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Plastic पर करारी चोट, गाजीपुर में हरियाली का संकल्प!
5 जून को गाजीपुर में पर्यावरण कुछ ज्यादा ही मुस्कुराता दिखा, जब कृषि विज्ञान केंद्र के प्रांगण में विश्व पर्यावरण दिवस की थीम “Ending Plastic Pollution Globally” को लेकर शानदार आयोजन हुआ। मौके पर मौजूद थीं राज्यसभा सांसद डॉ. संगीता बलवंत, और जैसे ही उन्होंने दीप जलाकर कार्यक्रम की शुरुआत की, वहां मौजूद पौधे भी शायद ताली बजाने को तैयार हो गए!
उन्होंने साफ-साफ कहा – “Plastic अब धरती के लिए प्लास्टर बन चुकी है, जो न हटे तो सांस लेना भी मुश्किल हो जाए।” उन्होंने ‘मां के नाम एक पेड़’ अभियान की भी जोरदार पैरवी की, और कहा कि सिर्फ भाषण से पर्यावरण नहीं बचेगा, मैदान में उतर कर पेड़ लगाने होंगे।
🎯 Plastic की प्लास्टिकबाज़ी बंद, अब असली हरियाली की तैयारी
कार्यक्रम की बात करें तो यह सिर्फ भाषणबाज़ी का मंच नहीं था, बल्कि एक सजीव हरियाली क्रांति का किकस्टार्ट था। नगर पालिका अध्यक्ष सरिता अग्रवाल ने पर्यावरण के पंचतत्वों – पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश – पर मंत्रमुग्ध कर देने वाला तर्क रखा, मानो कोई पौराणिक कथा फिर से जीवित हो उठी हो।
बीजेपी जिलाध्यक्ष ओमप्रकाश राय ने भी गंगा दशहरा और पर्यावरण के आपसी रिश्ते को जोड़ते हुए बताया कि “गंगा साफ तब होगी जब हर घाट पर वृक्ष होंगे, और Plastic की बोरियां नहीं।”
कार्यक्रम के बाद सबने ‘मां के नाम पेड़ 2.0’ की थीम के साथ आम और महोगनी के पौधे रोपे। अब जब नेतागण पेड़ लगाएं, वो भी कैमरा के बिना नहीं, तो समझिए कि बात सच में दिल से निकली है!
🏆 Plastic के खिलाफ कलम, तूलिका और तर्क की तिकड़ी!
कार्यक्रम में केवल भाषण नहीं, बल्कि छात्रों के लिए निबंध, चित्रकला और वाद-विवाद प्रतियोगिताएं भी हुईं — और भाई साहब! क्या जवाब दिए बच्चों ने! एक ने लिखा – “Plastic से बने हैं खिलौने, पर उससे बिगड़ते हैं सपने।”
जिन छात्रों ने शानदार प्रदर्शन किया, उन्हें प्रमाणपत्र, स्मृति चिन्ह और सिंदूर का पौधा उपहार स्वरूप दिया गया — अब यही पौधे उनकी मेहनत का प्रतीक बनेंगे।
📣 Plastic के ख़िलाफ़ अब साइलेंट प्रोटेस्ट नहीं, एक्शन की ज़रूरत है!
कार्यक्रम के सफल संचालन की कमान संभाली बृजेश कुमार श्रीवास्तव (जिला परियोजना अधिकारी, नमामि गंगे) ने, और गजब की समन्वय व्यवस्था रही। डॉक्टर जीव सिंह, क्षेत्रीय वन अधिकारी नम्रता सिंह, वन विभाग के तमाम अधिकारी भी इस हरित यात्रा के साथी बने।
डॉ. संगीता बलवंत का यह बयान कि “Plastic प्रदूषण से सिर्फ समुद्र नहीं, आत्मा भी गंदी हो रही है,” सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है। और सच भी यही है — अब वक्त है कि हम ग्लास में पानी भरें, ना कि Plastic की बोतलें।
Plastic छोड़िए, पेड़ पकड़िए — तभी सांस और समाज दोनों बचेगा!
गाजीपुर में आयोजित यह कार्यक्रम सिर्फ एक रस्मी आयोजन नहीं था, बल्कि Plastic के खिलाफ एक जन आंदोलन की शुरुआत थी। अब बारी हमारी है — हर व्यक्ति एक पौधा लगाए, और प्लास्टिक से जितना हो सके दूरी बनाए।
धरती को ऑक्सीजन चाहिए, बहानों की पॉलिथीन नहीं!
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