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Police Negligence in Sambhal: मजदूर की जान और पुलिस का सौदा
संभल के जुनावई थाना क्षेत्र में तीन दिन पहले मजदूर की हत्या हुई। वजह? लेंटर डालने पर विवाद और फिर बेरहमी से क़त्ल। लेकिन इस हत्या के पीछे सबसे बड़ा सवाल यह है कि अगर पुलिस अपनी जिम्मेदारी निभाती तो क्या मजदूर की जान बच सकती थी? Police Negligence ने एक बार फिर साबित किया कि यहां कानून का पहरेदार पहले “ऑनलाइन ट्रांजैक्शन” देखता है, फिर जनता की सुरक्षा।
Police Negligence in Sambhal: रिश्वतखोरी का डिजिटल मॉडल
ASP की रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि मजदूर ने पहले ही अपनी सुरक्षा की गुहार लगाई थी। लेकिन सुरक्षा देने के नाम पर बबराला थाने में तैनात एक कॉस्टेबल और 112 पर तैनात दूसरे कॉस्टेबल ने उससे एक हजार रुपये ऑनलाइन पेमेंट मांगे। जी हां, अब पुलिस सुरक्षा भी “UPI पेमेंट” पर मिलती है।
कलेजा चीर देने वाली बात यह है कि जिस मजदूर ने अपनी जान की भीख मांगी, उसी से पुलिस ने डिजिटल भीख मांग ली। और फिर नतीजा – उसकी हत्या हो गई।
Police Negligence in Sambhal: ASP रिपोर्ट का सच
ASP की जांच रिपोर्ट ने पुलिस की वो “गंदगी” बाहर निकाल दी जिसे बरसों से लोग महसूस कर रहे थे। रिपोर्ट में साफ लिखा गया कि दोनों पुलिसकर्मियों की लापरवाही और रिश्वतखोरी की वजह से मजदूर की जान गई।
रिपोर्ट आते ही दोनों पुलिसकर्मी सस्पेंड कर दिए गए। लेकिन सवाल ये है कि क्या सस्पेंशन भर से मजदूर की जान वापस आ जाएगी? क्या ये कार्रवाई पुलिस विभाग के भीतर छिपी “UPI-ब्रिगेड” पर अंकुश लगाने के लिए काफी है?
Sambhal Murder Case: मजदूर की मौत और सिस्टम की मौत
जुनावई थाना क्षेत्र में मजदूर की हत्या ने सिर्फ एक परिवार को उजाड़ा नहीं, बल्कि सिस्टम की पोल भी खोल दी। गरीब मजदूर ने जब मदद मांगी तो उसे “Google Pay नंबर” थमा दिया गया। और जब उसने पैसे दिए, तब भी उसे सुरक्षा नहीं मिली।
इससे बड़ा मज़ाक और क्या हो सकता है? कानून की रखवाली करने वाले अब डिजिटल ठेकेदार बन गए हैं, और आम आदमी का खून इस ठेके की कीमत बन रहा है।
Police Negligence in Sambhal: सस्पेंशन का खेल
दोनों दोषी पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया गया। वाह! क्या न्याय है। यानी जनता का खून बहा दो, रिश्वत लो और फिर सस्पेंशन की छुट्टी काटो। न नौकरी जाएगी, न पेंशन रुकेगी।
ये सस्पेंशन “आंख में धूल झोंकने” से ज्यादा कुछ नहीं। संभल की जनता पूछ रही है – “सस्पेंड तो कर दिया, लेकिन क्या पुलिसिया वसूली का ये डिजिटल धंधा अब भी जारी नहीं रहेगा?”
Sambhal Murder Case: जनता का गुस्सा
मजदूर की मौत ने संभल में गुस्से की लहर पैदा कर दी है। लोग कह रहे हैं कि “गरीब के लिए सुरक्षा सिर्फ किताबों में है, हकीकत में तो उसकी जिंदगी भी UPI पेमेंट पर टिकी है।”
Police Negligence in Sambhal ने एक बार फिर भरोसे को तार-तार किया है। लोग सवाल पूछ रहे हैं कि अगर मजदूर को पुलिस सुरक्षा मिल जाती, तो क्या आज उसका परिवार रोता हुआ नजर आता?
Police Negligence in Sambhal: बड़ी तस्वीर
ये मामला सिर्फ दो कॉस्टेबलों की लापरवाही नहीं, बल्कि उस सिस्टम का आईना है जिसमें इंसाफ बिकता है, सुरक्षा बिकती है और आखिरकार जिंदगी बिकती है।
संभल का ये केस चेतावनी है – अगर पुलिस की ये डिजिटल दलाली नहीं रोकी गई तो कल कोई और मजदूर, कोई और गरीब इसी तरह मारा जाएगा और पुलिस फिर ASP रिपोर्ट का हवाला देकर हाथ झाड़ लेगी।
संभल में मजदूर की हत्या ने सिर्फ एक परिवार को उजाड़ा नहीं, बल्कि पुलिस पर से जनता का भरोसा भी खा लिया। Police Negligence in Sambhal अब सिर्फ एक खबर नहीं रही, ये उस बीमारी का नाम है जिसमें सुरक्षा भी “ऑनलाइन मनी ट्रांसफर” पर मिलती है।
सवाल यही है – कब तक गरीबों की जान पुलिस की लापरवाही और रिश्वतखोरी की बलि चढ़ती रहेगी?

 
         
         
         
        