पीलीभीत। संवाददाता- शकुश मिश्रा। तकनीक की दुनिया ने जितनी तेज़ रफ्तार पकड़ी है, उतनी ही रफ्तार से ठगी का नया मॉडल भी दौड़ने लगा है—पीलीभीत में Digital Fraud इसका ताज़ा नमूना है। यहां ITI में पढ़ने वाला मनोज कुमार खुद को डिजिटल इंडिया का अगला इंजीनियर समझ बैठा और बना बैठा एक ऐसा क्लोन UPI जादूगर, जो दिखाता था पेमेंट मैसेज, पर भेजता था धुआं। दुकानदारों की जेबें खाली और फोन में भरपूर स्क्रीनशॉट—बस यही था उसका कमाल।
बताया जा रहा है कि, आरोपी मनोज ने शाही गांव से चलाया डिजिटल बेईमानी का ओला कैब, जहां गाड़ी नहीं, भरोसा बुक होता था। व्यापार मंडल के युवा नेताओं ने जब इसकी दुकानदारी को पकड़ा, तो निकला कि साहब को लंबे वक्त से सेनेटरी दुकान वाले फ्री फ्री फ्री सामान बांट रहे थे, और बदले में साहब थमा रहे थे फेक पेमेंट मैसेज।
मोबाइल में निकला ‘भूतिया’ ऐप, पुलिस भी चकरा गई!
युवा व्यापारी अभिषेक शर्मा को जब शक हुआ, तो उन्होंने 16 जून को आरोपी की डिजिटल जादूगरी का भांडा फोड़ा। मोबाइल की जांच की तो निकला कि छात्र मनोज कुमार असली UPI ऐप का बिलकुल हूबहू जोड़ीदार बना बैठा था—नकली ऐप, असली ठगी। पूछताछ में जनाब ने माना कि उन्होंने कई बार पेमेंट की नाकाम नकल से व्यापारियों को उल्लू बनाया।
थाना अध्यक्ष पवन पांडे के मुताबिक आरोपी के मोबाइल से Digital Fraud के कई और केस भी सामने आ सकते हैं। फिलहाल पुलिस उन सबके नाम निकाल रही है जिनका मनोज ने डिजिटल खून पीया है।
क्यों बनते हैं लोग Digital Fraud के शिकार?
अब सवाल ये उठता है कि जब हर जगह जागरूकता फैलाई जा रही है, तब भी लोग Digital Fraud in Pilibhit जैसे मामलों के जाल में क्यों फंस जाते हैं?
क्योंकि आंखें फोन पर रहती हैं, दिमाग छुट्टी पर।
क्योंकि पेमेंट मैसेज देखते ही “Thank You” बोलना, संस्कार में शामिल हो गया है।
क्योंकि दुकानदारों को ये लगता है कि कोई बच्चा UPI से ठगी नहीं कर सकता—पर ये नया भारत है बाबू!
कैसे बचें Digital Fraud से? एक मिनट का ध्यान, लाखों का बचाव
डिजिटल फ्रॉड से बचने के लिए सतर्कता ही सबसे बड़ा हथियार है। यहां कुछ आसान उपाय हैं जो पीलीभीत के व्यापारियों और आम लोगों को सुरक्षित रख सकते हैं:
खाते में पैसे की पुष्टि करें: UPI पेमेंट का मैसेज देखने के बाद हमेशा अपने बैंक खाते या UPI ऐप में बैलेंस चेक करें।
ऐप की सत्यता जांचें: केवल Google Play Store या Apple App Store से डाउनलोड किए गए UPI ऐप्स का इस्तेमाल करें। अनजान लिंक से ऐप डाउनलोड न करें।
QR कोड स्कैन करें: ग्राहक के फोन से भुगतान मैसेज देखने के बजाय, अपने QR कोड का इस्तेमाल करें ताकि पेमेंट सीधे आपके ऐप में दिखे।
जल्दबाजी से बचें: ग्राहक के दबाव में आए बिना पेमेंट की पुष्टि करें। समय लें, जांच करें।
पुलिस को सूचित करें: अगर आपको शक हो, तुरंत पुलिस को सूचना दें और संदिग्ध का फोन चेक करवाएं।
साइबर अपराध के आंकड़े: भारत में डिजिटल फ्रॉड की डरावनी सच्चाई
आंकड़े झूठ नहीं बोलते, और ये वाकई डराने वाले हैं। भारतीय साइबर क्राइम समन्वय केंद्र (I4C) के अनुसार, भारत में साइबर अपराध से होने वाला नुकसान 2023 में 921.59 करोड़ रुपये से बढ़कर 2024 में 19,888 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। इसमें UPI और डिजिटल भुगतान से जुड़े फ्रॉड का बड़ा हिस्सा है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की 2024 की रिपोर्ट बताती है कि साइबर अपराध के मामले 24% की वृद्धि के साथ 65,893 तक पहुंच गए, जिनमें से 40% मामले डिजिटल भुगतान धोखाधड़ी से जुड़े थे। पीलीभीत जैसे छोटे शहर भी इस जाल से नहीं बचे, जहां स्थानीय व्यापारी तकनीक के भरोसे ठगे जा रहे हैं।
मनोज के पकड़े जाने के बाद पीलीभीत के व्यापार मंडल में गुस्सा और एकजुटता दोनों दिख रही है। जिला अध्यक्ष शैली शर्मा ने पुलिस से सख्त कार्रवाई की मांग की है,जिससे भविष्य में कोई और “डिजिटल चोर” व्यापारियों को ठगने की हिम्मत न करे। संगली पुलिस इस मामले को गंभीरता से ले रही है और मनोज के फोन से यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि उसने और कितने लोगों को चूना लगाया।
यह घटना एक चेतावनी है कि डिजिटल युग में तकनीक जितनी सुविधा देती है, उतना ही जोखिम भी लाती है। पीलीभीत के व्यापारियों को अब और सतर्क रहना होगा। जैसा कि पुरानी कहावत है, “चोर की दाढ़ी में तिनका”—और इस बार, वह तिनका व्यापार मंडल की सतर्कता ने पकड़ लिया। लेकिन सवाल यह है: क्या हम अगले डिजिटल फ्रॉड को रोकने के लिए तैयार हैं?