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RealityCheck ने उजागर किया कि पीलीभीत में नालों की सफाई सिर्फ कागजों तक सीमित है — हकीकत में गलियां गंदगी से जूझ रही हैं।
कागजों पर गंगाजल, नालों में RealityCheck
🟢 कागजी सफाई का कमाल, RealityCheck से खुला पोल
पीलीभीत में नगरपालिका के नाले वैसे तो कागजों में पूरी तरह ‘तलीझाड़’ से स्वच्छ हो चुके हैं, लेकिन धरती पर RealityCheck कह रहा है — अभी बहुत कुछ बाकी है। फीलखाना मोहल्ला इसका सबसे बड़ा सुबूत है, जहां सात फुट गहरे नाले में चार फुट तक गंदगी ने डेरा डाल रखा है। नतीजा? बारिश हुई नहीं कि गलियां तालाब बन जाती हैं, लोग गंदगी में तैरते हुए घर पहुंचते हैं।
32 लाख में नाले, RealityCheck में कीचड़

🟣 RealityCheck में फेल सफाई के दावे
नगरपालिका ने पूरे 28 नालों की सफाई पर करीब 32 लाख रुपये बहा दिए। ठेकेदार ने भी कागजों पर नालों को ऐसा चमकाया कि फाइलों में से गंगाजल टपकने लगे। लेकिन गलियों में आज भी कचरे के टीले हैं, कीचड़ की चादर बिछी है। लेखराज चौराहे से लेकर शिवनगर कॉलोनी तक हर जगह लोग अपने अपने घरों के सामने खुदाई करवा रहे हैं — क्योंकि नालों में ठेकेदार की सफाई बस फाइलों में ही रह गई।
बरसात आई, गलियों में नाव चलाइए
स्टेडियम मार्ग का हाल पूछिए मत! गौहनिया चौराहा से लेकर स्टेडियम तक दोनों ओर के नाले RealityCheck में फेल हैं। अशोक कॉलोनी मोड़ से बीज भंडार तक कई जगह नाले में कीचड़ की मोटी परत जमी है। बरसात के दो छींटे पड़ते ही पूरा इलाका दरिया बन जाता है। बच्चे घर से स्कूल तक नाव ढूंढने लगते हैं — आखिर नगरपालिका ने कागजों में सफाई कर दी, धरती पर पानी ही पानी!
फीलखाना RealityCheck — जहां नाले से ज्यादा गंदगी

फीलखाना मोहल्ले के लोग तो अब पक्के RealityCheck फैन हो चुके हैं। सात-आठ फुट गहरे नाले में चार फुट तक गंदगी जमा है। जल निकासी का कोई ठिकाना नहीं। नाला निर्माण पिछले पंद्रह दिन से चल रहा है, लेकिन सफाई अब तक अधूरी। पानी गलियों में बहता है, लोग जूते से ज्यादा गमबूट खरीदने लगे हैं। नगरपालिका कहती है — “शिकायत मिलेगी तो सफाई कराएंगे।”
बयान वीरों की सफाई, RealityCheck के सामने फीकी
नगरपालिका अध्यक्ष आस्था अग्रवाल कहती हैं — “सफाई गहनता से कराई गई है। शिकायत आई तो फिर सफाई कर देंगे।” वहीं अधीशासी अधिकारी संजीव कुमार भी RealityCheck से बिल्कुल परेशान नहीं — वो भी कहते हैं, “कहीं गंदगी मिली तो साफ करा देंगे।” लेकिन जनता पूछ रही है — RealityCheck से पहले यह गंदगी दिख क्यों नहीं रही थी?
RealityCheck — अगले साल फिर यही होगा?

हर साल लाखों के बजट, हर साल ठेकेदार, हर साल कागजों पर सफाई — और हर RealityCheck में वही पुराने नाले, वही गंदगी, वही जलभराव। क्या कोई नगर पालिका ये हिम्मत दिखाएगी कि अगली बरसात में ये RealityCheck न लिखना पड़े? जनता तो बस चाहती है कि गलियां तालाब न बनें, और नालों में सिर्फ पानी बहे — कीचड़ नहीं!
✅ Written by khabarilal.digital Desk
📍 Location: पीलीभीत,यूपी
🗞️Reporter: शकुश मिश्रा

 
         
         
         
        