 
                                                      
                                                Rapist Punishment Sambhal
Rapist Punishment Sambhal : दरिंदों की दरिंदगी पर बीस साल बाद चली कोर्ट की तलवार
जनपद संभल के रजपुरा थाना क्षेत्र में 2012 में हुआ था यह घिनौना खेल। इस केस (Rapist Punishment Sambhal) में दो हवसी, महिला के घर में घुसे, पति की गैरमौजूदगी में इज़्ज़त को तार-तार कर दिया। औरत चीखी-चिल्लाई, मगर कानून के पन्नों को उन चीखों को दर्ज करने में 12 साल लग गए! अब जाकर डिस्टिक कोर्ट ने दोनों दरिंदों को बीस-बीस साल जेल और 22-22 हजार का जुर्माना ठोका है। मगर क्या ये डंडा पीड़िता की जिंदगी से मिटा सका वो नर्क, जो उसने जिया?
Rapist Punishment Sambhal : कोर्ट ने ठोका फैसला, मगर सवाल भी ठोक दिए

इस चर्चित (Rapist Punishment Sambhal) फैसले में कोर्ट ने बेशक कानूनी लाठी चलाई, लेकिन सिस्टम की सुस्ती भी नंगी होकर सामने आई। महिला ने पुलिस से लेकर अदालत तक हर दरवाज़ा खटखटाया — गवाही, पेशी, तारीख़ पे तारीख़… और अब जब फैसला आया, तब तक दरिंदों की आधी उम्र जेल के बाहर गुजर गई।इस (Rapist Punishment Sambhal) फैसले ने एक बार फिर हमारे न्याय तंत्र की रफ्तार पर सवाल खड़े कर दिए हैं — क्या हमारे यहां इंसाफ सिर्फ तारीख़ों का खेल रह गया है?

रेप जैसी घिनौनी वारदात के लिए क्या बीस साल की जेल और चंद हज़ार का जुर्माना वाकई इंसाफ कहलाएगा? कोर्ट ने अपना काम कर दिया, मगर समाज का क्या, जो चुपचाप देखता रहा? दस साल से भी ज्यादा वक्त लगे इस फैसले को आने में — तब तक पीड़िता के जख्मों की परत पर कितने जहर के छींटे पड़े, किसी ने नहीं पूछा। कानून कहता है न्याय मिला, दिल कहता है जले पर नमक छिड़का गया।
Rapist Punishment Sambhal : 22 हजार जुर्माना, इंसाफ या कॉमेडी?
अब सबसे हैरान करने वाली बात —जुर्माने (Rapist Punishment Sambhal) के नाम पर दरिंदों पर 22-22 हजार का रुपये मात्र! यानी इज़्ज़त की कीमत बस चंद नोट? इस मुल्क में लड़की की आबरू की बोली कब तक लगती रहेगी? बीस साल की जेल ठीक है, मगर जुर्माना देखकर हर कोई यही कहेगा — ‘सिस्टम अभी भी सस्ता है’। Rapist Punishment का ये केस सवाल छोड़ गया — क्या रेपिस्ट को सजा के साथ समाज में नंगा कर देना जरूरी नहीं? ताकि अगली बार कोई इज़्ज़त से खेलने से पहले सौ बार सोचे!
Rapist Punishment Sambhal : न्याय के नाम पर दवा या दिखावा?

संभल रेप केस में आए न्याय(Rapist Punishment Sambhal) की इस खबर से एक सबक तो निकलता है — अगर रेप जैसी हैवानियत पर भी फैसले में इतना वक्त लगेगा तो दरिंदों का हौसला कैसे टूटेगा? जरूरत है ऐसी सजा की, जो ‘सांत्वना’ नहीं, ‘डर’ बनकर रेपिस्ट के दिमाग में घुस जाए। ताकि अगली ‘रजपुरा’ किसी के साथ न हो! Rapist Punishment जैसे फैसले तभी असरदार होंगे, जब हर दरिंदे को पता होगा — अब कानून तारीख़ों में नहीं उलझेगा, सीधा गर्दन दबोच लेगा!
Written by khabarilal.digital Desk
🎤 संवाददाता:रामपाल सिंह
📍 लोकेशन: संभल, यूपी
#RapistPunishmentSambhal #SambhalRapeCase #SambhalCourt #UttarPradeshCrime #JusticeDelayed #CrimeAgainstWomen #KhabrilalDigital

 
         
         
         
        