Sambhal Mahakup Discovery Historical treasure found in the market of Sambhal
Sambhal Mahakup Discovery वायु और यमदाग्नि महाकूपों की खोज, आध्यात्मिक धरोहर को नया जीवन
उत्तर प्रदेश का संभल – जो तीर्थनगरी के नाम से भी विख्यात है। संभल में धार्मिक और ऐतिहासिक धरोहर को पुनर्जनन देने की दिशा में जिला प्रशासन ने एक और महत्वपूर्ण कदम उठाया है। प्रशासन ने दो और प्राचीन महाकूपों—वायु महाकूप और यमदाग्नि महाकूप—की खोज की है, जो संभल की तीर्थनगरी की पहचान को और मजबूत करते हैं। इनमें से वायु महाकूप – जामा मस्जिद के पीछे, संभल हिंसा वाले क्षेत्र में और यमदाग्नि महाकूप बाजार से सटे फड़ इलाके में स्थित है। संभल के डीएम डॉ. राजेंद्र पैंसिया ने दोनों कूपों का निरीक्षण कर उनके पुनरुद्धार का भरोसा दिया है।
Sambhal Mahakup Discovery महाकूप क्या हैं और क्या है इनकी अहमियत
संभल माहात्म्य के अनुसार – ये महाकूप सोलहवीं-सत्रहवीं शताब्दी के हैं और इनका धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व अत्यधिक है। वायु महाकूप के जल से स्नान करने की मान्यता है कि यह अक्षय लोक की प्राप्ति कराता है और दमा जैसे रोगों से मुक्ति दिलाता है। वहीं यमदाग्नि महाकूप भी शास्त्रों में वर्णित संभल के प्रमुख तीर्थों में से एक है। इन कूपों की खोज और पुनरुद्धार से न केवल संभल की आध्यात्मिक धरोहर को संरक्षित किया जाएगा – बल्कि यह क्षेत्र धार्मिक पर्यटन के नए केंद्र के रूप में भी उभरेगा।
Sambhal Mahakup Discovery तो हो गई, अब पुनरुद्धार होगा कैसे?
सवाल है कि अब दोनों महाकूपों को कैसे विकसित किया जाएगा और पुनरुद्धार की योजना किस तरह से काम करेगी तो इसका जवाब संभल के डीएम डॉ. राजेंद्र पैंसिया देते हैं। वो कहते हैं- “वायु महाकूप के आसपास अवैध रूप से बनी दुकानों को हटाने के लिए तत्काल कार्रवाई की जाएगी। दोनों कूपों के जीर्णोद्धार के लिए वंदन योजना, पतंजलि ट्रस्ट के साथ एमओयू और पर्यटन विभाग के सहयोग से व्यापक योजना तैयार की जा रही है। इन कूपों का सौंदर्यीकरण कर इन्हें लाइट एंड साउंड शो, वर्चुअल रियलिटी, और थीम-बेस्ड म्यूजियम के साथ पर्यटकों के लिए आकर्षक बनाया जाएगा। इससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बल मिलेगा और रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे।”
Sambhal Mahakup Discovery के बाद अब जिले में कितने महाकूप?
डीएम डॉ. राजेंद्र पैंसिया के मुताबिक इन दो कूपों के साथ ही संभल जिले में अब तक 19 महाकूपों में से 18 की खोज हो चुकी है। इसके अलावा हाल ही में 8 और तीर्थों की पहचान की गई है – जिससे संभल के तीर्थों की कुल संख्या 92 तक पहुंच गई है। यह खोज संभल को भारत के प्रमुख आध्यात्मिक और सांस्कृतिक केंद्रों में स्थापित करने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी। संभल जिले में अब तक जो 18 महाकूप खोजे जा चुके हैं- उनमें चतुर्मुख कूप, अशोक कूप, हनषीकेश कूप, मृत्यु कूप, रसोदक कूप, विमल कूप, कृष्ण कूप, विष्णु कूप, धरणीवाहर कूप, और धर्म कूप शामिल हैं। ये कूप संभल के 68 जल तीर्थों और 92 देव तीर्थों का हिस्सा हैं। डीएम ने दावा किया कि शेष बचे तीर्थों और कूपों की खोज जल्द पूरी की जाएगी – जिससे संभल को एक वैश्विक आध्यात्मिक पर्यटन केंद्र के रूप में स्थापित किया जा सके।
Sambhal Mahakup Discovery क्या होते हैं महाकूप?
महाकूप को संस्कृतमें“महाकूप”या“महाकूपम”कहाजाताहै – ये महाकूप दरअसल प्राचीनभारतमेंधार्मिक,आध्यात्मिकऔरसांस्कृतिकमहत्वरखनेवालेपवित्रजलकुंडयाकुएँहोतेहैं।येकूपआमतौरपरतीर्थस्थानों,मंदिरोंयाधार्मिकस्थलोंकेनिकटबनाएजातेथेऔरइन्हेंशास्त्रोंमेंविशेषमहत्वदियागयाहै। महाकूप प्राचीन भारतीय वास्तुकला और जल प्रबंधन की उन्नत तकनीक को दर्शाते हैं। ये कूप सामुदायिक जल स्रोत के रूप में भी काम करते थे – जो स्थानीय लोगों के लिए जलापूर्ति और सामाजिक एकत्रीकरण का केंद्र होते थे। संभल जैसेऐतिहासिकऔरधार्मिकस्थलोंमेंयेमहाकूपविशेषरूपसेपूजनीयहैं।