
पूर्वोतर भारत में बारिश से तबाही
पूर्वोत्तर भारत में बारिश का तांडव: डूबे शहर,डूबा गांव,सब कुछ ठप्प। सो रही हैं सरकारें!
☔पूर्वोतर भारत में बारिश से मुसीबत की शुरुआत! Monsoon havoc northeast india-2025
Monsoon havoc northeast india-2025:देश के पूर्वोत्तर राज्यों में इस बार मानसून ने दस्तक दी नहीं कि तबाही की दास्तान शुरू हो गई। अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, असम और सिक्किम—हर तरफ पानी ही पानी है, बारिश, बाढ़, और भूस्खलन ने जनजीवन को तहस-नहस कर दिया। । उत्तरी सिक्किम में 1500 से ज्यादा टूरिस्ट फंसे हुए हैं, जबकि मेघालय में 4 लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें 3 म्यांमार के शरणार्थी शामिल हैं। असम के 17 जिले बाढ़ की चपेट में हैं, जहां 8 लोगों की जान गई और 78,000 से ज्यादा लोग प्रभावित हैं। बारिश का ऐसा कहर देखकर लोग बस एक ही सवाल पूछ रहे हैं कि, हर साल तबाही देखने के बाद भी सरकारें क्यों नहीं चेतती है?क्यों ऐसा इंतजाम नहीं किया जाता है, जिससे जान-माल का नुकसान रोका जा सके।

🌊 पूर्वोत्तर भारत में बारिश से कोहराम: Monsoon havoc northeast india-2025
सिक्किम: सैलानियों की जान सांसत में!
Monsoon havoc northeast india-2025:उत्तरी सिक्किम में भारी मानसून की बारिश ने तबाही मचाई है। 1500 पर्यटक लाचुंग, युमथांग, और डिकचु जैसे पर्यटन स्थलों पर फंसे हैं। तीस्ता नदी उफान पर है, और भूस्खलन ने सड़कों को अवरुद्ध कर दिया है। खराब मौसम के कारण हेलीकॉप्टर से बचाव कार्य भी संभव नहीं हो रहा। प्रशासन ने पर्यटकों को सुरक्षित रहने की सलाह दी है, लेकिन खाद्य सामग्री और अन्य जरूरी चीजों की कमी चिंता बढ़ा रही है।
मेघालय-मौत म्यांमार से खींच लाई!
Monsoon havoc northeast india-2025:मेघालय में मानसून मे हो रही भारी बारिश और भूस्खलन से 4 लोगों की मौत हुई, जिनमें 3 म्यांमार के शरणार्थी शामिल हैं।
असम: जल ही जीवन है… जब तक वह गर्दन तक न चढ़ जाए!
Monsoon havoc northeast india-2025:असम में 17 जिले बाढ़ की चपेट में हैं, जहां 8 लोगों की मौत हो चुकी है और 78,000 से ज्यादा लोग प्रभावित हैं। ब्रह्मपुत्र और अन्य नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। कामरूप, धेमाजी, और करीमगंज जैसे जिले सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। काजीरंगा नेशनल पार्क में बाढ़ ने 17 जानवरों की जान ले ली, जिसमें एक गैंडे का बच्चा भी शामिल है, जबकि 72 जानवरों को बचाया गया है।
मिजोरम में बारिश से सब तबाह!
