
Rafale Marine Deal
Rafale Marine Deal, पर संकट के बादल। फ्रांस के धोखे के बाद अब रूस के Su-57 की तैयारी!
हिंदुस्तान अपना लड़ाकू विमान बनाने की हर संभव कोशिश कर रहा है। भारत मेक इन इंडिया के तहत वो तकनीक विकसित करना चाह रहा है, जिससे कल को फाइटर जेट के लिए हमें किसी दूसरे देश का मुंह ने देखना पड़े। भारत इसके लिए फाइटर जेट विमानों की प्रोडक्शन लाइन स्थापित करना चाहता है। भारत के इस काम में रूस उसकी मदद करने के लिए तैयार है, जबकि फ्रांस ने इस मामले में भारत को धोखा देने का काम किया है।जिसके बाद Rafale Marine Deal पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं।

दिल्ली: Rafale जिसे भारतीय वायुसेना की रीढ़ माना जाता है। जो दुश्मन के लिए काल मानी जाती है। जिसके नेवी वर्जन को लेकर भी भारत और फांस के बीच डील हो चुकी है, लेकिन फ्रांस के धोखे के कारण अब इस डील पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। भारत, फ्रांस के साथ हुई Rafale Marine Deal को रद्द कर सकता है, और रूस के अत्याधुनिक स्टील्थ फाइटर जेट ‘Su-57’ के नौसैनिक संस्करण को खरीदने पर गंभीरता से विचार कर सकता है। यहां सवाल उठता है कि, आखिर भारत इतना बड़ा फैसला क्यों लेने जा रहा है ? और फ्रांस ने भारत को कौन सा धोखा दिया है। चलिये विस्तार से इन सवालों के जवाब जानते हैं।
फ्रांस से दोस्ती में क्या आ गई है दरार?
🎯अपनी समुद्री ताकत बढ़ाने के लिए हाल ही में भारत ने फ्रांस से एक और बड़ी डील की है। इस डील के तहत भारत को 26 राफेल मरीन जेट फ्रांस से मिलने हैं, लेकिन फ्रांस के अड़ियल रवैये के कारण अब ये डील खटाई में पड़ सकती है। दरअसल फ्रांस ने भारत से जो वादा किया था,अब वो उससे पीछे हटता नजर आ रहा है। जिसके बाद भारत Rafale Marine Deal को कैंसिल करने पर विचार कर रहा है।

कहा जा रहा है कि, फ्रांसीसी कंपनी दसॉल्ट एविएशन राफेल का सोर्स कोड भारत को सौंपने को तैयार नहीं है। जबकि फ्रांस ने राफेल डील के वक्त सोर्स कोड देने का भरोसा दिया था। साथ ही भारत को अपना फाइटर जेट इंजन बनाने में मदद करने की भी बात कही थी। लेकिन अब फ्रांस अपनी दोनों ही बातों से मुकर रहा है। जिससे नाराज भारत Rafale Marine Deal कैंसिल करने का कड़ा फैसला ले सकता है।
पाकिस्तान से संघर्ष के बाद भारत बदल रहा रणनीति
दरअसल ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत राफेल विमानों में अपनी स्वदेशी मिसाइलें इंटीग्रेट करना चाहता है। उसमें कुछ और जरूरी फीचर्स जोड़ना चाहता है, जिसके लिए उसे सोर्स कोड़ की जरूरत है। यहां बता दें कि, सोर्स कोड वो होता है, जिसके आधार पर कोई भी फाइटर जेट ऑपरेट होता है। अगर दूसरी भाषा में कहें तो सोर्स कोड किसी भी आधुनिक लड़ाकू विमान की रीढ़ होता है, जो उसके सॉफ्टवेयर और ऑपरेशनल सिस्टम को नियंत्रित करता है। हिंदुस्तान चाहता है कि वह अपने स्वदेशी हथियार, जैसे ब्रह्मोस मिसाइल, को राफेल में इंटीग्रेट कर सके और भविष्य में जरूरत के हिसाब से राफेल को अपग्रेड कर सके। लेकिन फ्रांस सोर्स कोड देने से मना कर रहा है, जिससे भारत नाराज दिखाई पड़ रहा है।

