Muslim Appeasement Politics-हिंदू निर्दोष तो अखिलेश को दर्द क्यों?
Akhilesh Yadav Malegaon Statement ने खोली मुस्लिम तुष्टिकरण की पोल>
Muslim Appeasement Politics update
मालेगांव ब्लास्ट केस में जब अदालत ने Hindu Accused Acquitted किया, तो एक आदमी सबसे ज़्यादा विचलित हुआ — और वो थे “सेक्युलरिज्म के ठेकेदार” अखिलेश यादव।
सपा प्रमुख ने बेशर्मी से पूछा —
“अगर आरोपी निर्दोष थे तो इतने साल जेल में क्यों रखा?”
गुरू, अगर यही सवाल किसी मौलाना, या मदरसे के मौलवी के बरी होने पर उठाते तो शायद खबर ही ना बनती।
लेकिन यहाँ मामला उल्टा है – अदालत के फैसले पर सवाल, सिर्फ इसलिए क्योंकि आरोपी हिंदू निकले!
Muslim Appeasement Politics का नमूना या न्याय का मखौल?
Muslim Appeasement Politics का सबसे बढ़िया उदाहरण होता है —
“जब अपराधी मुस्लिम हो तो न्याय की जय-जयकार,
और जब हिंदू हो तो फैसला भी संदिग्ध लगता है।”
किसी मुस्लिम आरोपी को बरी करने पर अखिलेश यादव के शब्द होते:
👉 “देखा, मुसलमानों को झूठा फंसाया गया।”
लेकिन जब हिंदू आरोपी बरी हो गए तो सवाल —
👉 “अगर निर्दोष थे, तो इतने साल क्यों सज़ा भुगती?”
गुरू, यही कहते हैं – वोट बैंक के लिए न्याय भी हिंदू-मुस्लिम में बंटता है।
UP Politics Minority Vote के लिए कितना गिरेंगे अखिलेश? Muslim Appeasement Politics
UP Politics Minority Vote की मारामारी में अब अखिलेश यादव नैतिकता की लकीर को लांघ चुके हैं।
मालेगांव केस में आरोपी 17 साल बाद बरी हुए —
न कोई सबूत,
न कोई ठोस गवाह,
न कोई न्यायिक दोष सिद्ध।
लेकिन अखिलेश के लिए न्याय मायने नहीं रखता,
मुस्लिम वोट मायने रखते हैं।
और इसलिए वो हर फैसले को उसी तुष्टिकरण चश्मे से देखते हैं।
Samajwadi Party Muslim Bias: तुष्टिकरण नहीं, अब अंधभक्ति है>Muslim Appeasement Politics
Samajwadi Party Muslim Bias कोई नई बात नहीं।
कभी सैफई में अजमेर शरीफ़ के चादर चढ़ती है,
तो कभी सिमी आतंकियों को ‘बेगुनाह नौजवान’ बताकर मंच से नमाज़ पढ़ी जाती है।
अब मालेगांव केस में अदालत ने Terror Case Verdict दिया है —
लेकिन अखिलेश के लिए आतंकवाद नहीं,
वोटबैंक की विश्वसनीयता बड़ी चीज है।
अगर BJP न होती तो अखिलेश UP को तुष्टिकरण की प्रयोगशाला बना देते
सोचिए, अगर आज यूपी में बीजेपी न होती —
तो क्या होता?
आतंकियों के जनाजों में सियासी चादरें चढ़तीं,
कोर्ट के हर फैसले पर जाति-धर्म के चश्मे से बहस होती,
और Vote Bank Politics India का गंदा खेल हर गली-मुहल्ले में चलता।
BJP की सबसे बड़ी भूमिका यही रही कि उसने अखिलेश जैसे “तुष्टिकरणवादी चैंपियनों” को रोके रखा।
Communal Politics in UP: क्या अब भी समय है सुधरने का? Muslim Appeasement Politics
अगर आज अखिलेश यादव सच में सेक्युलर होते,
तो वो अदालत के फैसले का सम्मान करते।
ना कि “अल्पसंख्यक वोट” के लिए अदालत की गरिमा पर कीचड़ उछालते।
Communal Politics in UP अब इस मुकाम पर है कि
न्याय को जाति और धर्म से तोला जाता है,
और नेता अपने बयान अदालत नहीं, वोट बैंक देखकर देते हैं।
अखिलेश यादव – सेक्युलरिज्म या सिरफिरा तुष्टिकरण? Muslim Appeasement Politics
मालेगांव केस से निकला सबसे बड़ा सवाल यही है –
क्या कोई भी आरोपी बरी हो, तो उसे ‘निर्दोष’ मानने का साहस अखिलेश में है?
या सिर्फ तभी जब वो मुस्लिम हो?
अब समय है, जब जनता पूछे —
“क्या यही है वो ‘समाजवाद’ जो समाज को हिंदू-मुस्लिम में बांट दे?”
Written by khabarilal.digital Desk
