Postmortem Report Scam Sambhal का खुला नंगा सच!

Postmortem Report Scam Sambhal: ‘कब्र में गया सच’, अस्पताल में बना ली मौत की नई कहानी!

Postmortem Report Scam Sambhal में सचमुच इंसाफ की लाश खुद अस्पताल में पोस्टमार्टम टेबल पर पड़ी मिली! ₹50 हज़ार की चुपचाप डील, डॉक्टर की कलम और फार्मासिस्ट की उंगलियों ने हत्या को सुसाइड में बदल दिया। व्हाट्सएप चैट से लेकर कंप्यूटर ऑपरेटर तक, मेडिकल सिस्टम ने मिलकर इंसाफ को घसीटकर कब्र में पहुंचा दिया। संभल जिले के इस गोरखधंधे में 32 डॉक्टरों के नाम सामने आए हैं, पर अफ़सोस… सजा से ज़्यादा ‘माफी’ का वितरण हुआ

जनपद संभल। संवाददाता-रामपाल सिंह।

🩺 जब डॉक्टर बने कथानककार और लाशें बन गईं स्क्रिप्ट—Postmortem Report Scam Sambhal का खुला नंगा सच!

कभी आपने सोचा है कि किसी की लाश बोले, “सुनो, मैं मरी नहीं हूं, मुझे मारकर चुप करा दिया गया”? अगर नहीं सोचा, तो संभल आइए… यहां लाशें नहीं बोलतीं, लेकिन रिपोर्टें चीख-चीख कर कहती हैं— “सच को गला दबाकर फंदे से टांग दो, हम ₹50 हज़ार में नई मौत लिख देंगे!”

जी हां, संभल जिले का पोस्टमार्टम हाउस इन दिनों ‘रिपोर्ट निर्माण निगम’ बन चुका है। जहां डॉक्टरों की टीम पोस्टमार्टम नहीं, ‘पेड मर्डर स्टोरी’ रचने में व्यस्त है। मौत चाहे हत्या की हो या साजिश की, यहां उसकी पोस्टमार्टम रिपोर्ट ‘पैसों की राय’ से तैयार होती है।

Postmortem Report Scam Sambhal
Postmortem Report Scam Sambhal

📍 पोस्टमार्टम नहीं, ‘रिश्वार्टम’ चल रहा है संभल में!Postmortem Report Scam Sambhal

इस बार मामला सिर्फ चौंकाने वाला नहीं, सीधे जनतंत्र की आत्मा को चीर देने वाला है। पोस्टमार्टम हाउस के फार्मासिस्ट मधुर आर्य और ऑपरेटर यश शर्मा समेत कई लोग पुलिस के हत्थे चढ़े। आरोप है—सिर्फ ₹50 हज़ार में ‘रेगुलेशन’ से ‘हैंगिंग’ बना देते थे! यानी हत्या से खुदकुशी बना देना, इनका ‘डेली टास्क’ था।

आप सोचेंगे, “इतना बड़ा घोटाला, अफसर क्या कर रहे थे?” जवाब है—कैमरे से भाग रहे थे। और बंद कमरों में डॉक्टर डीएम से माफी मांग रहे थे! माफ भी हो गए! भगवान जाने, संभल में कौन भगवान है—डॉक्टर, डीएम या वो ₹50 हज़ार?

⚰️ तीन लाशें, एक कहानी: “सच की मौत बिकती है यहां!”Postmortem Report Scam Sambhal

मंजू हत्याकांड:
लड़की को परिजनों ने मारा, लेकिन रिपोर्ट में बना दिया ‘सुसाइड’। वजह? बॉयफ्रेंड को जेल भिजवाना था। ₹50 हज़ार में रेगुलेशन से हैंगिंग बना दी गई।

सुमन का केस:
शरीर पर चोटों के निशान थे, हाथ टूटा था, लेकिन रिपोर्ट में सब गायब। लिखा गया—”खुद फंदा लगाया”।

फौजी की पत्नी:
बिसरा जांच की बजाय बिसरा की डिबिया मृतका के पिता को थमा दी गई। रिपोर्ट कहती रही “सब ठीक है”, असलियत की लाश दफना दी गई।

डॉक्टर नहीं, रिपोर्ट लेखक हैं यहां!Postmortem Report Scam Sambhal

सूत्र कहते हैं—32 डॉक्टर शामिल हैं इस खेल में। सबूत? व्हाट्सएप चैट्स, पैसों की लेन-देन, रिपोर्टों की हेराफेरी, सब डिजिटल फाइलों में मौजूद है। लेकिन कार्रवाई? तीन सदस्यीय ‘फाइलों में खोई’ कमेटी बना दी गई है। अफसर कैमरे पर मौन हैं, पर्दे के पीछे माफीनामा पढ़वा रहे हैं।

जनता पूछ रही है: लाश भी अब रिश्वत दे तो इंसाफ मिलेगा?

संभल के पोस्टमार्टम हाउस से लाशें अब न्याय नहीं, सौदेबाज़ी के आंकड़े बनकर निकल रही हैं। अगर यही हाल रहा तो कल को कोई डॉक्टर कह देगा—“लाश हंसते-हंसते मरी थी, कोई दर्द नहीं हुआ!”

टोकन में इंसाफ, कैश में रिपोर्ट—संभल मॉडल देशभर में लागू हो जाए तो… RIP ट्रुथ!

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