Swachh Braj : डीएम की झाड़ू और गोवर्धन की परिक्रमा!”
“Swachh Braj” मुड़िया पूर्णिमा मेला के बहाने देश को स्वच्छता का नया मंत्र दे रहा है। मथुरा डीएम चंद्र प्रकाश सिंह ने गोवर्धन परिक्रमा मार्ग पर खुद झाड़ू चलाकर यह साफ कर दिया कि Swachh Braj सिर्फ नारा नहीं, जमीनी हकीकत भी बन सकता है। अब यह जिम्मेदारी लाखों श्रद्धालुओं और दुकानदारों की है कि वे इस Swachh Braj अभियान को कूड़ेदान में न जाने दें।”
“क्या इस बार सच में दिखेगा Swachh Braj? डीएम के झाड़ू से उठे सवाल!”
क्या झाड़ू से Swachh Braj बनेगा?
मथुरा के डीएम Chandraprakash Singh ने जैसे ही परिक्रमा मार्ग पर झाड़ू उठाई — स्वच्छ Braj का नारा फिर हवा में तैर गया। लेकिन क्या Swachh Braj सिर्फ झाड़ू से बनेगा या फिर श्रद्धालुओं के संस्कारों से? मुड़िया पूर्णिमा मेला में एक करोड़ लोगों का हुजूम आता है — ये मिनी इंडिया है, तो गंदगी भी मैक्सी इंडिया वाली।
Swachh Braj का असली इम्तिहान शुरू

दान घाटी से लेकर गोवर्धन परिक्रमा तक उज्ज्वल ब्रज संस्था के कार्यकर्ता भी डीएम के साथ झाड़ू चलाते दिखे। लेकिन सवाल वही — Swachh Braj का सपना क्या सिर्फ कुछ फोटो और वीडियो तक रहेगा? या श्रद्धालु दोना पत्तल, बोतल और कूड़ा वहीं छोड़कर ‘स्वच्छ भारत’ का मजाक उड़ाते रहेंगे?
दुकानदारों पर भी चला स्वच्छता का डंडा
डीएम Chandraprakash Singh ने दुकानदारों को साफ कह दिया — दुकान से बाहर कब्जा नहीं चलेगा। नाली पर तख्त रखकर परिक्रमा मार्ग को और सकरा करोगे तो चलोगे थाने! Swachh Braj तभी होगा जब परिक्रमा मार्ग पर कब्जा-धंधा नहीं चलेगा।
Swachh Braj का संदेश एक करोड़ श्रद्धालुओं तक
Swachh Braj अभियान को लेकर प्रशासन ने साफ किया कि इस बार देशभर से आने वाला हर श्रद्धालु एक-एक कागज भी सड़क पर न फेंके। खान-पान के बाद बचा सामान सीधे डस्टबिन में जाए, नहीं तो चालान तैयार।
स्थानीय लोगों का समर्थन या विरोध?

डीएम के झाड़ू उठाते ही गाँव के लोग भी झाड़ू पकड़कर साथ हो गए — पर ये साथ कब तक? मेला खत्म होते ही Swachh Braj का सपना भी कूड़ेदान में चला जाएगा या सच में परिक्रमा मार्ग साफ रहेगा?
Swachh Braj : सपना नहीं जमीनी सच्चाई बने
मथुरा, गोवर्धन, परिक्रमा, मंदिर — सब कुछ तभी चमकेगा जब Swachh Braj सिर्फ नारे में नहीं, ज़मीन पर दिखे। डीएम ने तो झाड़ू चला दी — अब श्रद्धालुओं, दुकानदारों और भक्तों की बारी है।
Swachh Braj मेला सिर्फ प्रशासन की जिम्मेदारी नहीं, एक करोड़ लोगों की भी है। अगली बार जब आप परिक्रमा को निकलें तो एक बार झाड़ू उठाने वाले डीएम को याद कर लीजिए — शायद आपका फेंका कूड़ा किसी सफाईकर्मी की झाड़ू में न उलझे!
