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Demand to Replace Mazar with Kali Mata Temple पर टूंडला में उबाल
फिरोजाबाद। टूंडला तहसील इस वक्त सिर्फ सरकारी फाइलों में ही नहीं, बल्कि भजन और नारों में भी गूंज रही है। मजार की जगह काली मंदिर (Replace Mazar with Kali Mata Temple) की मांग को लेकर विभिन्न हिंदू संगठनों के पदाधिकारी धरना पर बैठ गए हैं। धर्म रक्षा संघर्ष समिति के जिलाध्यक्ष संजय प्रताप सिंह एडवोकेट के नेतृत्व में शुरू हुए इस आंदोलन में सिर्फ बातें नहीं, बल्कि राम नाम का जप भी शामिल है—ताकि आंदोलन का स्वर भी ऊँचा हो और माहौल भी।
Replace Mazar with Kali Mata Temple:2012 की घटना, 2025 में फिर गरम
धरने में बैठे पदाधिकारियों का आरोप है कि साल 2012 में, सपा सरकार के दौर में, गांव सिकंदरपुर में काली माता का मंदिर तोड़कर वहां मजार बना दी गई। उस वक्त से लेकर अब तक, ग्रामीण और हिंदू संगठन लगातार मांग कर रहे हैं कि मजार हटाकर काली माता की मूर्ति को फिर उसी स्थान पर स्थापित किया जाए। काली मंदिर स्थापित करने (Replace Mazar with Kali Mata Temple) का यह मामला समय के साथ और गंभीर हो गया है, लेकिन प्रशासन के कानों तक जैसे कोई भजन की धुन ही नहीं पहुंची।
Replace Mazar with Kali Mata Temple :जमीन, मूर्ति और अतिक्रमण का मुद्दा
संघर्ष समिति के जिलाध्यक्ष ने बताया कि जिस जमीन पर मजार बनी है, वह 3-4 बीघा है और हिंदू समाज की है। काली माता की मूर्ति फिलहाल एक पेड़ के नीचे रखी हुई है, मानो प्रशासन यह कहना चाहता हो कि “खुले में भक्ति भी आत्मनिर्भर हो सकती है”। संगठन का आरोप है कि यह जमीन अतिक्रमण के दायरे में आती है, लेकिन अधिकारियों की नज़र में यह मामला प्राथमिकता सूची के ‘तलघर’ में पड़ा है।
Replace Mazar with Kali Mata Temple:प्रशासन की मोहलत और लोगों का सब्र
साल 2022 से इस मुद्दे पर लगातार पत्राचार, ज्ञापन और वादे हो रहे हैं। एक बार तो अधिकारियों ने एक महीने में कार्रवाई का आश्वासन भी दिया, लेकिन महीने के बाद भी मामला उसी जगह बैठा है, जहां मूर्ति बैठी है—पेड़ के नीचे। नतीजा—लोगों का सब्र टूट चुका है, और वो मस्जिद की जगह मंदिर बनाने की मांग कर रहे हैं, जिसके बाद (Replace Mazar with Kali Mata Temple) अब हिंदू सगठनों की आवाज तहसील प्रांगण में धरने और भजन के साथ गूंज रही है।
राम नाम जप से गूंजा तहसील प्रांगण
धरने में शामिल लोग सिर्फ भाषण नहीं दे रहे, बल्कि राम नाम का जप करते हुए माहौल को धार्मिक और राजनीतिक दोनों मोर्चों पर गर्मा रहे हैं। नारा यही—”मजार हटाओ, काली माता लाओ”। प्रशासन फिलहाल चुप है, लेकिन धरने पर बैठे लोगों ने साफ कहा है—जब तक ठोस आश्वासन या कार्रवाई नहीं होगी, वे यहीं बैठे रहेंगे।
Replace Mazar with Kali Mata Temple:सवाल प्रशासन पर
यह मामला सिर्फ एक धार्मिक स्थल का नहीं, बल्कि प्रशासन की सुस्ती और संवेदनशील मुद्दों पर आंख मूंदने की आदत का भी है। जब एक समुदाय का धार्मिक स्थल रातों-रात बदला जा सकता है, तो उसे वापस लाने में 13 साल क्यों लग रहे हैं? क्या विकास के एजेंडे में धार्मिक अस्मिता की कोई जगह नहीं है?
Written by khabarilal.digital Desk
🎤 संवाददाता: मुकेश कुमार बघेल
📍 लोकेशन: फिरोजाबाद, यूपी
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