
Pilibhit Politics-पीलीभीत में सपा का कार्यालय खाली कराया गया
पीलीभीत/संवाददाता-शकुश मिश्रा: Pilibhit Politics-18 जून की सुबह जब बाकी यूपी वाले चाय में बिस्किट डुबो रहे थे, तब Pilibhit में लोकतंत्र की ऐसी धुलाई हुई है, जैसे किसी पुराने कालीन को डंडे से कूट-कूट कर झाड़ा जाता है। बयान वही पुराना—अवैध कब्जा।
अब बताइए, राजनीति का मंच था या कुश्ती का अखाड़ा? सपा कार्यालय अभी यहां सांसें ले रहा था –बाकायदा मुद्दे बनाए जा रहे थे,घोषणाएं की जा रही थीं। चाय पकौड़े के साथ भविष्य की सियासी रणनीति तैयार हो रही थी कि, गजोदर भैया का बुलडोजर गरज गया, और दशकों पुराने सपा कार्यालय पर ऐसा ताला जड़ा कि उसकी चाबी लखनऊ पहुंचा दी। यह सिर्फ एक ताला नहीं था, बल्कि पीलीभीत में एक बड़ा संदेश था कि ‘सरकारी जमीन’ पर ‘सियासी दुकान’ अब और नहीं चलेगी। इस पूरे ऑपरेशन का ड्रामा इतना हाई-वोल्टेज था कि बड़े-बड़े फिल्म डायरेक्टर भी स्क्रिप्ट मांगने मुंबई से पीलीभीत चले आए!
अल्टीमेटम को लिया हल्के में? ‘सरकारी जमीन’ पर महंगा पड़ा ‘कब्जा’!
कहानी की पटकथा कुछ दिन पहले ही लिखी जा चुकी थी। प्रशासन ने बड़े प्यार से सपा नेताओं को समझाया था कि हुजूर, जिस आलीशान दफ्तर में आप अपनी सियासी रणनीतियां बना रहे हैं, वो सरकारी जमीन पर बना है। बाकायदा 16 जून तक का ‘शुभ मुहूर्त’ भी दिया गया था कि आप अपना बोरिया-बिस्तर समेट लें। लेकिन शायद सपा नेताओं को लगा कि ये कोई मजाक चल रहा है, या फिर उन्हें उम्मीद थी कि कोई ‘सेटिंग’ हो जाएगी। उन्होंने अल्टीमेटम को हल्के में लिया और कार्यालय खाली नहीं किया। और यहीं से शुरू हुई इस सियासी ‘एक्शन-फिल्म’ की तैयारी, जिसका क्लाइमेक्स बुधवार सुबह देखने को मिला।
धक्का-मुक्की और ‘पैंतीस’ गिरफ्तार: Pilibhit Politics क्लाइमेक्स और पुलिस का ‘गिफ्ट’!
बुधवार की सुबह, जब पीलीभीत की जनता अभी चाय की चुस्कियां ही ले रही थी, तब सात थानों की फोर्स, यानी 200 से ज्यादा पुलिसकर्मियों का एक ‘महाकुंभ’ सपा कार्यालय पर ‘दर्शन’ देने पहुँच गया। नगर पालिका की टीम साथ थी और इरादे एकदम साफ थे। आते ही सबसे पहले मुख्य द्वार पर एक भारी-भरकम ताला लगाया गया। फिर, पेंट का डिब्बा और ब्रश निकाला गया और दीवार पर लिखे ‘समाजवादी पार्टी कार्यालय’ को ऐसे मिटवाया गया जैसे गूगल मैप से कोई गलत लोकेशन हटाई जा रही हो। इतना ही नहीं, जो पार्टी का झंडा शान से लहरा रहा था, उसे भी उसकी जगह से ‘मुक्त’ कर उखाड़ फेंका गया। इस पूरे घटनाक्रम ने Pilibhit Politics में एक नया अध्याय लिख दिया।
जब यह ‘सौंदर्यीकरण’ अभियान चल रहा था, तो सपा जिलाध्यक्ष जगदेव सिंह जग्गा अपने कुछ समर्थकों के साथ विरोध का झंडा बुलंद करने पहुँचे। लेकिन भारी पुलिस बल के सामने उनकी एक न चली। हल्की-फुल्की नोकझोंक और नारेबाजी के बीच, पुलिस वालों ने जिलाध्यक्ष जी को हल्का सा ‘स्नेहपूर्ण धक्का’ देकर साइड कर दिया। जो कार्यकर्ता ज्यादा जोश में थे, ऐसे कुल 35 ‘क्रांतिकारियों’ को पुलिस वैन में बैठाकर ‘चाय-नाश्ते’ पर थाने ले जाया गया, ताकि वे शांति से अपनी आगे की रणनीति पर विचार कर सकें!
इस पूरे ऑपरेशन ने यह साफ कर दिया है कि प्रशासन अब किसी भी तरह के सरकारी अतिक्रमण को बर्दाश्त करने के मूड में नहीं है, चाहे उस पर किसी भी राजनीतिक दल का बोर्ड क्यों न लगा हो। सपा के लिए यह एक बड़ा झटका है, क्योंकि अब उन्हें पीलीभीत में अपनी राजनीति के लिए एक नया ‘हेडक्वार्टर’ ढूंढना पड़ेगा। फिलहाल, पीलीभीत की हवा गर्म है और शहर में इस बात की चर्चा है कि अगला नंबर किसका है!