Operation Trackdown : Haryana में अपराध करने के बाद सजा पूरी होने या फिर जमानत पर छूट जाने के बाद बाहर आने के बाद फिर से अपराध को अंजाम देने वालों के साथ ही अन्य अपराधियों की अब खैर नहीं है। हरियाणा Police की ओर से प्रदेश में अपराधियों की धरपकड़ के लिए 16 दिवसीय एक खास अभियान (Operation Trackdown) शुरू किया है। 5 नवंबर से शुरू हुआ यह अभियान 20 नवंबर तक चलेगा। DGP OP Singh ने इस बारे में अपने Social Media Account X पर पोस्ट कर जानकारी दी है।

डीजीपी ने स्पष्ट किया है कि गोलीबारी औऱ गंभीर अपराधों में शामिल भगौड़े अपराधियों को पकड़कर तुरंत जेल में डाला जाए। इसके लिए बकायदा हर स्तर पर अधिकारियों की जिम्मेदारी भी तय की गई है। DGP ओपी सिंह ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट करते हुए लिखा है कि गोलीबारी की घटनाओं में शामिल अपराधियों को पकड़क सलाखों के पीछे भेजना जरूरी है, जिन अपराधियों की पहचान नहीं हुई, उनकी पहचान करें, जो फरार चल रहे हैं उन्हें तुरंत ढूंढकर निकाला जाए।

उन्होंने आदेश में कहा कि जो जमानत पर जेल से बाहर आ गए हैं, उनकी हिस्ट्री शीट खोलें। अगर वो अपराध में सक्रिय हैं तो उनकी जमानत रद्द कराएं। अगर वे भी अपराध में शामिल हैं तो उनके खिलाफ संगठित अपराध की सख़्त धाराएं लगाई जानी चाहिए। अपराध से अर्जित किया पैसा और सम्पत्ति को चिन्हित कर उसे जब्त करें। अपराधियों को सुरक्षा देने वालों के खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए।
SHO और DSP होंगे जिम्मेदार
DGP ने साफ तौर पर कहा है कि SHO और DSP अपने क्षेत्र में घटित हो रहे इस तरह के अपराध को रोकने के लिए जिम्मेदार होंगे। अपने-अपने इलाके के टॉप 5 क्रिमिनल की लिस्ट बनाकर उन्हें सबक सिखाया जाएगा। इसे लेकर SP/DSP/CP जिम्मेदार होंगे। STF राज्य के टॉप 20 क्रिमिनल की लिस्ट बनाएगा और उनके धर-पकड़ के लिए व्यापक ऑपरेशन चलाएगा।
इन राज्यों से लिया जाएगा सहयोग

DGP ने ‘ऑपरेशन ट्रैकडाउन’ को लीड करने की जिम्मेदारी IPS अधिकारी IG राकेश आर्य को दी गई है। अगर कोई आमजन किसी अपराधी के बारे में जानकारी देना चाहते हैं, तो +91 90342 90495 पर सूचना दी जा सकती है। पुलिस प्रशासन का कहना है कि जानकारी देने वाले की पहचान को गोपनीय रखा जाएगा। DGP ने आगे कहा कि ऑपरेशन ट्रैकडाउन की सफलता के लिए पंजाब, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर एवं केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली एवं चंडीगढ़ का भी सहयोग लिया जाएगा।
16 दिनों में गिरफ्तारी
यह भी साफ संकेत है कि हर स्तर पर नाम लेकर जिम्मेदारी तय की जा रही है कि किस एसएचओ और डीएसपी के इलाके की सबसे बदनाम 5 सूची में कौन-कौन हैं। जिला/जोन की सबसे बदनाम 10 का स्टेट्स क्या है। एसटीएफ की सबसे बदनाम 20 पर कितनी प्रगति हुई। 16 दिनों में गिरफ्तारी, अदालत में दायर याचिकाएं, वारंट की तामील और सीमाओं पर समन्वित कार्रवाई जैसे सूचकांकों से सफलता मापी जाएगी।
नतीजों पर फोकस
इस ऑपरेशन की भाषा और तरीका सरल और सीधा है। फोकस दिखावे पर नहीं, बल्कि काम के नतीजों पर है। कितने गिरफ्तार हुए, किन मामलों में जमानत रद्द हुई, कहां संगठित अपराध की धाराएं लगीं, कितनी संपत्ति जब्त हुई और क्या नई वारदातें रोकी गईं। नागरिकों के लिए आईजी क्राइम का नंबर साझा करना इस बात का संकेत है कि पुलिस सूचना को महत्व दे रही है और पहचान की गोपनीयता सुनिश्चित करेगी।
