पनीर से तो अच्छा भिन्डी आलू है!

 
         
         
         
         
         
        