 
                                                      
                                                Rupa Goswami Festival
Rupa Goswami Festival: समाधि पूजन से शुरू हुआ भक्ति और श्रद्धा का महोत्सव
Rupa Goswami Festival update
Radha Damodar Temple Vrindavan की पवित्र प्राचीरों के भीतर बुधवार को जैसे गोलोक का एक द्वार खुल गया।
कारण था – Rupa Goswami Disappearance Festival, जिसे वृंदावनवासी तिरोभाव महोत्सव कहने से ज़्यादा “भक्ति प्रकटोत्सव” के रूप में मनाते हैं।
मंदिर के सेवायत आचार्य करुण गोस्वामी, कृष्ण बलराम गोस्वामी और पूर्ण चंद्र गोस्वामी ने वैदिक मंत्रोच्चार के साथ समाधि पूजन, पुष्पांजलि और चरण पादुका महाअभिषेक संपन्न कराया। पंचामृत से अभिषेक के दृश्य को जिसने देखा, उसका रोम-रोम प्रफुल्लित हो गया।
श्रद्धा में डूबे भाव – Radha Damodar Temple Vrindavan में पुष्पांजलि
Radha Damodar Temple Vrindavan के सेवायतों ने जब श्रद्धालुओं को प्रसादी पटका पहनाकर स्वागत किया, तो वहां न तो कोई मंच था, न ही कोई माइक, लेकिन हर चेहरा उपदेश बन गया था।
श्रीवत्स गोस्वामी महाराज ने कहा – “श्रील रूप गोस्वामी सिर्फ आचार्य नहीं, वो हैं हमारे भाव के मार्गदर्शक। जिनकी कृपा के बिना भक्ति में प्रवेश असंभव है।”
गौड़ीय भक्ति के पितामह – Rupa Goswami Festival की आत्मा
Rupa Goswami Disappearance Festival पर वक्ताओं ने रूप गोस्वामी महाराज की महिमा को ऐसे वर्णित किया जैसे शब्द खुद शरणागत हो गए हों।
पंडित बिहारी लाल वशिष्ठ बोले – “जब तक गोस्वामी जी की रचनाएं न पढ़ी जाएं, तब तक ब्रह्मचिंतन भी अधूरा है।”
वहीं आचार्य बलराम बाबा ने तो कह डाला – “जिन्हें भक्ति की रसधारा में गोता लगाना है, वे पहले श्रील रूप गोस्वामी के चरणों में डुबकी लगाएं।”
श्रद्धा से सजी संगोष्ठी – विद्युत संगोष्ठी बनी भक्ति यज्ञ
Tirobhav Mahotsav Vrindavan के अंतर्गत विद्युत संगोष्ठी का आयोजन हुआ जिसमें नगर के गणमान्य विद्वानों ने भाग लिया।
सेवायतों द्वारा दिया गया प्रसादी पटका, महज स्वागत नहीं, बल्कि एक व्रत की सौगंध जैसा था – “हम गोस्वामी जी के पथ पर हैं।”
महंत ब्रज बिहारी दास बोले – “रसस्वरूप भक्ति के आदि आचार्य हैं गोस्वामी जी”> Rupa Goswami Festival
महंत ब्रज बिहारी दास महाराज ने जब कहा –
“जिन्होंने भक्ति को रस रूप में स्थापित किया, वे ही हमारे रसाचार्य हैं,”
तो श्रोताओं ने मौन होकर उस वाक्य को मन में संजो लिया।
गोस्वामी जी की भक्ति केवल दर्शन नहीं, अनुभव है, और यही इस महोत्सव की आत्मा थी।
नव दिवसीय आयोजन का समापन – लेकिन भाव तो स्थायी है> Rupa Goswami Festival
सेवायत आचार्य कृष्ण बलराम गोस्वामी ने बताया कि मां गोसाई आचार्य तरुलता गोस्वामी के सान्निध्य में यह उत्सव हर वर्ष नव दिवसीय होता है।
आज अंतिम दिन पर समाधि पूजन, महाअभिषेक, और भक्तों की वाणी से भक्ति की वर्षा हुई।

 
         
         
         
        