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Mulayam Shiv Kanwar — नेताजी की विरासत कांधे पर
जिस कांधे पर कभी नेताजी यानी मुलायम सिंह यादव ने स्नेह से हाथ रखा था, अब वही कांधा “मुलायम शिव कांवड़”(Mulayam Shiv Kanwar)ढो रहा है। बुलंदशहर से लकी पंडित इस कांवड़ को लेकर निकले हैं, और लक्ष्य है इटावा में बन रहे “केदारेश्वर मंदिर” में जलाभिषेक करना। अब बताइये, यह कांवड़ सिर्फ जल नहीं ढो रही, नेताजी की विरासत भी अपने कांधे पर लिए चल रही है।
Mulayam Shiv Kanwar — कांवड़ में बहती आस्था या वोट?
कांवड़ यात्रा में आस्था होनी चाहिए, लेकिन लकी पंडित की ये यात्रा श्रद्धा से ज्यादा संदेश देती दिख रही है। रोज़ 50-55 किमी का सफर तय कर रहे हैं लकी, पर सवाल ये है कि ये यात्रा(Mulayam Shiv Kanwar) भावनाओं की है या प्रचार की? जिस “नेताजी स्मृति मंदिर” में जल चढ़ेगा, उसका शिलान्यास भी ‘राजनीतिक’ भाव में ही हुआ था।
Mulayam Shiv Kanwar — इटावा में शिव भी नेताजी के नाम पर
नेताजी के(Mulayam Shiv Kanwar) नाम पर मंदिर, कांवड़ यात्रा और अब शिवलिंग पर मुलायम जलाभिषेक। क्या इटावा अब भी समाजवादी गढ़ है या अब शिवराज का नया प्रयोग हो रहा है? अगर यह भावनात्मक राजनीति नहीं है, तो और क्या है? लकी पंडित के कदम ज़मीन पर हैं, पर नजरें दिल्ली और लखनऊ के गलियारों पर।
Mulayam Shiv Kanwar— हर कदम पर ‘नेताजी’ का नारा

“हर हर महादेव” के साथ-साथ “नेताजी अमर रहें” के नारे लग रहे हैं। श्रद्धा में नेताजी की ब्रांडिंग हो रही है। कांवड़(Mulayam Shiv Kanwar) की सजावट से लेकर बैग तक पर नेताजी की तस्वीरें हैं। लकी पंडित मानते हैं कि यह नेताजी को समर्पित उनकी आस्था है — मगर विरोधी कह रहे हैं, “ये शिव भक्ति कम, मुलायम ब्रांडिंग ज़्यादा है।”
23 जुलाई का जलाभिषेक — इटावा के मंदिर में होगा ‘राजनीतिक जल चढ़ावा’
23 जुलाई को लकी पंडित इटावा पहुंचेंगे और नेताजी की स्मृति में बन रहे “केदारेश्वर मंदिर” में जलाभिषेक करेंगे। अब देखना यह होगा कि इस जल में कितनी भक्ति होगी और कितना सियासी स्वाद। वैसे भी अब कांवड़ भी पोस्टर हो गई है, और यात्रा नारा।
Legacy or Leverage? — मुलायम शिव कांवड़ का आख़िरी पड़ाव
लकी पंडित की यह “मुलायम शिव कांवड़ यात्रा” (Mulayam Shiv Kanwar)इटावा में जलाभिषेक के साथ खत्म हो सकती है, लेकिन सवाल वहीं से शुरू होते हैं — क्या यह यात्रा केवल श्रद्धा का प्रतीक थी या नेताजी की विरासत को सियासत की सुपारी में भिगो देने की तैयारी? समाजवाद के इस नए अध्याय में शिव भी साक्षी बन गए हैं और कांवड़ अब पोस्टर से लदी हुई एक चुपचाप चुनावी गाड़ी बनती जा रही है।
भोलेनाथ सब देख रहे हैं, शायद मुस्कुरा भी रहे हों — “जय श्रीराम की तरह जय नेताजी भी क्या मेरे भक्तों का नया नारा बनेगा?”

 
         
         
         
        