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Honour Killing:19 साल की मंजू को पहले मार डाला, फिर प्रेमी को फंसाने की रची साजिश, फार्मासिस्ट ने 50 हज़ार में खरीदी ‘मौत की रिपोर्ट’
संवाददाता- रामपाल सिंह
लोकेशन-संभल
इज्जत’ के नाम पर इंसानियत की हत्या!
Honour Killing:संभल की मिट्टी आज फिर शर्मसार है।
औरत इस देश में देवी मानी जाती है — लेकिन जब वही औरत प्यार कर ले, तो उसे जला दिया जाता है, लटका दिया जाता है, मार दिया जाता है!
हैमदपुर गांव में जो हुआ, वो इंसानियत के गाल पर तमाचा है। 19 साल की मंजू ने जब गांव के ही शादीशुदा प्रमोद से दिल लगा लिया, तो उसके घरवालों को लगने लगा कि ये ‘इज्जत’ का मामला है। और बस…
“honour killing” की पटकथा वहीं से लिख दी गई।
Honour Killing की वो रात, जब बेटी के गले में फंदा नहीं… साजिश की रस्सी थी!
उस रात, घर में सिर्फ मंजू नहीं मरी थी…
मर गई थी एक बेटी की मासूम उम्मीद,
मर गया था भरोसा,
और सबसे बड़ी बात — मर गई थी इंसानियत।
मंजू के पिता चंद्रकेश और भाई धर्मेंद्र को डर था कि कहीं बेटी भाग न जाए, कहीं समाज उंगली न उठा दे!
तो उन्होंने बेटी का ही गला घोंट दिया…
और लटका दिया फंदे पर, ताकि लगे आत्महत्या।
लेकिन साहब! ये सिर्फ मर्डर नहीं था…
ये एक प्लांड honour killing था।
50 हजार में ‘मौत’ की रिपोर्ट, Honour Killing बना साजिश का जाल
लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं हुई। हत्या के बाद परिवार ने एक ऐसा खेल रचा जो थाने से लेकर पोस्टमार्टम हाउस तक बिछ गया। बहजोई सीएचसी में तैनात फार्मासिस्ट मधुर आर्य को 50,000 की मोटी रकम देकर कहा गया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में ‘हैंगिंग’ यानी फांसी से मौत लिखवा दी जाए—ताकि हत्या प्रेमी प्रमोद के मत्थे मढ़ दी जाए। साजिश इतनी चालाकी से बुनी गई कि पुलिस भी चकरा गई, लेकिन फिर आई सर्विलांस टीम। मोबाइल कॉल डिटेल और तकनीकी जांच से पूरा खेल बेनकाब हुआ।
पुलिस ने तोड़ा जाल, पांच गिरफ्तार
पुलिस ने जब जांच तेज की, तो सबूत खुद बोलने लगे। कॉल रिकॉर्ड्स, फार्मासिस्ट की ट्रांजैक्शन डीटेल्स और आरोपी के बयानों ने साफ कर दिया कि ये मामला ऑनर किलिंग का है। अब आरोपी पिता चंद्रकेश, भाई धर्मेंद्र, फार्मासिस्ट मधुर आर्य और दो अन्य आरोपियों को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेजा गया है।
समाज से सवाल: किस ‘इज्जत’ के लिए अपनी ही औलाद की बलि?
क्या बेटी का प्यार इज्जत के लिए खतरा था? क्या समाज में ‘क्लीन इमेज’ दिखाने के लिए अपने ही खून को मार देना ठीक है? ये खबर महज़ एक क्राइम स्टोरी नहीं, बल्कि समाज के उस हिस्से का आईना है जहां ‘honour’ के नाम पर kill किया जाता है। अगर ऐसे मामलों में अब भी चुप रहे, तो अगली मंजू आपके पड़ोस में हो सकती है।
अब वक्त है बोलने का!
ऐसी सोच, ऐसे जुर्म और ऐसी ‘इज्जत’ पर अब सवाल उठाने की जरूरत है। अगर आपको लगता है कि honour kill जैसे अपराधों पर सख्त कानून और सामाजिक जागरूकता जरूरी है—तो इस खबर को शेयर करें, सवाल उठाएं और आवाज़ बनें>ताकि अगली मंजू को ‘इज्जत’ की भेंट चढ़ने से रोका जा सके

 
         
         
         
        