Monsoon havoc northeast india-2025:मिजोरम में दक्षिणी मिजोरम में भारी मानसून की बारिश ने घरों और होटलों को नष्ट कर दिया। कई परिवार बेघर हो गए, और पर्यटन उद्योग को भारी नुकसान हुआ है
मणिपुर में नदियों ने दिखाया रौद्र रूप
Monsoon havoc northeast india-2025:मणिपुर में इंफाल में इंफाल और कोंगबा नदियों ने अपने तट तोड़ दिए, जिससे भारत-म्यांमार सड़क का 3 किमी हिस्सा जलमग्न हो गया। स्कूल बंद हैं, और बचाव कार्य जारी हैं
अरुणाचल में मानसून से अलग-थलग पड़े गांव
Monsoon havoc northeast india-2025:अरुणाचल प्रदेश में पिछले साल इटानगर में बादल फटने की घटना के बाद, इस साल भी भारी बारिश ने भूस्खलन को ट्रिगर किया है। राष्ट्रीय राजमार्ग-415 अवरुद्ध है, और कई गांव अलग-थलग पड़ गए हैं।
पिछले तीन दिनों में 30 लोगों की मौत हो चुकी है, और 12,000 से ज्यादा परिवार प्रभावित हुए हैं। यह स्थिति सिर्फ प्रकृति की मार नहीं, बल्कि मानव निर्मित लापरवाही का भी नतीजा है।

पूर्वोत्तर भारत में बारिश, यूपी-हरियाणा छुट्टी मना रहा मानसून! Monsoon havoc northeast india-2025
एक तरफ जहां पूर्वोत्तर भारत बारिश-बाढ़ से जूझ रहा है, देश के कुछ हिस्सों में मानसून अभी पूरी तरह सक्रिय नहीं हुआ है:
उत्तर प्रदेश (यूपी): भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने 41 जिलों में बारिश का अलर्ट जारी किया है, जिसमें देवरिया, गोरखपुर, और लखनऊ शामिल हैं। पूर्वी यूपी में 20 जून तक मानसून के पहुंचने की संभावना है, जबकि पश्चिमी यूपी में 25-30 जून तक बारिश शुरू हो सकती है। अभी तक कोई बड़ी बाढ़ की खबर नहीं है, लेकिन प्री-मानसून बारिश से तापमान में कमी आई है।
हरियाणा: हरियाणा में अभी मानसून की कोई खास गतिविधि नहीं है। 29 जून से 2 जुलाई तक हल्की बारिश की संभावना है। राज्य में गर्मी की लहर जारी है, और तापमान ऊंचा बना हुआ है।
अन्य क्षेत्र: राजस्थान के पूर्वी जिलों में जल्द ही प्री-मानसून बारिश हो सकती है, जबकि पश्चिमी राजस्थान में गर्मी की लहर है। मध्य प्रदेश में 15-20 जून तक मानसून के प्रवेश की उम्मीद है। दिल्ली-एनसीआर में 27-29 जून के आसपास मानसून की बारिश शुरू हो सकती है।
IMD ने चेतावनी दी है कि पूर्वोत्तर में 7 जून तक भारी बारिश जारी रहेगी। असम और मेघालय में 3-4 जून को तीव्र बारिश की आशंका है। बंगाल की खाड़ी में एक निम्न दबाव का क्षेत्र बन रहा है, जो स्थिति को और गंभीर कर सकता है।

पूर्वोतर भारत में बारिश से तबाही: सरकार क्या कर रही है? Monsoon havoc northeast india-2025
सरकार ने प्रभावित क्षेत्रों में राहत और बचाव कार्य शुरू किए हैं, लेकिन ये प्रयास नाकाफी दिख रहे हैं:
Monsoon havoc northeast india-2025: सिक्किम में सरकार ने भारतीय वायुसेना से 1400 पर्यटकों को निकालने के लिए मदद मांगी है। स्थानीय प्रशासन ने राहत शिविर स्थापित किए हैं, लेकिन खराब मौसम बचाव कार्यों में बाधा डाल रहा है।
Monsoon havoc northeast india-2025: असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (ASDMA) ने 72 राहत शिविर और 64 केंद्र खोले हैं। ब्रह्मपुत्र नदी के खतरे के निशान से ऊपर बहने के कारण आपातकालीन टीमें तैनात की गई हैं।
Monsoon havoc northeast india-2025: मेघालय और मिजोरम: स्थानीय प्रशासन बेघर परिवारों को अस्थायी आश्रय और भोजन मुहैया करा रहा है। सेना और असम राइफल्स ने 500 से ज्यादा लोगों को बचाया है
Monsoon havoc northeast india-2025: गृह मंत्रालय ने असम, मिजोरम, और अन्य प्रभावित राज्यों के लिए 14 अंतर-मंत्रालयी केंद्रीय टीमें (IMCT) गठित की हैं, जो नुकसान का आकलन कर रही हैं। राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष (SDRF) के तहत राहत कार्यों के लिए फंड जारी किए गए हैं।
हालांकि, राहत कार्यों की गति और प्रभावशीलता पर सवाल उठ रहे हैं। कई क्षेत्रों में सड़कें और संचार सेवाएं बाधित होने से बचाव कार्यों में देरी हो रही है।
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हर साल तबाही, फिर भी सरकार क्यों नहीं चेत रही? Monsoon havoc northeast india-2025
हर साल मानसून के साथ बाढ़ और भूस्खलन की त्रासदी दोहराई जाती है, लेकिन सरकारें सबक लेने को तैयार नहीं। आखिर क्यों?
