PM Modi ने वंदे मातरम् पर चर्चा के दौरान नेहरू की सोच पर उठाए सवाल
भारत के राष्ट्रीय भावों को जगाने वाला मंत्र ‘वंदे मातरम्’ आज अपने 150 वर्ष पूरे कर चुका है। इसी अवसर पर लोकसभा में हुई विशेष चर्चा की शुरुआत करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने इसे देश की स्वतंत्रता की ऊर्जा, भारत की एकता का प्रतीक और मां भारती का पवित्र पुकार बताया।
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में जहां वंदे मातरम् की ऐतिहासिक यात्रा का स्मरण किया, वहीं इसके साथ हुए राजनीतिक अन्याय और विवादों पर भी खुलकर बात रखी। उनके अनुसार वंदे मातरम् सिर्फ एक गीत नहीं, बल्कि आजादी के लिए जनता का जनघोष था जिसने लाखों स्वतंत्रता सेनानियों को प्रेरित किया।
PM Modi: स्वतंत्रता आंदोलन का स्वर,वंदे मातरम्
मोदी ने कहा कि 1905 में जब अंग्रेजों ने बंगाल विभाजन की साजिश रची, तब वंदे मातरम् एक चट्टान की तरह लोगों को एकजुट करता रहा।
उनके शब्दों में—
- “वंदे मातरम् हर भारतीय का संकल्प बन गया था।”
- “अंग्रेज इसके शब्दों से डरने लगे थे।”
ब्रिटिश सरकार ने गीत पर प्रतिबंध लगाए, इसे बोलने पर सजा दी जाती थी, लेकिन लोग पीछे नहीं हटे।
कई स्वतंत्रता सेनानी ‘वंदे मातरम्’ कहते हुए फांसी के तख्ते पर चढ़ गए।

कांग्रेस और मुस्लिम लीग पर PM Modi का निशाना
पीएम मोदी ने अपने भाषण के दौरान इस बात पर भी कटाक्ष किया कि पिछली सदी में वंदे मातरम् को अनावश्यक विवादों में घसीटा गया। उन्होंने कहा:
- जिन्ना, मुस्लिम लीग ने 1937 में वंदे मातरम् का विरोध किया
- जिन्ना के दबाव में कांग्रेस पीछे हटी
- जवाहरलाल नेहरू ने जिन्ना के वंदे मातरम् विरोध की खुलेआम आलोचना नहीं की
- नेहरू के कांग्रेस अध्यक्ष रहते हुए, कांग्रेस की ओर से वंदे मातरम् के “शब्दों पर समीक्षा” की बात उठी और इसके टुकड़े कर दिए गए
मोदी के अनुसार ये वंदे मातरम् के साथ हुआ ऐतिहासिक अन्याय था, जिसे आने वाली पीढ़ियों को समझने की आवश्यकता है।
वंदे मातरम् का स्मरण—हम सबके लिए सौभाग्य
मोदी ने कहा कि वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूरे होना हमारे लिए गर्व का विषय है, क्योंकि—
- ये मंत्र त्याग और तपस्या का प्रतीक है
- इसने स्वतंत्रता संग्राम कोनई ऊर्जा दी
- ये देश कीएकता और अखंडता का आधार बना
उन्होंने ये भी कहा कि ये अवसर किसी दल या विचारधारा का नहीं, बल्कि पूरे राष्ट्र का सामूहिक ऋण स्वीकार करने का क्षण है।
इतिहास के अंधेरे पन्ने : 50, 100 और 150 वर्ष
प्रधानमंत्री ने वंदे मातरम् की विभिन्न कालखंडों की यात्रा का उल्लेख किया:
- 50 वर्ष:भारत अंग्रेजी गुलामी के बोझ तले था
- 100 वर्ष:देश आपातकाल की जंजीरों में कैद था, संविधान का गला घोंटा गया
- 150 वर्ष:भारत पुनः इस गौरव को स्थापित कर रहा है
उनके अनुसार वंदे मातरम् ने 1947 में देश को आजादी दिलाने की नींव रखी थी और आज फिर ये राष्ट्रभाव को मजबूत करने का प्रतीक है।
वंदे मातरम् का जन्म और उसका संदेश
PM Modi ने कहा कि बंकिम चंद्र चटोपाध्याय ने 1875 में वंदे मातरम् की रचना की थी। 1857 के विद्रोह के बाद अंग्रेज भारत को तोड़ने की कोशिश कर रहे थे, तब ये गीत भारतीयों के लिए मां भारती की रक्षा का आह्वान बनकर उभरा। ये गीत अंग्रेजों के खिलाफ स्वाभिमान का प्रतीक था। बंगाल, बारिसाल और अन्य प्रांतों में अंग्रेजी प्रतिबंधों के बावजूद लोग इस गीत को गाते रहे। बारिसाल की वीरांगना श्रीमती सरोजिनी बोस ने तब तक चूड़ियाँ न पहनने का संकल्प लिया जब तक प्रतिबंध नहीं हटता। बच्चे तक ‘वंदे मातरम्’ बोलने पर कोड़े खाते थे।
