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🔥 Pilibhit Hospital Lift की लाचारी पर लाज कैसे नहीं आई ?
Pilibhit Hospital Lift एक बार फिर सवालों के घेरे में है, लेकिन जवाब देने वाला कोई नहीं! चार मंजिला महिला अस्पताल में प्रसव पीड़ा से कराहती महिलाएं जब रैंप चढ़ती हैं, तो लगता है मानो यह अस्पताल नहीं, कोई “विनाश भवन” है। लिफ्ट? जी हां, वो महाशय जो सालों से या तो सो रहे हैं या मरम्मत के बहाने सरकार की संवेदनहीनता का पोस्टर बन गए हैं।
स्वास्थ्य विभाग कहता है – “प्रस्ताव भेज दिया है”, और महिलाएं कह रही हैं – “दर्द भेज दिया है”! गर्भवती महिला हो या नवजात की मां – सभी अस्पताल की खराब लिफ्ट की कब्र पर चढ़कर ऊपर पहुंच रही हैं। और मंत्री जी के बयानों में हर सिस्टम “चकाचक” है।

CMO साहब की ‘चिट्ठी-सेवा’ और प्रिंसिपल मैडम का ‘अमर’ एक हफ्ता!
इस पूरे तमाशे पर जब अधिकारियों से जवाब मांगा गया, तो उन्होंने ऐसी ‘सरकारी कलाबाजियां’ दिखाईं कि सर्कस वाले भी शरमा जाएं।
कलाकार नंबर 1: मुख्य चिकित्साधिकारी (CMO) साहब! CMO डॉ. आलोक कुमार शर्मा ने अपनी सबसे बड़ी तोप निकाली – एक और ‘चिट्ठी’! उन्होंने फरमाया, “हमने पहले भी चिट्ठी लिखी थी, अब फिर से कार्रवाई के लिए चिट्ठी भेजेंगे।” तालियों की गड़गड़ाहट होनी चाहिए इस ‘तूफानी एक्शन’ के लिए! जब तक साहब का पत्र कबूतर उड़ाकर मेडिकल कॉलेज तक पहुँचेगा, तब तक न जाने कितनी गर्भवती महिलाएं अपनी सांसें फुलाकर रैंप नाप चुकी होंगी।
कलाकार नंबर 2: मेडिकल कॉलेज की प्रिंसिपल मैडम! प्रिंसिपल डॉ. संगीता अनेजा ने तो एक ऐसा अमर वादा कर दिया जो शायद सदियों तक गूंजेगा। उन्होंने कहा, “एक सप्ताह में लिफ्ट शुरू हो जाएगी।” वाह! यह ‘एक सप्ताह’ शायद ब्रह्मा जी के कैलेंडर का है, जो धरती के कई साल बीत जाने पर भी पूरा नहीं होता। यह वही वादा है जो सालों से पीलीभीत की जनता सुन रही है।
और इस पूरे सर्कस के बीच हमारे ‘महाबली’ स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक जी कहाँ हैं? जो छोटी-मोटी खामी पर भी पूरा अस्पताल सिर पर उठा लेते हैं, जो अपने औचक निरीक्षण के लिए अखबारों की सुर्खियां बनते हैं। लगता है, उनके निरीक्षण वाली गाड़ी का गूगल मैप पीलीभीत आते-आते सिग्नल खो देता है, या शायद महिला अस्पताल की चार मंजिला इमारत उन्हें ‘ग्राउंड फ्लोर’ से ही एकदम चकाचक नजर आती है!
Pilibhit Hospital Lift- ने दिखाया गर्भवती का “फिटनेस टेस्ट”!
चार मंज़िला अस्पताल में प्रसव वार्ड ऊपर है, और Hospital lift नीचे बंद पड़ी है। प्रसव कक्ष भूतल पर, ओपीडी पहले तल पर और भर्ती वार्ड ऊपर, लेकिन लिफ्ट सिर्फ दीवार में धंसी एक सरकारी उम्मीद बनकर रह गई है। गर्मी में जहां आम आदमी की सांस फूल जाए, वहां पीड़ा से कराहती महिलाओं को रैंप पर चढ़ने को मजबूर किया जा रहा है। यही है वो “मातृत्व का सम्मान” जो सरकार वादों में बांटती है और ज़मीनी हकीकत में कुचल देती है।

Pilibhit Hospital Lift–सवाल जो प्रशासन को बेचैन करेंगे
💥 यूपी की लिफ्ट बंद, घोषणाएं चालू — अब जनता कहे: “अब बस, बहुत हुआ!”

अगर यही हाल किसी मंत्री के सरकारी दरफ्तर के लिफ्ट का होता, तो आज तक चार अफसर सस्पेंड हो जाते। मगर जब दर्द उठाने वाली महिलाओं की बात आती है, तो “तकनीकी खराबी” शब्द ही सिस्टम का कवच बन जाता है।लिहाजा कहने में गुरेज कि, पीलीभीत के सरकारी अस्पताल की खराब पड़ी लिफ्ट पर सिर्फ धूल नहीं, सरकारी संवेदनहीनता की परतें जम चुकी हैं, जिसे हटा पाना अब शायद नामुमकिन सा लगता है.

 
         
         
         
        