खराब योजना और बुनियादी ढांचा: पूर्वोत्तर के पहाड़ी इलाकों में सड़कें और भवन मानसून की मार झेलने के लिए तैयार नहीं हैं। असम में ब्रह्मपुत्र और उसकी सहायक नदियों के कटाव ने 4.27 लाख हेक्टेयर जमीन को निगल लिया, फिर भी तटबंध मजबूत करने के लिए ठोस कदम नहीं उठाए गए
जलवायु परिवर्तन की अनदेखी: जलवायु परिवर्तन ने मानसून को और अनिश्चित और तीव्र बना दिया है। बादल फटने और ग्लेशियल झीलों के फटने (GLOF) की घटनाएं बढ़ रही हैं, लेकिन इसके लिए कोई दीर्घकालिक योजना नहीं है
अपर्याप्त आपदा प्रबंधन: राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन नीति के तहत प्राथमिक जिम्मेदारी राज्य सरकारों की है, लेकिन कई बार केंद्रीय और राज्य सरकारों के बीच समन्वय की कमी देखी जाती है। राहत सामग्री और बचाव टीमें समय पर प्रभावित क्षेत्रों तक नहीं पहुंच पातीं।
विकास का गलत मॉडल: अनियोजित निर्माण, जंगलों की कटाई, और नदियों के किनारे अतिक्रमण ने बाढ़ और भूस्खलन के खतरे को बढ़ाया है। सिक्किम और मेघालय में पर्यटन स्थलों पर अनियंत्रित निर्माण इसका जीता-जागता उदाहरण है।
हर साल लाखों रुपये की संपत्ति बर्बाद होती है, और हजारों लोग बेघर हो जाते हैं। फिर भी, सरकारें सिर्फ अस्थायी राहत बांटकर अपनी जिम्मेदारी पूरी मान लेती हैं। क्या यह लापरवाही नहीं है?

पूर्वोतर भारत में बारिश से तबाही: क्या है समाधान?
इस बार-बार होने वाली त्रासदी को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है:
मजबूत बुनियादी ढांचा: बाढ़ और भूस्खलन रोधी सड़कें, तटबंध, और भवन बनाए जाएं।
जलवायु परिवर्तन पर ध्यान: ग्लेशियल झीलों और नदियों की निगरानी के लिए उन्नत तकनीक का इस्तेमाल हो।
जंगल और पर्यावरण संरक्षण: जंगलों की कटाई पर रोक और नदियों के किनारे अतिक्रमण हटाया जाए।
बेहतर आपदा प्रबंधन: स्थानीय स्तर पर आपदा प्रबंधन टीमें प्रशिक्षित की जाएं, और केंद्र-राज्य समन्वय को मजबूत किया जाए।
जागरूकता और तैयारी: स्थानीय लोगों और पर्यटकों को मानसून के खतरों के बारे में जागरूक किया जाए।
समाधान है, लेकिन इरादा कहां है?
हर साल मानसून की बारिश से होने वाली तबाही के प्रभाव को कुछ कदम उठाकर कम किया जा सकता है। लेकिन शायद सरकारें ऐसा करना जरूरी नहीं समझती है। शायद यही वजह है कि, बारिश से हर साल भारी तबाही होती है।
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