📌अगर ये सोर्स कोड़ भारत के पास नहीं होगा, तो वो राफेल में अपनी स्वदेशी मिसाइलें इंटीग्रेट नहीं कर पाएगा। इसके साथ ही भारत राफेल को अपनी जरूरत के हिसाब से अपग्रेड भी नहीं कर पाएगा। भारत को जब भी कुछ करना होगा, उसे फ्रांस की कंपनी दसॉल्ट से संपर्क करना होगा। फ्रांस से जब राफेल की डील हुई थी, तो दसॉल्ट ने भारत के हिसाब से कई कस्टम फीचर्स इसमें अलग से शामिल किए थे। उस वक्त भी फ्रांस ने भारत को सोर्स कोड नहीं दिया था, इससे ही फ्रांस का अड़ियल रवैया समझा जा सकता है।
फ्रांस से धोखे के बाद अब रूस का रुख!
एक तरफ जहां फ्रांस भारत को फाइटर जेट इंजन बनाने की मदद देने में आनाकानी कर रहा है। तो वहीं दूसरी तरफ भारत का पुराना और भरोसेमंद दोस्त रूस भारत को वो सब कुछ देने को तैयार है, जिसकी उसे जरूरत है। इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि, एक तरफ जहां फ्रांस कावेरी टर्बोफन इंजन का परीक्षण करने में भारत की मदद करने को तैयार नहीं था, वहीं दूसरी तरफ रूस में इसका परीक्षण किया जा रहा है।

दरअसल फाइटर जेट इंजन बनाना एक जटिल प्रक्रिया है, जिसमे बहुत पैसे और वक्त लगते हैं,और भारत इस प्रक्रिया में अभी बहुत पीछे है। लिहाजा इसके लिए वो दूसरे देशों पर निर्भर है। अगर आप फाइटर जेट इंजन बनाने की प्रक्रिया को जानना चाहते हैं, और ये समझना चाहते हैं कि, भारत इसमें क्यों पीछे है। तो नीचे दी गई खबर के लिंक को क्लिक करके पूरी खबर पढ़ सकते हैं।
fighter jet engine बनाने की रेस में भारत क्यों पीछे,कब तक बनाएगा अपना इंजन? धोखा दे रहे सभी दोस्त!
🗡सोर्स कोड नहीं मिलने पर राफेल मरीन डील पर तलवार!
Open Magazine ने अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया है कि, अगर फ्रांस, हिंदुस्तान को सोर्स कोड नहीं देता है, तो संभव है कि, भारत Rafale Marine Deal को कैंसिल कर दे। फ्रांस के विपरित रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन Su-57 लड़ाकू विमान की टेक्नोलॉजी भारत के साथ शेयर करने के लिए तैयार हैं। जिसके बाद माना जा रहा है कि राफेल मरीन के विकल्प के तौर पर भारत रूस के 5वीं पीढ़ी के अत्याधुनिक स्टील्थ फाइटर जेट ‘Su-57’ के नौसैनिक संस्करण को खरीदने पर गंभीरता से विचार कर सकता है।

📣यहां ये बात गौर करने वाली है कि,रूस की Su-57 लड़ाकू विमान बनाने वाली कंपनी भारत के मुताबिक डील करने को तैयार है। इसका वो सार्वजनिक तौर पर ऐलान भी कर चुकी है। खबरें ऐसी भी हैं कि,अगर भारत रूस के साथ डील फाइनल कर लेता है तो, SU-30MKI प्रोडक्शन यूनिट से इसी साल Su-57 लड़ाकू विमान के उत्पादन का काम शुरू हो जाएगा।

रुस का Su-57 क्यों है पाकिस्तान के लिए अभिशाप?
✈ रूस का Su-57 पांचवी पीढ़ी का स्टील्थ फाइटर जेट है, जहां तक इसकी खूबियों की बात है तो बता दें कि, Su-57 पांचवीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान है। जो रडार की पकड़ में नहीं आता है। इसकी सुपरसोनिक रफ्तार दुश्मन को संभलने का मौका भी नहीं देती है। अगर भारत रूस के साथ इस फाइटर जेट का सौदा कर लेता है, तो उसे चीन और पाकिस्तान दोनों पर बढ़त मिल जाएगी। क्योंकि रूस के इस विमान का किसी देश के पास कोई काट नहीं है।
भारत का अगला कदम क्या होगा?
