
Water War
Water War के नाम पर पाकिस्तान की बज रही बैंड, भारत के आगे गिड़गिड़ाने को मजूबर
दिल्ली: Water War का झंडा उठाकर पाकिस्तान एक बार फिर वैश्विक मज़ाक का पात्र बन गया है। रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने बयान दिया है कि भारत चिनाब नदी में जल प्रवाह रोक कर पाकिस्तान को “जल युद्ध” में हराने की कोशिश कर रहा है। साहब ने ये भी ऐलान कर दिया कि भारत पारंपरिक युद्धों में हार चुका है – शायद इतिहास की किताबें अब लाहौर में उल्टी छपती हैं।
पाकिस्तान का ये बयान ऐसे समय पर आया है जब उसका अपना जल प्रबंधन ड्रिप सिस्टम से भी नीचे गिर चुका है। IRSA की 2 जून 2025 की रिपोर्ट खुद बताती है कि:
सिंधु, झेलम और चिनाब नदियों के प्रवाह में 21% की भारी कमी आई है
पंजाब प्रांत (पाकिस्तान) में कुल जल उपलब्धता 1,28,800 क्यूसेक है —जो पिछले साल के मुक़ाबले 14,800 क्यूसेक कम है
मंगला और तरबेला बांधों में पानी 50% से कम बचा है, यानी सिंधु में नहीं, सिर्फ आंसुओं में बह रहा है पाकिस्तान
मगर पाकिस्तान तो वही पुराना ‘रोने का प्रोफेशनल’, जो खुद कुंआ सूखा छोड़े और दुनिया को बारिश के लिए दोषी ठहराए। अब पानी की एक-एक बूंद पर लिखा जा रहा है — “No Water For Terror”।
India’s जल प्रहार – आतंक की फसल को सूखा मारो!
भारत ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम आतंकी हमले (26 भारतीयों की मौत) के बाद पाकिस्तान को चेतावनी नहीं, कार्रवाई दी – “ऑपरेशन सिंदूर” के ज़रिए आतंकियों के अड्डे तबाह कर दिए गए। और साथ ही भारत ने सिंधु जल संधि को अस्थायी रूप से स्थगित कर दिया।
अब जल की हर बूंद की कीमत वही चुकाएगा, जो सीमा पार से बारूद भेजता है।
भारत की कैबिनेट सुरक्षा समिति (CCS) ने भी तय कर दिया:
“अब बहेंगे बस वही जल, जो आतंक से मुक्त हो।”
Water War:चार चिट्ठियाँ और पाकिस्तान का गिरगिट-राग
असहाय पाकिस्तान ने अब तक भारत को 4 चिट्ठियाँ लिखी हैं — जिनमें गुहार लगाई गई है कि भारत सिंधु जल संधि बहाल कर दे। इनमें से एक चिट्ठी तो “ऑपरेशन सिंदूर” के तुरंत बाद भेजी गई – यानी पहले बमों की बारिश, फिर बूंदों की भीख!
भारत का उत्तर भी उतना ही दमदार है:
“जब तक आतंकवाद पूरी तरह खत्म नहीं होता, तब तक पानी का रास्ता भी बंद रहेगा।”पाकिस्तान, अब ‘जल’ से नहीं बच पाएगा
पाकिस्तान का सिंधु जल पर रोना उसकी आदत बन चुका है। कभी वो इसे “भारत की करतूत” बताता है, कभी “कुदरती साज़िश”। लेकिन असल बात यही है — भारत अब शब्दों से नहीं, नीतियों से मार रहा है। और इस बार न गोली चली, न टैंक निकले — सिर्फ पानी रोका, और पाकिस्तान हिल गया।