Bihar Politics : बाहुबली के बेटे की Jan Suraaj से एंट्री – Bajpatti में कांटे की टक्कर
खबरीलाल.डिजिटल रिपोर्टर – पटना ब्यूरो
उत्तर बिहार की राजनीति में एक बार फिर हलचल तेज हो गई है। लालू यादव की पार्टी RJD (राजद) के पूर्व सांसद और बाहुबली छवि वाले मोहम्मद अनवारूल हक के बेटे मोहम्मद आजम हुसैन ने प्रशांत किशोर (Prashant Kishore) की पार्टी जन सुराज (Jan Suraaj) का रास्ता चुना है। सूत्रों की मानें तो आजम सीतामढ़ी जिले की बाजपट्टी विधानसभा सीट से जन सुराज के उम्मीदवार के तौर पर चुनावी मैदान में उतर सकते हैं। इस सीट पर अभी RJD का कब्जा है – और आजम के इस कदम ने आरजेडी खेमे में खलबली मचा दी है।
Bihar Politics – आजम हुसैन का दावा
Mohammad Azam Hussain अपने पिता की बाहुबली विरासत से अलग – एक नई और स्वच्छ छवि के साथ राजनीति में कदम रखने का दावा कर रहे हैं। हालांकि – उनके इर्द-गिर्द हथियारबंद बॉडीगार्ड्स की मौजूदगी उनकी छवि को लेकर सवाल खड़े कर रही है। आजम का कहना है कि उनका मकसद जनसेवा है और वे बाजपट्टी के लोगों की आवाज बनना चाहते हैं – न कि अपने पिता की विवादित छवि को आगे बढ़ाना।
आजम हुसैन ला पाएंगे Jan Suraaj?
Azam Hussain के पिता मोहम्मद अनवारूल हक पर कई आपराधिक मामले दर्ज थे – और उनकी छवि राजनीति व अपराध के गठजोड़ से जुड़ी रही थी। आजम इन दिनों जन सुराज के बैनर तले जनसंपर्क अभियान में जुटे हैं। नुक्कड़ सभाओं और जनसभाओं के जरिए वे अपनी और अपनी पार्टी की नीतियों को जनता तक पहुंचा रहे हैं। अगर वे मतदाताओं का भरोसा जीतने में कामयाब रहे – तो बाजपट्टी में RJD के लिए चुनौती कड़ी हो सकती है।

Jan Suraaj – बाजपट्टी का बाजीगर इस बार कौन?
सीतामढ़ी जिले की Bajpatti विधानसभा सीट 2010 में अस्तित्व में आई थी। इस सीट पर अब तक हुए तीन चुनावों में अलग-अलग परिणाम देखने को मिले हैं। 2010 और 2015 में जेडीयू की रंजू गीता ने जीत हासिल की थी – लेकिन 2020 में राजद के मुकेश कुमार यादव ने जेडीयू को हराकर बाजपट्टी पर कब्जा जमाया। 2020 के चुनाव में मुकेश कुमार यादव को 71,483 वोट मिले – जबकि रंजू गीता 68,779 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहीं। तीसरे स्थान पर रालोसपा की रेखा कुमारी थीं – जिन्हें 11,267 वोट मिले। 2015 में रंजू गीता ने बीएलएसपी की रेखा कुमारी को 16,946 वोटों के अंतर से हराया था। वहीं 2010 में रंजू गीता ने मोहम्मद अनवारूल हक को 3,420 वोटों के अंतर से शिकस्त दी थी।
Bajpatti के असली बाजीगर – मुस्लिम + यादव
बाजपट्टी विधानसभा सीट पर मुस्लिम और यादव मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं – जबकि ब्राह्मण वोटरों की भी अच्छी-खासी संख्या है। अब चुनावी समीकरण और चुनौतियां भी जान लीजिए – बाजपट्टी में राजद की मजबूत पकड़ रही है – खासकर मुस्लिम और यादव वोटरों के दम पर। लेकिन आजम हुसैन के प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज में शामिल होने से समीकरण बदल सकते हैं। जन सुराज की स्वच्छ और वैकल्पिक राजनीति की अपील युवा और तटस्थ वोटरों को आकर्षित कर सकती है। दूसरी ओर – एनडीए भी इस सीट को राजद से छीनने की रणनीति बना रही है।
आजम हुसैन की एंट्री से बाजपट्टी में त्रिकोणीय मुकाबले के आसार बन रहे हैं। आने वाले विधानसभा चुनाव में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या आजम हुसैन अपने पिता की बाहुबली छवि से अलग अपनी नई पहचान बना पाते हैं और जन सुराज के सिद्धांतों के साथ तालमेल बिठा पाते हैं? – या फिर यह कदम महज एक सियासी दांव साबित होगा। बाजपट्टी की जनता का फैसला इस सीट के भविष्य को तय करेगा।
