 
                  Russia-Ukraine के बीच सीज़फायर पर बनेगी बात ?
Russia-Ukraine Update
Russia-Ukraine Talk: रूस और यूक्रेन के बीच लंबे समय से चल रहा युद्ध अब एक नए मोड़ पर आ पहुंचा है. यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने हाल ही में ऐलान किया कि दोनों देशों के बीच शांति वार्ता का अगला दौर 23 जुलाई, 2025 को तुर्की में शुरू होने जा रहा है. ये वार्ता पिछले सात हफ्तों में पहली बार हो रही है, और इसे लेकर दोनों पक्षों में कुछ उम्मीदें जगी हैं. तुर्की पहले भी दोनों देशों के बीच मध्यस्थता कर चुका है, और इस बार भी वो एक तटस्थ मंच प्रदान करने की कोशिश कर रहा है.
तुर्की में बात, मिलेगी शांति की सौगात ?
रूस और यूक्रेन के बीच तनाव 2022 में शुरू हुए युद्ध के बाद से लगातार बना हुआ है. इस युद्ध ने न केवल यूक्रेन की अर्थव्यवस्था और बुनियादी ढांचे को भारी नुकसान पहुंचाया है, बल्कि लाखों लोगों को बेघर भी किया है. युद्ध के कारण वैश्विक स्तर पर भी खाद्य और ऊर्जा संकट पैदा हुआ है, क्योंकि यूक्रेन और रूस दोनों ही गेहूं और तेल जैसे महत्वपूर्ण संसाधनों के बड़े निर्यातक हैं. ऐसे में शांति वार्ता की ये खबर दुनिया भर के लिए राहत की सांस लेकर आई है.
शांति समझौता रूस की शर्तों पर होगा !
जेलेंस्की ने अपने बयान में कहा कि वो इस वार्ता से बहुत ज्यादा उम्मीदें तो नहीं रख रहे, लेकिन फिर भी ये एक मौका है कि दोनों पक्ष कुछ बिंदुओं पर सहमति बना सकें. उन्होंने ये भी जोड़ा कि यूक्रेन अपनी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता से कोई समझौता नहीं करेगा. दूसरी ओर, रूस ने अभी तक इस वार्ता को लेकर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन माना जा रहा है कि वो भी इस युद्ध को खत्म करने के लिए कुछ शर्तों पर बात करने को तैयार है.

रूस की दो सबसे बड़ी शर्तें
रूस की सबसे बड़ी शर्त तो ये है कि रूस, यूक्रेन के कुछ हिस्सों पर अपना पूरा कब्जा चाहता है, ये वो क्षेत्र है जिन पर रूस ने युद्ध की शुरुआत के बाद नियंत्रण हासिल करने की दिशा में अहम सफलता हासिल की थी, साथ ही रूस ये भी चाहता है कि यूक्रेन इस बात पर राजी हो कि वो NATO का हिस्सा नहीं बनेगा.
तुर्की पहले भी कर चुका है मध्यस्थता
तुर्की ने पहले भी दोनों देशों के बीच मध्यस्थता में अहम भूमिका निभाई है. 2022 में तुर्की ने रूस और यूक्रेन के बीच अनाज निर्यात को लेकर एक समझौता करवाया था, जिससे वैश्विक खाद्य संकट को कम करने में मदद मिली थी. इस बार भी तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तईप एर्दोआन ने दोनों पक्षों को बातचीत के लिए एक मंच देने का वादा किया है. तुर्की की भौगोलिक स्थिति और दोनों देशों के साथ उसके रिश्ते उसे इस भूमिका के लिए उपयुक्त बनाते हैं.
Russia-Ukraine के बीच गहरी खाई
विशेषज्ञों का मानना है कि इस वार्ता से तुरंत कोई बड़ा नतीजा निकलने की उम्मीद कम है. दोनों देशों के बीच अविश्वास की खाई इतनी गहरी है कि कोई भी समझौता आसान नहीं होगा. यूक्रेन चाहता है कि रूस उसके कब्जे वाले क्षेत्रों से अपनी सेना हटाए, जबकि रूस अपनी कुछ शर्तें मनवाने की कोशिश में है. इसके अलावा, पश्चिमी देशों और नाटो का समर्थन भी इस वार्ता की दिशा तय करेगा.
वैश्विक शांति के लिए सीज़फायर ज़रुरी
ये वार्ता वैश्विक शांति के लिए एक महत्वपूर्ण कदम हो सकती है. अगर दोनों पक्ष कुछ बुनियादी मुद्दों पर सहमत हो जाते हैं, तो ये युद्ध प्रभावित लोगों के लिए राहत का काम करेगा. पूरी दुनिया की नजरें अब तुर्की पर टिकी हैं, जहां ये ऐतिहासिक वार्ता होने जा रही है.

 
         
         
        