
Iran का दावा : Pakistan, Israel पर परमाणु बम से हमला करेगा..!
बीते कुछ दिनों में इजरायल (Israel) द्वारा ईरान (Iran) पर किए गए हमलों ने न केवल पश्चिम एशिया, बल्कि दक्षिण एशिया की भू-राजनीति को भी हिलाकर रख दिया है। इस घटनाक्रम के बीच पाकिस्तान (Pakistan) की एक प्रतिक्रिया वैश्विक मंच पर चर्चा का केंद्र बन हुई है। दरअसल हाल ही में पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने नेशनल असेंबली में जोश भरे भाषण में इजरायल की कार्रवाइयों की कड़ी निंदा की थी और मुस्लिम देशों से एकजुट होकर इजरायल के खिलाफ रणनीति बनाने का आह्वान किया था। उन्होंने ईरान, यमन और फिलिस्तीन पर इजरायल के हमलों का जिक्र करते हुए कहा कि यदि मुस्लिम देश अब भी एकजुट नहीं हुए, तो सभी का यही हश्र होगा। आसिफ ने ये भी कहा कि पाकिस्तान ईरान के साथ खड़ा है और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उसका समर्थन करेगा।
Iran ने Pakistan की मुसीबत बढ़ाई !
पाकिस्तान की Israel-Iran के मुद्दे पर बयानबाजी के बीच ईरान ने एक ऐसा दावा किया, जिसने पाकिस्तान को असहज स्थिति में ला खड़ा किया। ईरान की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के सदस्य और आईआरजीसी कमांडर जनरल मोहसेन रेजाई ने दावा किया कि पाकिस्तान ने भरोसा दिया है कि यदि इजरायल ईरान पर परमाणु हमला करता है, तो पाकिस्तान भी इजरायल पर परमाणु जवाब देगा। इस बयान ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हलचल मचा दी, क्योंकि ये पाकिस्तान की परमाणु नीति में बड़े बदलाव का संकेत देता था।
Pakistan का यू-टर्न और सफाई
ईरान के इस दावे के बाद पाकिस्तान सरकार को तुरंत सफाई देनी पड़ी। रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ और विदेश मंत्री इशाक डार दोनों ने इस बयान को सिरे से खारिज कर दिया। आसिफ ने कहा कि पाकिस्तान ने इजरायल के खिलाफ परमाणु हमले की कोई बात नहीं की और न ही ऐसा कोई इरादा है। वहीं, इशाक डार ने संसद में स्पष्ट किया कि पाकिस्तान की परमाणु नीति 1998 से अपरिवर्तित है और यह केवल आत्मरक्षा के लिए है। इशाक डार ने ईरानी जनरल के वायरल हो रहे बयान और उससे जुड़ी ख़बर को “गैर-जिम्मेदाराना और झूठा” करार दिया। डार ने यह भी जोड़ा कि इजरायल, “पाकिस्तान की ओर आंख उठाकर भी नहीं देख सकता।”
अमेरिका-पाकिस्तान की दोस्ती, भू-राजनीतिक खेल
इस पूरे घटनाक्रम के बीच एक महत्वपूर्ण पहलू ये है कि पाकिस्तान और अमेरिका के बीच बढ़ती नजदीकी ने इस स्थिति को और जटिल बना दिया है। पाकिस्तान के सेना प्रमुख आसिम मुनीर, जो हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर के बाद फील्ड मार्शल के पद पर प्रमोट हुए, इस समय अमेरिका के दौरे पर हैं। वहां वे अमेरिकी सीनेटरों और थिंक टैंकों से मुलाकात कर रहे हैं। ऑपरेशन सिंदूर के बाद से अमेरिका की नीति में पाकिस्तान के प्रति नरमी देखी जा रही है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया कि उनकी मध्यस्थता से भारत-पाकिस्तान तनाव कम हुआ, हालांकि भारत ने इस दावे को खारिज किया।
पाकिस्तान और अमेरिका के बीच ये नजदीकी आर्थिक और भू-राजनीतिक हितों से प्रेरित है। पाकिस्तान ने अमेरिकी कंपनियों को बलूचिस्तान में खनन के ठेके दिए हैं और एक बड़े क्रिप्टो डील में भी अमेरिका के साथ सहयोग किया है। इसके अलावा, अमेरिका पाकिस्तान के खुफिया तंत्र में फिर से पैठ बनाने की कोशिश कर रहा है, जो इमरान खान के कार्यकाल में कमजोर हुई थी।
ईरान-अमेरिका के बीच पाकिस्तान की रणनीति
पाकिस्तान का पड़ोसी देश ईरान अमेरिका के लिए “बुराई का केंद्र” माना जाता है। अमेरिका, ईरान की परमाणु महत्वाकांक्षाओं को रोकना चाहता है और इसके लिए वो इजरायल के साथ मिलकर काम कर रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका को ईरान पर नजर रखने के लिए पाकिस्तान की जमीन चाहिए, क्योंकि पाकिस्तान और ईरान की 909 किलोमीटर लंबी सीमा है। इसीलिए अमेरिका आसिम मुनीर को समर्थन दे रहा है और पाकिस्तान को “आतंकवाद के खिलाफ शानदार काम” करने वाला बता रहा है।
आसिम मुनीर का अमेरिका दौरा ऐसे समय में हो रहा है, जब इजरायली जेट ईरान पर हमले कर रहे हैं। इसे संयोग नहीं माना जा रहा है, बल्कि ये सोची समझी रणनीति है। विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिका ने आसिम मुनीर के अमेरिकी दौरे के जरिए पाकिस्तान को ईरान के मुद्दे पर तटस्थ रखने की रणनीति अपनाई है। यदि मुनीर पाकिस्तान में होते, तो उन पर ईरान का समर्थन करने का दबाव बढ़ सकता था, क्योंकि पाकिस्तान खुद को इस्लामी दुनिया का अगुआ मानता है।
दोहरी नीति में फंस गया पाकिस्तान
अमेरिका से भी याराना और ईरान से भी दोस्ती, पाकिस्तान की इस दोहरी नीति ने एक बार फिर उसकी भू-राजनीतिक दुविधा को उजागर किया है। एक तरफ पाकिस्तान, ईरान के साथ अपनी “इस्लामी एकता” दिखाने की कोशिश कर रहा है, वहीं दूसरी तरफ अमेरिका के साथ आर्थिक और सैन्य सहयोग बढ़ा रहा है। ये संतुलन बनाए रखना पाकिस्तान के लिए आसान नहीं होगा, खासकर तब जब वो आर्थिक संकट से जूझ रहा है और उसे पश्चिमी देशों से वित्तीय सहायता की जरूरत है। इस बीच, ईरान के दावों और पाकिस्तान की सफाई ने ये स्पष्ट कर दिया है कि परमाणु नीति जैसे संवेदनशील मुद्दों पर पाकिस्तान सावधानी बरतना चाहता है। ये पूरा घटनाक्रम न केवल पश्चिम एशिया, बल्कि वैश्विक स्तर पर भू-राजनीतिक समीकरणों को प्रभावित करेगा।