 
                  Nepal Protest: नेपाल में सोशल मीडिया बैन के खिलाफ जेनरेशन Z का उग्र प्रदर्शन
Nepal Protest News: नेपाल की राजधानी काठमांडू में सोमवार को एक अभूतपूर्व और हिंसक जन आंदोलन देखने को मिला। इस आंदोलन की अगुवाई कर रही थी जेनरेशन Z — यानी वो युवा वर्ग जो सोशल मीडिया के दौर में बड़ा हुआ है। इस विरोध प्रदर्शन में अब तक 20 लोगों की मौत और 100 से अधिक घायल होने की खबरें सामने आई हैं।
इस आंदोलन की वजह बना है सोशल मीडिया पर लगाया गया सरकारी प्रतिबंध। युवा वर्ग सरकार के इस कदम से बेहद नाराज़ है और सड़कों पर उतरकर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और अन्य बड़े नेताओं के खिलाफ नारेबाजी कर रहा है।
सेना की कार्रवाई और प्रदर्शनकारी जिद पर अड़े
स्थिति इतनी बिगड़ गई कि सेना को गोली चलानी पड़ी, लेकिन इसका भी प्रदर्शनकारियों पर कोई खास असर नहीं हुआ। जेन Z के युवा अपने हाथों में पोस्टर लेकर यह संदेश दे रहे हैं कि उन्हें चुप नहीं कराया जा सकता।

कैबिनेट बैठक में मचा घमासान
प्रदर्शन के बाद सरकार की ओर से कैबिनेट बैठक बुलाई गई। इस बैठक में प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और स्वास्थ्य मंत्री प्रदीप पौडेल के बीच तीखी बहस देखने को मिली।
- प्रधानमंत्री ओली का मानना था कि जिन सोशल मीडिया कंपनियों ने नेपाल में व्यापार पंजीकरण नहीं कराया है, उन्हें खुले तौर पर काम करने देना उचित नहीं होगा।
- इसके जवाब में स्वास्थ्य मंत्री पौडेल ने कहा कि सोशल मीडिया सिर्फ एक व्यापारिक मसला नहीं, बल्कि जनहित का मुद्दा है। उन्होंने सुझाव दिया कि प्रदर्शनकारियों की मांगें सुनी जानी चाहिए और इस विषय को बातचीत से सुलझाया जाना चाहिए।
बैठक के अंत में यह सहमति बनी कि “सोशल मीडिया के संचालन को लेकर सकारात्मक प्रयास किए जाएंगे”, लेकिन इसका कोई सीधा असर प्रदर्शनकारियों पर नहीं दिखा।
सत्ता विरोधी आंदोलन या बाहरी दखल?
इस पूरे घटनाक्रम के बीच सरकार और आंदोलनकारियों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी जारी है:
- सरकार का दावा है कि इस आंदोलन को बाहरी ताकतों से समर्थन मिल रहा है।
- वहीं आंदोलनकारी आरोप लगा रहे हैं कि उनकी भीड़ में कुछ घुसपैठिए घुस आए हैं, जिन्होंने प्रदर्शन को हिंसक बनाया।
अमेरिकी प्लेटफॉर्म पर बैन, चीनी ऐप्स को छूट
सबसे विवादित फैसला रहा नेपाल सरकार का वह कदम जिसमें उसने अमेरिका आधारित सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे कि:
- फेसबुक
- इंस्टाग्राम
- व्हाट्सएप
- यूट्यूब
को प्रतिबंधित कर दिया, लेकिन चीन आधारित ऐप्स जैसे टिकटॉक, वी चैट और वी बो को छूट दी गई। इस दोहरे रवैये को लेकर भी जनता में असंतोष है और यह सवाल उठ रहे हैं कि क्या यह फैसला राजनीतिक झुकाव का संकेत है?
Nepal Protest : क्या सरकार को सुननी होगी युवाओं की आवाज़?
यह स्पष्ट है कि नेपाल में सोशल मीडिया अब सिर्फ मनोरंजन या सूचना का माध्यम नहीं रहा, बल्कि यह युवाओं की अभिव्यक्ति का मुख्य मंच बन चुका है। सरकार द्वारा सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाना सीधे-सीधे जनता की आवाज़ को दबाने जैसा कदम माना जा रहा है।
अब यह देखना होगा कि क्या नेपाल सरकार जमीनी हकीकत को समझेगी और डायलॉग व सहमति के रास्ते पर चलेगी, या फिर यह टकराव और गहराएगा।

 
         
         
        