 
                  यूपी के बागपत में छात्राओं ने 700 पेड़ों को बांधी राखी… श्री सुभाष चंद्र बोस इंटर कॉलेज में पर्यावरण संरक्षण की अनूठी पहल. पर्यावरण संरक्षण की दिशा में प्रेरणादायक कदम.
संवाददाता – राहुल चौहान, बागपत
Baghpat : Raksha Bandhan का त्योहार भाई-बहन के प्रेम और विश्वास का प्रतीक है, लेकिन बागपत के तबेला गढ़ी गांव में यह पर्व पर्यावरण संरक्षण की अनूठी मिसाल बन गया. यहां के श्री सुभाष चंद्र बोस इंटर कॉलेज में छात्राओं ने अपने भाइयों की कलाई के साथ-साथ कॉलेज परिसर में लगे 700 से अधिक पेड़-पौधों को रक्षा सूत्र बांधकर उनकी देखभाल का संकल्प लिया. यह परंपरा दशकों से चली आ रही है और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक प्रेरणादायक कदम है.
700 पेड़-पौधों को बांधी राखी

बागपत के तबेला गढ़ी गांव में स्थित श्री सुभाष चंद्र बोस इंटर कॉलेज में रक्षा बंधन का पर्व एक अनोखे अंदाज में मनाया गया… रक्षा बंधन के अवसर पर स्कूल की छात्राओं ने कॉलेज परिसर में लगे करीब 700 पेड़-पौधों को रक्षा सूत्र बांधा. इन पेड़ों को वे अपने भाई के रूप में मानती हैं और उनकी देखभाल की जिम्मेदारी लेती हैं. छात्राओं ने पेड़ों की निराई, गुड़ाई और सिंचाई जैसे कार्यों को स्वयं करने का संकल्प लिया. पर्यावरण प्रेमी और कॉलेज के प्रबंधक आनंद छिलर ने बताया कि यह परंपरा दशकों पुरानी है और इसका उद्देश्य पर्यावरण को शुद्ध और हरा-भरा रखना है. उन्होंने कहा, “हमारे कॉलेज में जितने छात्र पढ़ते हैं, उतने ही पेड़ लगाने की परंपरा है. वर्तमान में 700 से अधिक छात्र हैं, और उतने ही पेड़ परिसर में हैं. रक्षा बंधन पर छात्राएं इन पेड़ों को राखी बांधकर उनकी रक्षा का वचन लेती हैं. यह पर्यावरण संरक्षण की एक अनूठी मुहिम है”.
पर्यावरण संरक्षण की मिसाल

इस पहल ने न केवल स्थानीय समुदाय, बल्कि पूरे क्षेत्र में पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ाई है. पेड़ों को राखी बांधने की यह परंपरा राजस्थान के पिपलांत्री गांव से प्रेरित है, जहां बेटी के जन्म पर 111 पौधे लगाने और रक्षा बंधन पर पेड़ों को राखी बांधने की परंपरा है. बागपत में भी यह मुहिम पर्यावरण और बेटियों के सम्मान को जोड़ती है. कॉलेज के पेड़ न केवल परिसर को हरा-भरा बनाते हैं, बल्कि ऑक्सीजन का स्रोत बनकर ग्लोबल वार्मिंग और प्रदूषण के खिलाफ एक कवच प्रदान करते हैं.
छात्राओं में दोगुना उत्साह

रक्षा बंधन के दिन कॉलेज में उत्साह का माहौल रहा. छात्राओं ने ढोल-नगाड़ों के साथ गीत गाते हुए और हर्षोल्लास के साथ पेड़ों को राखी बांधी. यह परंपरा न केवल पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देती है, बल्कि रक्षा बंधन के पर्व को एक नया आयाम देती है. यह भाई-बहन के रिश्ते को प्रकृति के साथ जोड़कर सामाजिक और सांस्कृतिक मूल्यों को मजबूत करती है. बागपत में इस पहल को देखकर अन्य स्कूलों और संस्थानों में भी ऐसी परंपराएं शुरू करने की मांग उठ रही है.

 
         
         
        