Raj Thackeray, Uddhav Thackeray का भाईचारा, भाषा विवाद को और तल्ख करेगा ?
Raj Thackeray, Uddhav Thackeray News
Raj Thackeray, Uddhav Thackeray Alliance : महाराष्ट्र की राजनीति में 5 जुलाई 2025 का दिन ऐतिहासिक बन गया, जब दो दशकों से अलग-थलग रहे ठाकरे बंधु, उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे, एक मंच पर एक साथ नजर आए. मुंबई के वर्ली स्थित एनएससीआई डोम में आयोजित ‘मराठी विजय रैली’ में शिवसेना (यूबीटी) और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) ने मराठी अस्मिता की रक्षा के लिए एकजुटता का परिचय दिया. ये रैली महाराष्ट्र सरकार द्वारा प्राथमिक स्कूलों में हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में लागू करने वाले दो सरकारी आदेशों (जीआर) को वापस लेने की जीत के उपलक्ष्य में आयोजित की गई थी. इस अवसर पर राज ठाकरे ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर तंज कसते हुए कहा, “जो बालासाहेब ठाकरे नहीं कर सके, वो फडणवीस ने कर दिखाया—मुझे और उद्धव को एक साथ लाने का काम.”
मराठी अस्मिता के लिए ठाकरे बंधु हुए एकजुट
महाराष्ट्र सरकार ने 16 अप्रैल और 17 जून 2025 को प्राथमिक स्कूलों में हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में अनिवार्य करने के आदेश जारी किए थे. इस फैसले ने मराठी भाषा और संस्कृति के समर्थकों में तीव्र आक्रोश पैदा किया. उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे ने इसे मराठी अस्मिता पर हमला बताते हुए इसका पुरजोर विरोध किया. दोनों नेताओं ने 5 जुलाई को मुंबई में एक संयुक्त रैली का ऐलान किया, जिसे बाद में ‘मराठी विजय रैली’ का नाम दिया गया. इस रैली में मराठी साहित्यकारों, कवियों, शिक्षाविदों और कलाकारों सहित हजारों लोगों ने हिस्सा लिया. मंच पर केवल दो कुर्सियां थीं, जो उद्धव और राज की एकता का प्रतीक थीं, और पृष्ठभूमि में महाराष्ट्र का नक्शा मराठी गौरव को दर्शा रहा था.

राज ठाकरे का फडणवीस पर तंज
‘आवाज मराठिचा’ रैली में राज ठाकरे ने अपने चिर-परिचित अंदाज में सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने कहा, “मैं हिंदी या किसी अन्य भाषा के खिलाफ नहीं हूं, लेकिन मराठी भाषा पर हमला बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. ये तीन-भाषा नीति मुंबई को महाराष्ट्र से अलग करने की साजिश का हिस्सा थी.” राज ने तंज कसते हुए कहा कि फडणवीस ने अनजाने में वो काम कर दिया, जो बालासाहेब ठाकरे भी नहीं कर सके, मतलब ठाकरे बंधुओं को एक मंच पर लाना. उन्होंने ये भी कहा, “हिंदी भाषी राज्य आर्थिक रूप से पिछड़े हैं, जबकि गैर-हिंदी भाषी राज्य आगे हैं. फिर भी हिंदी को थोपने की कोशिश क्यों? मराठा साम्राज्य ने आधे भारत पर शासन किया, लेकिन हमने कभी मराठी थोपी?”
उद्धव ठाकरे: हम साथ आए हैं, साथ रहेंगे
उद्धव ठाकरे ने अपने संबोधन में एकता पर जोर दिया और कहा, “कई लोग सवाल उठा रहे हैं कि क्या हम बीएमसी चुनाव तक एक रहेंगे. मैं स्पष्ट कहता हूं-हम मराठी के लिए एक हुए हैं और मराठी के लिए एक रहेंगे.” उन्होंने बीजेपी पर मराठी अस्मिता को कमजोर करने का आरोप लगाया और कहा, “महाराष्ट्र में बीजेपी को बालासाहेब ठाकरे ने स्थापित किया, लेकिन आज वे हमारी संस्कृति को कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं.” उद्धव ने हिंदुत्व पर भी बीजेपी को आड़े हाथों लिया और कहा, “जब मुंबई में दंगे हुए, तो मराठी लोगों ने हर हिंदू की रक्षा की. हमें हिंदुत्व सिखाने की जरूरत नहीं.”

राजनीतिक समीकरण और मराठी अस्मिता
रैली ने न केवल मराठी अस्मिता की जीत को चिह्नित किया, बल्कि महाराष्ट्र की राजनीति में नए समीकरणों की संभावना को भी जन्म दिया. उद्धव के बयान, “हम साथ आए हैं, साथ रहेंगे,” ने बीएमसी और 2026 के विधानसभा चुनावों से पहले एक संभावित गठबंधन की अटकलों को हवा दी. शिवसेना (यूबीटी) और एमएनएस, जो पिछले विधानसभा चुनावों में कमजोर प्रदर्शन के बाद मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं, मराठी वोट बैंक को एकजुट कर बीजेपी और शिंदे गुट की शिवसेना को चुनौती दे सकते हैं. मुंबई में मराठी वोटरों का हिस्सा 30-35% है, और ये एकता उनकी स्थिति को मजबूत कर सकती है.
फडणवीस का जवाब और भविष्य की संभावनाएं
ठाकरे भाईयों के एक साथ आने से पहले मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा था कि मराठी गौरव में कुछ गलत नहीं, लेकिन भाषा के नाम पर हिंसा बर्दाश्त नहीं की जाएगी. उन्होंने तीन-भाषा नीति की समीक्षा के लिए नरेंद्र जाधव समिति गठन की घोषणा की थी. ऐसे हालात में जब मराठी भाषा को लेकर विवाद छिड़ा है, तब ठाकरे भाईयों के शक्ति प्रदर्शन ने मराठी अस्मिता के नाम पर जारी सियासत को नया रंग दे दिया है, जो आने वाले वक्त में महाराष्ट्र की राजनीति को नई दिशा दे सकता है.
