 
                                                      
                                                Moradabad train newborn case: बैग में बंद थी सांसें
Patna to Chandigarh train के AC कोच में रखा एक साधारण-सा बैग, मुरादाबाद पहुंचते ही देश की संवेदनाओं को झकझोर गया। जब यात्रियों ने बैग में हरकत महसूस की और उसे खोला, तो उसमें से निकला एक ज़िंदा नवजात शिशु। Moradabad train newborn case अब सिर्फ एक खबर नहीं, एक सामाजिक सवाल बन गया है।
मुरादाबाद में ट्रेन के एसी कोच का सबसे डरावना सफर
पटना से चली समर स्पेशल ट्रेन को चंडीगढ़ पहुंचना था, लेकिन मुरादाबाद आते-आते एक ऐसा झटका दे गई जिसने यात्रियों की रूह तक हिला दी। ट्रेन के एसी कोच में रखा एक बैग अचानक हिलने लगा। यात्रियों ने पहले सोचा कोई जानवर होगा, लेकिन जब बैग खोला, तो वहां जिंदगी लिपटी थी—एक जिंदा नवजात बच्चा।
Moradabad train newborn case- जन्म के चंद मिनटों में समाज की शर्म बन गया बच्चा
मुरादाबाद स्टेशन पर जैसे ही ट्रेन रुकी, RPF और चाइल्ड लाइन की टीम को अलर्ट कर दिया गया। बैग से निकाले गए उस नन्हे जीव की नाल तक नहीं कटी थी। डॉक्टरों ने पुष्टि की कि बच्चा जन्म के कुछ ही मिनट पहले पैदा हुआ था। मतलब—मां ने जिंदगी दी और उसी सांस में उसे ट्रेन में फेंक दिया।
वर्दीवालों ने झोले से जिंदगी को बाहर निकाला
अगर मुरादाबाद स्टेशन पर RPF और चाइल्ड लाइन की टीम पहले से सतर्क न होती, तो शायद आज ये खबर “बंद बैग में नवजात की मौत” की तरह छपती। लेकिन किस्मत ने पलटा खाया और टीम ने समय रहते नवजात को जिला अस्पताल पहुंचा दिया, जहां उसे NICU में भर्ती कराया गया।
Moradabad train newborn case-मां कौन थी? समाज को डर किससे था?
रेलवे अब उस कोच में चढ़ने वाले हर स्टेशन के CCTV फुटेज खंगाल रहा है। ट्रेन ने पटना, बक्सर, दीनदयाल नगर, वाराणसी, लखनऊ और बरेली से होते हुए मुरादाबाद तक का सफर तय किया था। सवाल ये है—क्या कैमरे उस मां को पकड़ पाएंगे जिसने इंसानियत को बैग में बंद कर दिया?
नवजात की हालत में सुधार, लेकिन इंसानियत अभी भी वेंटिलेटर पर
बच्चा अब सुरक्षित है। डॉक्टरों ने कहा—”चमत्कार ही था कि वो सांस ले रहा था।” लेकिन असली सवाल अब भी वहीं है—एक मां को इतना बेबस कौन बनाता है? समाज? परिवार? या हमारी खुद की तुच्छ मानसिकता?
Moradabad train newborn case-ट्रेन चली, पर उस बैग की चीख़ प्लेटफॉर्म पर रह गई
चलती ट्रेन में फेंका गया वो नवजात अब मुरादाबाद के अस्पताल में है, लेकिन उसे फेंकने वाले सवाल अभी प्लेटफॉर्म नंबर 4 पर खड़े हैं। क्या अगली समर स्पेशल में फिर कोई जिंदगी बैग में बंधकर आएगी?

 
         
         
         
        