Prayagraj Flood Alert
Prayagraj Flood Alert: गंगा-यमुना का जल न चढ़े, तो प्रशासन को बुखार न चढ़े!
Prayagraj Flood Alert:
कभी ‘संगम नगरी’, कभी ‘महाकुंभ की शान’, अब प्रयागराज में Flood Alert का मतलब है – हर तीसरे हफ्ते में गंगा जी का मूड बदलना! झूंसी से लेकर छतनाग तक अब कोई नाला नहीं, सब गंगा बन चुके हैं। और लेटे हनुमान जी? भाई साहब तीसरी बार स्नान कर चुके हैं – वो भी जबरन! लगता है गंगा मैया अब निजी स्नान योजना पर उतर आई हैं।
Prayagraj Flood Alert: झूंसी की नाव-यात्रा शुरू, सड़कें अब सिर्फ गूगल मैप पर दिखेंगी

मंगलवार भोर में जब लोग आंखें मसलते हुए उठे, तब बदरा-सोनौटी रोड पर ना ट्रक दिखा, ना बाइक – सिर्फ पानी… और प्रशासन की उदासी। Flood Alert पर पहले ‘मीटिंग’ हुई, फिर ‘समीक्षा बैठक’ और अब सिर्फ ‘पानी-पानी’। डेढ़ दर्जन कछारी गांव दोबारा जलमग्न हो चुके हैं, जैसे बाढ़ ने ‘रीप्ले मोड’ ऑन
धान की फसल गई, अब किसान “स्वैग से करेगा कंगाली”
धान के खेतों में अब पौधे नहीं, झींगुर और मछलियां तैर रही हैं। किसानों की सालभर की मेहनत अब कीचड़ में बिखरी है और सरकार की संवेदना ट्विटर पर अटकी हुई है। प्रशासन ने चार नावें भेजी हैं – लेकिन इतनी धीमी हैं कि किसान कह रहे हैं, “भैया, ये नाव चल रही है या सरकार की योजना?”
Prayagraj Flood Alert: सड़कें डूबीं, नावें आईं, लेकिन प्रशासन अब भी तट पर ही खड़ा है
गांवों का संपर्क मुख्य मार्ग से टूट गया है। और प्रशासन का संपर्क जनता से। Flood Alert अब कोई चेतावनी नहीं, यह एक आदत बन चुकी है। झूंसी के गंजिया, बहादुरपुर, ढोलबजवा जैसे गांवों में अब GPS भी हार मान गया है। स्नान घाटों की बात करें तो महाकुंभ में बनाए गए घाट अब खुद गंगाजल में समाधि ले चुके हैं।
गंगा मैया स्नान करवा रही हैं, पर जनता रोज़ डूब रही है
लेटे हनुमान जी को तीसरी बार स्नान कराना शायद धार्मिक रूप से शुभ हो, लेकिन जब झूंसी की जनता बाढ़ में डूब रही हो, तो ये श्रद्धा नहीं, प्रशासनिक श्राप लगता है।
प्रशासन के पास हर जवाब में “नदी का जलस्तर बढ़ रहा है” की टेम्प्लेट है, लेकिन कोई बताए कि राहत कब आएगी? नाव की जगह बोट-सेवा नहीं, बोट-पॉलिटिक्स चल रही है।
Prayagraj Flood Alert: गंगा की लहरें चुनावी वादों को बहा ले गईं
कभी गंगा को ‘नमामि’ कहा गया, कभी उसे जोड़ने की योजनाएं बनीं, लेकिन Flood Alert आज भी वही 90’s की VHS कैसेट की तरह हर साल दोहराया जाता है। फर्क सिर्फ इतना है – अब कैमरा HD हो गया है, और लोगों का भरोसा सड़ा हुआ।
प्रयागराज में बाढ़ नहीं, सिस्टम बह रहा है। गंगा-यमुना की लहरें अब श्रद्धा का प्रतीक नहीं, प्रशासनिक नाकामी का सबूत हैं। Flood Alert अब सिर्फ मौसम विभाग की चेतावनी नहीं, यह उस ‘लोकतांत्रिक जलप्रलय’ का हिस्सा है जहां जनता डूबती है, और सरकार प्रेस रिलीज़ भेजती है।
