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Rojgar Mela in Lucknow: इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में उमड़ी बेरोजगारों की सुनामी
लखनऊ का इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान इस बार किसी कॉन्सर्ट या राजनीतिक रैली का मैदान नहीं, बल्कि बेरोजगारों का समुद्र नजर आया। Rojgar Mela में करीब 1 लाख युवा उम्मीद की गठरी लेकर पहुंचे, लेकिन हकीकत ने उनके अरमानों पर पानी फेर दिया। 2 किमी का इलाका केवल बेरोजगारी की चीख और नौकरियों की तलाश में भटकते चेहरों से भर गया।
मुख्यमंत्री का दावा और युवाओं की हकीकत
सीएम योगी आदित्यनाथ ने रोजगार महाकुंभ का शुभारंभ करते हुए गर्व से कहा – “बिना ब्याज और गारंटी के ऋण, 70 हजार युवाओं को रोजगार।” मंच पर तालियां बजीं, पर भीड़ में मौजूद हजारों युवाओं के लिए यह भाषण उतना ही सूखा था जितना उनकी जेब में रखा पुराना रिज्यूमे। क्योंकि उनके मुताबिक Rojgar Mela में नौकरी से ज्यादा धक्का-मुक्की और धूप में तपना मिला।
Rojgar Mela:अव्यवस्था का आलम – बेरोजगारों की सीवी कूड़े में
युवाओं का आरोप है कि उनकी सीवी लेकर आयोजकों ने सीधा कूड़े में फेंक दी। कोई गाइड करने वाला नहीं, कोई व्यवस्था नहीं। बैरिकेडिंग तो लगी, पर नौकरी का रास्ता कहीं गुम हो गया। स्टॉल से स्टॉल भटकते युवा सवाल कर रहे थे – “ये रोजगार मेला है या धक्का-मुक्की मेला?” Rojgar Mela की सबसे बड़ी तस्वीर यही रही – अव्यवस्था का महासागर।
बेरोजगारों के नारे और टूटी उम्मीदें
रात से लाइन में लगे युवा सुबह तक “बेरोजगारी हाय-हाय” के नारे लगाने लगे। किसी ने कहा – “यहां नौकरी नहीं, नौटंकी है।” किसी ने जोड़ा – “जर्मनी बुलाकर अब दुबई भेजने की बात कर रहे हैं, ये रोजगार मेला है या ट्रैवल एजेंसी?” सरकार का दावा था कि 100 कंपनियां, 20 विदेशी कंपनियां और 50 हजार नौकरियां। लेकिन हकीकत में युवा कहते हैं – “कंपनियों से ज्यादा तो पुलिस वाले तैनात थे।”
Rojgar Mela:प्रशासन की मशक्कत और बेकाबू भीड़
लखनऊ डीएम विशाखजी और पुलिस कमिश्नर अमरेंद्र सेंगर खुद मैदान में उतरे। व्यवस्था बनाने की कोशिश की, लेकिन बेकाबू भीड़ बार-बार कंट्रोल से बाहर जाती रही। बेरोजगारों के चेहरे पर गुस्सा साफ झलक रहा था – उन्हें न पानी मिला, न खाना, न नौकरी। यही Rojgar Mela की असली तस्वीर है।
रोजगार का सपना या हकीकत का कचरा?
सरकार ने इस रोजगार मेले से उम्मीदें बांधी थीं कि यह युवाओं को सुनहरा भविष्य देगा। लेकिन जो नज़ारे सामने आए, वह सवाल छोड़ गए – क्या सचमुच यहां 50 हजार युवाओं को नौकरी मिलेगी या यह सिर्फ आंकड़ों की बाजीगरी है? क्या Rojgar Mela युवाओं की तकदीर बदल पाएगा, या फिर यह सिर्फ चुनावी घोषणा-पत्र का एक और जुमला रह जाएगा?
Written by khabarilal.digital Desk
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