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Deputy CM Keshav Maurya की मुलाकातों का मतलब
डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने हाल ही में गृहमंत्री अमित शाह, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और राज्यपाल आनंदीबेन पटेल से मिलने का जो नया ‘मुलाकात महोत्सव’ चलाया है, उसे कोई सामान्य मत समझिए। यूपी में हवा यह चल निकली है कि Deputy CM Keshav Maurya को BJP प्रदेश अध्यक्ष या राष्ट्रीय अध्यक्ष की कुर्सी दी जा सकती है। सवाल ये है — क्यों? और क्यों अब?
Shah की बिसात: Yogi की ताकत पर कैंची

UP Politics में Shah को यूं ही BJP का ‘Chanakya’ नहीं कहते। Amit Shah ने Deputy CM Keshav Maurya को ‘मित्र’ कहकर जो तीर छोड़ा है, वो CM Yogi के किले की दीवारों में दरार डालने वाला माना जा रहा है।
यूपी में CM Yogi की छवि ‘सुपर CM’ वाली बन चुकी है। शाह जानते हैं कि अकेला चेहरा जितना चमकेगा, उतनी ही दिल्ली की धड़कनें तेज होंगी। लिहाजा Deputy CM Keshav Maurya का ‘पुराना संगठन वाला अवतार’ अब Yogi Adityanath के बराबर खड़ा कर देने की तैयारी है।
Keshav Maurya: संगठन का पुराना सिकंदर

2017 के चुनाव में BJP को 312 सीटें दिलाने वाले यही Keshav Maurya थे — तब वो यूपी के प्रदेश अध्यक्ष के रूप में पार्टी की शोभा बढ़ा रहे थे। अब मौर्य, कुर्मी, निषाद, राजभर जैसे खिसकते वोट बैंक को फिर से लाने के लिए Keshav से बड़ा तुरुप का पत्ता BJP के पास नहीं है। Shah और BJP जानते हैं कि संगठन से बड़ा कोई नहीं। और अगर CM Yogi का कद बहुत बढ़ गया तो 2027 में BJP के लिए दिक्कत खड़ी हो सकती है। इसलिए Deputy CM Keshav Maurya को राष्ट्रीय अध्यक्ष या प्रदेश अध्यक्ष बनाकर CM Yogi के कद को ‘मैनेज’ करना पार्टी के लिए सबसे स्मार्ट चाल मानी जा रही है।
Deputy CM Keshav Maurya का चक्रव्यूह: फायदा या नुकसान?
लेकिन इस चक्रव्यूह का उल्टा असर भी पड़ सकता है। CM Yogi की जो साख है, वो BJP के लिए एक मजबूत ढाल भी है। अगर इस ढाल को थोड़ा भी छेड़ा गया, तो कुर्मी-मौर्य वोट बैंक तो आएगा या नहीं — लेकिन योगी समर्थक वोटर जरूर नाराज हो सकते हैं। Shah के ‘मित्र’ Keshav के आने से Yogi की ताकत घटेगी, सरकार-संगठन में अंदरूनी खींचतान बढ़ेगी और विपक्ष को ‘डिवाइड एंड रूल’ का नया मौका मिलेगा।
UP Politics में Deputy CM Keshav Maurya बनाम CM Yogi का असर

UP Politics में Deputy CM Keshav Maurya का कद बढ़ा तो CM Yogi की ताकत पर सीधा असर पड़ेगा। एक तरफ सरकार, दूसरी तरफ संगठन — दोनों में Yogi-Adityanath का पूरा कंट्रोल टूटेगा। Panchayat और Assembly Election 2027 तक BJP को इसे संभालना ही पड़ेगा। वरना जो वोट बैंक Yogi के नाम पर टिके हैं, वो Shah के ‘मित्र’ Keshav के नाम पर कितने टिकेंगे — ये बड़ा सवाल है।
Shah की बिसात: 2027 के लिए अभी से बिछी
कुल मिलाकर Amit Shah ने Deputy CM Keshav Maurya को मोहरे की तरह चलाकर UP Politics में जो चक्रव्यूह रचा है, वो सिर्फ Keshav बनाम Yogi नहीं है — ये 2027 के महासंग्राम की बिसात है। Shah का निशाना सिर्फ Yogi की ताकत नहीं, बल्कि BJP की ‘संगठन बनाम सरकार’ की पुरानी थ्योरी को फिर से जिंदा करना है। अब देखना ये है कि Deputy CM Keshav Maurya वाकई BJP के राष्ट्रीय अध्यक्ष या प्रदेश अध्यक्ष बनेंगे या ये मुलाकातें सिर्फ तस्वीरों तक ही रहेंगी।
फायदा या नुकसान — फैसला जनता का
इस पूरी सियासी गोटियों के खेल में BJP को फायदा होगा या नुकसान — ये तो आने वाला वक्त बताएगा। फिलहाल UP Politics में Deputy CM Keshav Maurya बनाम CM Yogi का नया ड्रामा Amit Shah के शतरंजी दिमाग की अगली चाल है। और हां — राजनीति में कुछ भी सामान्य नहीं होता, मुलाकात तो बिलकुल भी नहीं!
Written by khabarilal.digital Desk

 
         
         
         
        