 
                  Prayagraj News: डिजिटल अरेस्ट और आतंकी गतिविधि, खुल गई पोल
Prayagraj News: Digital Arrest
Prayagraj News: देश में साइबर अपराध की बढ़ती घटनाओं के बीच उत्तर प्रदेश पुलिस ने साइबर ठगी के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए प्रयागराज में पांच अंतरराज्यीय साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया है. ये अपराधी लोगों को डराने-धमकाने और झांसे में लेकर करोड़ों रुपये की ठगी कर रहे थे. गिरफ्तार किए गए आरोपियों की पहचान निम्नवत है:
- कौस्तुभ गुप्ता, पुत्र स्व. लखन गुप्ता, निवासी ग्राम माधवगढ़, उरई, जनपद जालौन, उत्तर प्रदेश.
- भानू सैनी, पुत्र स्व. महेश कुमार, निवासी जनक नगर, सहारनपुर, उत्तर प्रदेश.
- अनुराग, पुत्र विनोद, निवासी जे-211/1, करतार नगर, 13 नंबर गली, दिल्ली.
- शनि झा, पुत्र दुर्गेश झा, निवासी 89 ए, योगेंद्र बिहार, खाडेपुर, नौबस्ता, कानपुर नगर, उत्तर प्रदेश.
- हिमांशु कुमार, पुत्र शिवकुमार, निवासी ग्राम सरायमिठ्ठे, तहसील भरथना, जनपद इटावा, उत्तर प्रदेश.
फर्जी कॉल और आतंकी कनेक्शन
पुलिस उपायुक्त (गंगानगर) ने पत्रकारों से बातचीत में बताया कि इन अपराधियों ने एक पीड़ित को फर्जी कॉल के जरिए ठगा.पीड़ित को FedEx International Courier के नाम से कॉल कर बताया गया कि उसकी आईडी का दुरुपयोग 70 आतंकवादी अलग-अलग गतिविधियों के लिए कर रहे है. अपराधियों ने दावा किया कि मुंबई से ईरान जा रहे एक पार्सल में ड्रग्स पाए गए हैं जिसका संबंध पीड़ित की आईडी से है, जिसके कारण पीड़ित को गिरफ्तार किया जाएगा. इसके बाद चार फर्जी क्राइम ब्रांच अधिकारियों ने स्काइप के जरिए पीड़ित को गिरफ्तारी का डर दिखाकर धमकाया और 28,62,000 रुपये उनके बताए खातों में ट्रांसफर करवाए.जब पीड़ित को शक हुआ, तो उसने पुलिस को सूचना दी, जिसके बाद पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए इन अपराधियों को गिरफ्तार किया.

पुलिस की पूछताछ में खुलासा
खुलासा हुआ कि ये अपराधी टेलीग्राम के जरिए दक्षिण एशियाई देशों (लाओस, मलेशिया, कंबोडिया, वियतनाम, चीन, थाईलैंड आदि) में बैठे साइबर ठगों के साथ मिलकर काम करते थे. इनका नेटवर्क दो स्तरों पर काम करता है.पहले स्तर पर विदेशी साइबर ठग भारतीय एजेंट्स के जरिए लोगों को निवेश घोटाले, ऑनलाइन गेमिंग स्कैम, डिजिटल अरेस्ट और फर्जी व्हाट्सएप डीपी के माध्यम से ठगते हैं. दूसरे स्तर पर ये एजेंट्स भारतीय लोगों को पैसे कमाने का लालच देकर उनके बैंक खाते खुलवाते हैं.चेकबुक, एटीएम, इंटरनेट बैंकिंग पासवर्ड जैसे दस्तावेज लेकर OTP फॉरवर्डर ऐप इंस्टॉल करवाते हैं, जिससे बैंक ट्रांजेक्शन का OTP सीधे विदेशी ठगों तक पहुंचता है.इसके बाद ये खातों का इस्तेमाल साइबर ठगी के लिए करते हैं और कमीशन को क्रिप्टोकरेंसी (USDT) के जरिए बांटते हैं.

वीपीएन-आईपी बाउंसिंग का करते थे प्रयोग
पुलिस ने बताया कि ये अपराधी अपनी पहचान छिपाने के लिए वीपीएन और आईपी बाउंसिंग जैसी तकनीकों का इस्तेमाल करते हैं. टेलीग्राम ग्रुपों की जांच में पता चला कि ये लोग कई ग्रुपों से जुड़े हैं, जो लाओस, मलेशिया, कंबोडिया, वियतनाम, चीन और थाईलैंड के ठगों को पीड़ितों के बैंक खाते सप्लाई करते हैं. उत्तर प्रदेश पुलिस और सरकार साइबर अपराधों को रोकने के लिए कटिबद्ध हैं.जनता से अपील की गई है कि वे ऐसी किसी भी कॉल या मैसेज पर भरोसा न करें और संदिग्ध गतिविधियों की जानकारी तुरंत पुलिस को दें.


 
         
         
        