
Prashant Kishor in Arrah
Prashant Kishor in Arrah: जनता से सीधा कनेक्शन या नई किस्म का ‘पॉलिटिकल स्टार्टअप’?
बिहार के आरा में (Prashant Kishor in Arrah ) शो लेकर उतरे तो माहौल बना जैसे कोई नेता नहीं, कोई नया “राजनीतिक यूट्यूबर” आ गया हो! बोले 5000 किलोमीटर पैदल चले हैं — बढ़िया है, लेकिन सवाल ये है कि पैदल चलना विचारधारा बन गया या सिर्फ चुनावी ठिकाना खोजने का नया तरीका?
PK ने बोला — “जेपी के आंदोलन से कुछ बदला, लेकिन बिहार आज भी वहीं का वहीं है।”
अरे PK बाबू, सही पकड़े हैं! पर जब आप खुद ही हर पार्टी का स्वाद चख चुके हों — कभी मोदी का कैंप, कभी ममता की मैनेजरी — तो भरोसा कौन करे?
लालू की तलवार, चिराग की चतुराई और मंगल की चोरी — PK ने लपेटे सबको!
Prashant Kishor का सबसे चटपटा तड़का लालू यादव पर था —
“गरीब थे न? अब तलवार से केक काट रहे हैं!”
बोलना तो ठीक है, लेकिन PK खुद भी राजनीतिक परिवारवाद के अगल-बगल बहुत घूम चुके हैं।
लालू से बोले — “अगर किसी यादव को सही में नेता बनाना है, परिवार से बाहर सोचो। हम साथ हैं।”
पर PK बाबू, कहीं ऐसा तो नहीं कि आप बस लालू के घर के दरवाज़े से घूमकर खुद के लिए गली बना रहे हैं?
चिराग पर बोले — “अगर बिहार से प्यार है तो दिल्ली छोड़ो।”
अरे वाह! ये लाइन तो इतनी वायरल है कि चिराग भी बोले होंगे — “भाई ये तो मैं खुद भी नहीं सोच पाया!”
लेकिन PK साहब, ये भी तो बताइए — खुद कितने दिन बिहार में टिके रहेंगे या फिर अगले साल बंगाल, झारखंड या दिल्ली में अगला “यात्रा” लेकर निकल लेंगे?
मंगल पांडेय को भी धो डाला:
“चोरी की आदत नहीं जाती – कभी कॉटन, कभी कोविड।”
बोलना तो सही है, लेकिन मंगल अकेले थोड़ी हैं! पूरी सिस्टम पर उगाही का टैग लगाकर PK खुद बताना भूल जाते हैं कि इस सिस्टम का हिस्सा बनने के लिए वो खुद भी लाइन में हैं।
PK की योजना या जनता का जनरल ज्ञान — जन सुराज वाकई जनता का है?
Prashant Kishor ने कहा —
“243 विधानसभा में जाएंगे, 40 महिलाओं को टिकट देंगे, और जनता से सीधी बात करेंगे।”
भाई साहब, चुनावी बातें बड़ी हैं, लेकिन ज़मीनी संगठन कितना मज़बूत है, ये तो तब पता चलेगा जब वोटिंग मशीन खुलेगी।
अभी तक तो जन सुराज का हाल Netflix के ट्रेलर जैसा लग रहा है — हाई प्रोडक्शन, मगर असली कहानी का क्लाइमैक्स अधूरा।PK बोले — “या तो इतनी सीटें आएंगी कि सरकार बना लें, नहीं तो 5 साल और मेहनत करेंगे।”
माने 50-50 का फॉर्मूला — न मना, न पक्का। राजनीति नहीं, रियाज़ी का कंफ्यूज़न लग रहा है।Prashant Kishor in Arrah:जनता बोलेगी — सबका पर्दाफाश चाहिए, कोई नया दुकानदार नहीं!
अब बिहार की जनता समझदार हो गई है।
लालू के तलवार से केक खाने वाले समाजवाद से भी ऊब चुकी है,
नीतीश की पलटीबाज़ी की राजनीति से भी,
और चिराग की हर चीज़ को ‘ब्रांडिंग’ बना देने की स्टाइल से भी।अब PK के जन सुराज को भी जनता ऐसे ही तौलेगी —
“कितना असली, कितना एक्टिंग?”
और सबसे बड़ा सवाल — बिहार को चाहिए ‘बदलाव’, लेकिन क्या PK वाकई उसके ‘लायक’ हैं?#PrashantKishorInArrah #JanSuraj #BiharPolitics #LaluYadav #MangalPandey #ChiragPaswan #NitishKumar #Bihar2025 #PoliticalSatire