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Pilibhit Dharmantaran: उतर प्रदेश का पीलीभीत जिला जिसकी कोई खास पहचान नहीं है। ये जिला केवल घने जंगलों और बाघ संरक्षण के लिए जाना जाता है। लेकिन पिछले कुछ सालों से इस जिले की चर्चा किसी और विषय को लेकर हो रही है। और वो विषय है धर्मांतरण। नेपाल बॉर्डर से सटे होने के कारण पिछले कुछ सालों से यहां के दर्जनों गांवों में धर्मांतरण(Dharmantaran) का खेल जारी है। जिसने प्रशासन की चिंता बढ़ा दी है। ये अब न केवल कानूनी मसला बन चुका है, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से भी पीलीभीत को प्रभावित कर रहा है।

पीलीभीत:पिछले कुछ सालों से भारत के कई राज्यों में धर्मांतरण(Dharmantaran) का मुद्दा गाहे-बगाहे आता रहता है। पहले जहां इसके ज्यादातर मामले केरल में आते थे,वहीं अब यूपी में भी ये धीरे-धीरे पांव पसार रहा है। सीएम योगी के रहते हुए धर्मांतरण(Dharmantaran) की खबर आने से लोग खासे चिंतित नजर आ रहे हैं। खासकर पीलीभीत के वो गांव जो नेपाल से सटे हैं,यहां ये खेल तेजी से हो रहा है। जिससे प्रशासन की चिंता बढ़ गई है।

यहां के करीब एक दर्जन गांवों में सिख समुदाय के लोगों को लालच, डर, और अंधविश्वास के जरिए ईसाई धर्म में परिवर्तन के लिए प्रेरित किया जा रहा है। यह मामला तब और गंभीर हो गया जब स्थानीय गुरुद्वारा कमेटी और सिख संगठनों ने इसके खिलाफ आवाज उठाई। यहां सवाल उठता है कि, किन-किन गांवों में धर्मांतरण(Dharmantaran) का ये खेल खेला जा रहा है।
✝ किन गांवों में चल रहा धर्मांतरण का खेल ?
पीलीभीत के जिन गांवों में धर्म परिवर्तन(Dharmantaran) की घटनाएं अधिक सामने आई हैं। उनमें झरना, नौरंगपुर,हरदुआ, करनपुर बीसलपुर के कुछ ग्रामीण इलाकेऔर माधोटांडा क्षेत्र के सीमावर्ती गांव शामिल हैं। ये सभी गांव नेपाल बॉर्डर से सटे हैं। बताया जा रहा है कि, इन इलाकों में बाहरी मिशनरी संगठनों के जरिए धार्मिक सभाएं, जीवन में चमत्कार होने के दावे और पैसों का लालच देकर स्थानीय लोगों को ईसाई धर्म अपनाने के लिए प्रेरित किया जाता है। कई मीडिया रिपोर्टस और सोशल मीडिया के मुताबिक नेपाल से आए पादरी सिख समुदाय को निशाना बना रहे हैं। दावा है कि, इन गांवों में तीन हजार से अधिक लोगों का अब तक धर्म परिवर्तन(Dharmantaran) कराया जा चुका है।
कई घरों पर लगे हैं क्रॉस✝ के निशान
धर्मांतरण से प्रशासन की बढ़ी टेंशन
Dharmantaran की घटनाओं से प्रशासन चिंतित है। और इसे रोकने के लिए लगातार कोशिश कर रहा है। पुलिस और खुफिया एजेंसी लगातार धर्मांतरण के पूरे खेल पर नजर बनाए हुए हैं। धर्मांतरण विरोधी कानून के तहत कुछ मामलों में केस दर्ज भी किया गया है। कुछ मामलों में जांच चल रही है। हिंदू संगठनों और ग्राम समितियां भी इस मुद्दे पर जनजागरण अभियान चला रही हैं।
धर्मांतरण विरोधी कानून?

उत्तर प्रदेश में धर्मांतरण को रोकने के लिए 2021 में “उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम” लागू किया गया। इसके तहत
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जबरन, धोखे से, लालच देकर या शादी के बहाने धर्म परिवर्तन(Dharmantaran) कराना अपराध है।
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धर्मांतरण(Dharmantaran) कराने में दोषी पाए जाने पर 5 साल तक की सजा और जुर्माना हो सकता है।
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सामूहिक धर्मांतरण(Dharmantaran_) कराने पर दोषी पाए जाने पर 10 साल तक की सजा का प्रावधान है।
धर्मांतरण के लिए होती है विदेश से फंडिंग?
स्थानीय निवासियों का कहना है कि, धर्मांतरण के लिए विदेशों से फंडिंग होती है। इसके लिए नेपाल के रास्ते ईसाई मिशनरियों को पैसा और दूसरी जरूरी सामग्री की आपूर्ति की जाती है। दरअसल नेपाल में धर्म परिवर्तन(Dharmantaran) को लेकर कोई सख्त कानून नहीं है। जिसके कारण वहां इस तरह की गितिविधियों को संचालित करने में कोई परेशानी नहीं होती है.। यही कारण है कि, पीलीभीत के जो भी इलाके नेपाल से सटे हैं, वो Dharmantaran का ट्रांजिट प्वॉइंट बनते जा रहे हैं।