Pilibhit malaria-पीलीभीत में मलेरिया मच्छरों का बढ़ा आतंक!

Pilibhit malaria: मच्छरों ने बदली सत्ता, पीलीभीत को बनाया नया राजधानी ज़िला!

संवाददाता-शकुश मिश्रा।

Pilibhit malaria-तो जनाब, 2025 में “मच्छरों का राजतिलक” अब बदायूं में नहीं, पीलीभीत में हुआ है। यानी अब मलेरिया के महामहिम का स्थायी पता बदल चुका है — 329 केसों के साथ पीलीभीत बना मंडल का नया ‘बीमारपुर’।

बरेली (311 केस) और शाहजहांपुर (224 केस) जैसे पुराने खिलाड़ी अब ‘फॉर्म से बाहर’ माने जा रहे हैं, जबकि बदायूं (200 केस) तो इस साल मच्छरों के लिए शायद ‘स्लो नेटवर्क ज़ोन’ बन गया है।

Pilibhit malaria-आंकड़े नहीं, ये तो मच्छरों की विजेता ट्रॉफी है

स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक 5 महीने में मंडल में 966 मलेरिया केस — यानी हर दिन, हर मोहल्ले में मच्छरों की एक “Blood Donation Drive” चल रही है।
और ये कोई साधारण मच्छर नहीं, Plasmodium Vivax ब्रांडेड हैं — यानी ‘डिज़ाइनर बाइट’।

जब डेंगू ने मलेरिया से कहा: “भाई, मैं भी लाइन में हूं”

डेंगू ने भी अपने पंजे गाड़ दिए हैं।

बरेली: 3 केस

शाहजहांपुर: 2 केस

डेंगू भाई साहब आमतौर पर जुलाई में एंट्री लेते हैं, लेकिन इस बार जून में ही टीज़र लॉन्च कर दिया। ट्रेलर बाकी है! मच्छरों का मिजाज देखकर लगता है कि वे जल्द ही इन जिलों में भी ‘डेंगू डांस’ शुरू कर सकते हैं

Pilibhit malaria-मच्छरों की बाइट और सिस्टम की बहानेबाज़ी

स्वास्थ्य विभाग दावा कर रहा है — “लोग अब जागरूक हो रहे हैं।”
कैसे?

कहीं बर्तन उलटे जा रहे हैं,

कहीं फॉगिंग की फोटो खिंचाई जा रही है,

और कहीं सर्वे टीमों को देखकर मच्छर खुद पेड़ पर जाकर बैठ जा रहे हैं!

डॉ. अखिलेश्वर सिंह का बयान सुनिए — “जांचें बढ़ी हैं, पर केस घट रहे हैं।”
जनता पूछ रही है — “तो जो 329 केस हुए वो क्या, नींद में काटा था मच्छरों ने?”

Pilibhit malaria बना नया ‘बायोलॉजिकल टूरिस्ट स्पॉट’

अब तो स्थिति ऐसी है कि टूरिस्ट गाइड भी कहने लगे हैं —
“इधर आएं, ये है पीलीभीत का मच्छर घाट — यहां हर काट एक कहानी है!”

सड़कों पर फॉगिंग के धुएं से ज़्यादा व्हाट्सएप पर फॉरवर्ड हो रहे हैं “मलेरिया से कैसे बचें” वाले मैसेज।
लेकिन अफसोस, मच्छरों को न तो इंटरनेट चाहिए, न दवाई — उन्हें चाहिए सिर्फ आपका खून.. फ्री में… बिना टेस्ट रिपोर्ट के!

Pilibhit malaria-जब सरकार सोती है, मच्छर जागते हैं

 Malaria की ये कहानी अकेले एक जिले की नहीं, पूरे सिस्टम की लाचारी का ‘लार्वा’ है।

हर साल वही आंकड़े, वही बयान, वही बैठकें।

और मच्छर? हर साल नई योजना, नई रणनीति, और नई काट के साथ।

कहते हैं ‘बड़ी-बड़ी बीमारियां बड़ी-बड़ी जगहों से शुरू होती हैं’ — अब मलेरिया ने बता दिया कि उसका नया अड्डा छोटा ज़िला पीलीभीत है, लेकिन असर बड़ा है।

आंकड़ों का खेल: मच्छरों की जीत, इंसानों की हार

बरेली मंडल में मच्छरों का आतंक नया नहीं है। आइए, बीते सालों के आंकड़ों पर एक नजर डालें:

2022: बरेली-1806, बदायूं-1373, पीलीभीत-42, शाहजहांपुर-518 Malaria Cases
2023: बरेली-3490, बदायूं-3224, पीलीभीत-563, शाहजहांपुर-617।
2024: बरेली-2817, बदायूं-3610, पीलीभीत-414, शाहजहांपुर-845।

Pilibhit malaria-मच्छरों का मास्टरप्लान: स्वास्थ्य विभाग की कागजी जंग

मच्छरों ने तो जैसे बरेली मंडल को अपना हेडक्वार्टर बना लिया है। जलभराव, गंदे नाले, और खुले कूलर—ये सब मच्छरों के लिए फाइव-स्टार होटल हैं। स्वास्थ्य विभाग हर साल Anti-Malaria Campaign और Dengue Awareness Drive चलाता है, लेकिन मच्छर इन कैंपों को ‘पिकनिक’ समझकर मजे लेते हैं। UP Government ने 1 अप्रैल से 30 अप्रैल 2025 तक विशेष संचारी रोग अभियान चलाया, जिसमें 12 विभाग मिलकर मच्छरों से जंग लड़ रहे हैं। लेकिन सवाल ये है—क्या मच्छर इन कागजी शेरों से डरते हैं।
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