Gangrape Verdict Ghazipur

Gangrape Verdict Ghazipur: शादी के नाम पर नाबालिग से खेला गया नर्क का खेल, कोर्ट ने ठोंकी उम्रकैद और 20 साल की सजा

Gangrape Verdict Ghazipur: शादी के झांसे में नर्क

12 अगस्त 2018, गाजीपुर के दुल्लहपुर थानाक्षेत्र में दो दरिंदों ने मासूमियत को ऐसे रौंदा जैसे खेत में चरने आई बकरी हो। Gangrape Verdict Ghazipur में कोर्ट का फैसला आया, पर अफसोस — इंसाफ ने पांच साल लगा दिए। पवन राजभर और राजू राजभर — नाम तो बड़े सज्जन जैसे, मगर हरकत ऐसी कि राक्षस भी शर्मा जाएं। शादी का सपना दिखाया, रात में बुलाया, और फिर मिलकर दरिंदगी का खेल खेला।

Gangrape Verdict Ghazipur: रात के अंधेरे से कोर्ट के कटघरे तक

पीड़िता ने भागकर जान बचाई, मां को बताया, पुलिस में केस हुआ, मेडिकल, बयान, और फिर शुरू हुआ न्याय का लंबा इंतज़ार। Gangrape Verdict में खास बात यह रही कि विशेष लोक अभियोजक प्रभुनारायण सिंह ने 10 गवाह खड़े किए। जिरह हुई, दलीलें चलीं, मगर हकीकत वही निकली — दरिंदों ने कोई कसर नहीं छोड़ी थी। कोर्ट ने पवन को उम्रकैद और 30 हजार का जुर्माना सुनाया, राजू को 20 साल सलाखों के पीछे भेजा और 30 हजार की चाय-पानी की फीस अलग से ठोंकी।

Gangrape Verdict Ghazipur: इंसाफ मिला, मगर सवाल भी छोड़ गया

पॉक्सो कोर्ट का ये फैसला तारीफ के काबिल है, लेकिन सवाल उठता है—क्या सजा ही काफी है? सात साल तक पीड़िता और उसका परिवार इंसाफ के लिए भटकता रहा। 2018 में हुआ Rape और 2025 में मिला इंसाफ—क्या इतनी देरी जायज है? पवन और राजू जैसे लोग शादी का झांसा देकर मासूमों को जाल में फंसाते हैं, और सिस्टम की सुस्ती उन्हें मौका देती है। जुर्माने की आधी राशि पीड़िता को दी जाएगी, लेकिन क्या ये राशि उसकी खोई मासूमियत की कीमत चुका सकती है? गाजीपुर की इस घटना ने एक बार फिर सिस्टम से सवाल पूछा है—क्या हमारी बेटियां सचमुच सुरक्षित हैं?

Gangrape Verdict Ghazipur: सिस्टम को सवाल

खैर! Gangrape Verdict सिर्फ एक केस नहीं — ये चेतावनी है उन दरिंदों के लिए जो झांसे का जाल बुनते हैं। कोर्ट ने साबित कर दिया कि चाहे जितना वक्त लगे, सजा तय है। लेकिन पुलिस, समाज और सिस्टम — तीनों को तय करना होगा कि अगली बच्ची शादी के नाम पर दरिंदगी का शिकार न हो। वरना कोर्ट की हथौड़ी बजती रहेगी, और बेटियां डरती रहेंगी।

Rape पर चोट: क्या होगा अगला कदम?

गाजीपुर के इस Rape मामले ने समाज को आईना दिखाया है। पॉक्सो कोर्ट ने सजा तो सुना दी, लेकिन असल जंग अब शुरू होती है। पवन राजभर और राजू राजभर को सजा मिली, मगर कितने और दरिंदे बाहर घूम रहे हैं? पीड़िता की हिम्मत और कोर्ट की सख्ती ने एक मिसाल कायम की है, लेकिन समाज को अब अपनी खामोशी तोड़नी होगी। क्या सरकार और समाज मिलकर ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कड़े कदम उठाएंगे? क्या तेजी से इंसाफ और सख्त सजा ही इसका हल है, या फिर हमें जड़ों तक जाकर इस Rape की मानसिकता को कुचलना होगा? गाजीपुर की इस मासूम की कहानी हर उस बेटी की पुकार है, जो इंसाफ की राह देख रही है।

 Written by khabarilal.digital Desk

🎤 संवाददाता: सुनील गुप्ता

📍 लोकेशन: गाजीपुर, यूपी

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