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बिहार के नालंदा में पंचाने नदी के किनारे Nalanda River Front प्रोजेक्ट से विकास की नई धारा बहेगी। ₹32.86 करोड़ की लागत से बनने वाला यह भव्य रिवर फ्रंट नालंदा को पर्यटन के मानचित्र पर नई पहचान देगा। सुबह-शाम टहलने, सामाजिक आयोजनों और मनोरंजन के लिए यह जगह जल्द ही लोगों की पहली पसंद होगी।
✅ Written by khabarilal.digital Desk
पंचाने नदी बोले — अब मैं भी चमकूंगी!
पटना।कभी पंचाने नदी की हालत देखिए — बारिश में उफन कर खेतों में घुस जाती थी, गर्मी में सिकुड़ कर नाले जैसी दिखती थी। लेकिन अब कहानी बदल रही है! अब पंचाने नदी पटना की गंगा को जलन करवाएगी — वो भी चमचमाते Nalanda River Front के दम पर। सरकार ने ठान लिया है कि नालंदा को पटना जैसा ‘मरीन ड्राइव’ देकर ही दम लेंगे।
कंक्रीट की दीवार नहीं, वोट बैंक की मज़बूत नींव!
ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने जब साइट पर हाजिरी लगाई तो ठेकेदारों को आशीर्वाद नहीं, चेतावनी दी — ‘गुणवत्ता से समझौता किया तो नौकरी से समझौता होगा।’ भाई! जनता कह रही है — कंक्रीट की दीवार नहीं, वोट बैंक की मज़बूत नींव तैयार हो रही है। ₹32.86 करोड़ का मसाला, 18 महीने की डेडलाइन और चाय-पानी अलग से!
फुटओवर ब्रिज से लेकर बेंच तक — सेल्फी मारेगा नालंदा। Nalanda River Front
कोसुक से सिपाह पुल तक 1 किलोमीटर लंबा यह Nalanda River Front बनेगा — जिसमें पाथवे होगा, लाइटें होंगी, बेंच होगी, फुटओवर ब्रिज होगा और सबसे ज़रूरी — सेल्फी पॉइंट! अब नालंदा के युवक-युवतियां पटना जाकर तस्वीरें नहीं खींचेंगे, पंचाने नदी के किनारे ही फोटोज़ में फिल्टर लगा-लगा कर लाइक्स बटोरेंगे।
कंक्रीट के जंगल में हरियाली — सुनने में बढ़िया लगता है!
मंत्री जी ने कहा कि हरियाली का ध्यान रखा जाएगा — अब ये ‘ध्यान’ कैसे रखा जाएगा, ये तो नालंदा की हवा जानती है। पेड़ लगाने का वादा, ठेकेदार का बिल पास और हरियाली? वो बाद में गूगल इमेज से एडिट कर देंगे भाई!
अब खंडहरों में नहीं, लाइटों में निखरेगा नालंदा। Nalanda River Front
मौर्य काल के खंडहरों को देखने आने वाले विदेशी अब नया सवाल पूछेंगे — ‘ये नदी इतनी चमचम क्यों है?’ जवाब मिलेगा — वोट के नाम पर हर कंक्रीट प्रोजेक्ट चमकता है भैया! और जब बात नालंदा की हो, तो चमकना ही पड़ेगा।
अभी से बुक कर लीजिए अपनी बेंच। Nalanda River Front
रिवर फ्रंट के किनारे बेंच लगेगी — उस पर किसका कब्ज़ा होगा? सुबह मॉर्निंग वॉक वाले बैठेंगे, शाम को मोहब्बत वाले। बीच में नेताजी के पोस्टर और पंचायती राजनीति — सब कुछ यहीं चलेगा!
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