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Sambhal News: संभल में डेमोग्राफी में बड़ा बदलाव और हिंदुओं की घटती आबादी ने बढ़ाई चिंता
Sambhal News Update
Sambhal News: सांप्रदायिक दंगों से जख्मी ऐतिहासिक शहर संभल को लेकर एक बार फिर गंभीर चर्चा छिड़ गई है। हाल ही में आई 450 पन्नों की न्यायिक जांच रिपोर्ट ने संभल में दशकों से चले आ रहे दंगों की पड़ताल करते हुए कई चौंकाने वाले तथ्य उजागर किए हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि कैसे 1948 से लेकर 2024 तक हुए दंगों ने शहर की जनसंख्या संरचना यानी डेमोग्राफी को पूरी तरह बदल दिया और हिंदू समुदाय की संख्या में भारी गिरावट आई।

रिपोर्ट के मुख्य बिंदु
- 24 नवंबर 2024 को हुई हिंसा की जांच के लिए गठित आयोग ने हाल ही में शासन को अपनी रिपोर्ट सौंपी।
- रिपोर्ट के अनुसार, 1948 से अब तक संभल में 15 से अधिक बड़े दंगे हो चुके हैं, जिनमें अधिकतर में हिंदू समुदाय को निशाना बनाया गया।
- सबसे भयावह दंगा 1978 में हुआ, जिसमें 30 दिन तक कर्फ्यू लगा रहा और 200 से अधिक हिंदुओं की हत्या होने का दावा किया गया है। कई को जिंदा जलाने की घटनाएं भी दर्ज हुईं।
- दंगों के बाद हजारों हिंदुओं ने पलायन किया, जिससे मुस्लिम बहुल इलाकों में जनसंख्या असंतुलन और बढ़ गया।
डेमोग्राफिक बदलाव
- रिपोर्ट में कहा गया है कि 1947 में जहां हिंदू आबादी 45% और मुस्लिम 55% थी, आज हिंदू आबादी घटकर 15% और मुस्लिम आबादी बढ़कर 85% के आसपास हो गई है।
- रिपोर्ट यह भी दर्शाती है कि 1978, 1992, और 2019 जैसे वर्षों में बड़े पैमाने पर दंगे भड़के, जिससे हिंदू आबादी के पलायन की प्रक्रिया तेज हो गई।
विभिन्न दृष्टिकोण
- हिंदू समुदाय मानता है कि यह बदलाव दंगों, जबरन धर्मांतरण, और सरकारी उपेक्षा का नतीजा है।
- मुस्लिम समुदाय का मत है कि पलायन का मुख्य कारण रोजगार के अवसरों की कमी और बेहतर जीवन की तलाश है।

चौंकाने वाले खुलासे
- रिपोर्ट में विदेशी हथियारों, आतंकी संगठनों जैसे अल-कायदा और हरकत-उल-मुजाहिदीन की संभावित संलिप्तता की बात भी सामने आई है।
- 1978 के दंगे में 184 हिंदुओं की हत्या का दस्तावेजी उल्लेख है।
- 1993 में तत्कालीन सरकार द्वारा 8 गंभीर मुकदमों को वापस लेने का मामला अब पुनः जांच के घेरे में आ सकता है।
जांच आयोग की सिफारिशें
- आयोग की अध्यक्षता इलाहाबाद हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस देवेंद्र कुमार अरोड़ा ने की।
- रिटायर्ड आईएएस अमित मोहन प्रसाद और पूर्व डीजीपी अरविंद कुमार जैन इसके सदस्य थे।
- रिपोर्ट ने दंगों को सुनियोजित साजिश करार देते हुए भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस रणनीति की सिफारिश की है।
सरकार की अगली रणनीति
सरकार इस रिपोर्ट के आधार पर जिम्मेदार व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई और जनसंख्यात्मक संतुलन बनाए रखने के लिए विशेष योजनाएं बनाने पर विचार कर रही है। साथ ही, स्थायी शांति बहाली, कानून व्यवस्था की मजबूती, और पुनर्वास योजनाओं को भी प्राथमिकता दी जाएगी।
सांप्रदायिक हिंसा है घातक !
संभल की यह जांच रिपोर्ट केवल एक शहर की कहानी नहीं है, बल्कि यह दिखाती है कि सांप्रदायिक हिंसा कैसे सामाजिक ताने-बाने और जनसंख्या संतुलन को बदल सकती है। इस रिपोर्ट को संज्ञान में लेना न केवल शासन की जिम्मेदारी है, बल्कि समाज के सभी वर्गों को शांति और एकता बनाए रखने के लिए भी सजग रहना होगा।

 
         
         
        