MNREGA Scam Balrampu-एक तालाब, तीन बिल, 38 लाख की चालाकी
MNREGA Scam Balrampur का पर्दाफाश तब हुआ जब सेटेलाइट इमेज़ ने साबित कर दिया कि बिशुनपुर टनटनवा ग्राम पंचायत में सिर्फ एक ही तालाब खुदा, जबकि सरकारी फाइलों में तीन दिखाकर ₹38 लाख का भुगतान कर दिया गया। ग्राम प्रधान, पंचायत सचिव, रोजगार सेवक सहित छह आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है।

संवाददाता-राहुल रत्ना
MNREGA Scam Balrampur: जब घोटालेबाज़ों ने तालाब को ‘क्लोन’ कर दिया
बलरामपुर। 19 जून 2025। बलरामपुर जिले के पचपेड़वा ब्लॉक में एक ऐसा चमत्कारी तालाब मिला है, जिसे देखकर वैज्ञानिक भी माथा पीट लें। बिशुनपुर टनटनवा ग्राम पंचायत में सिर्फ एक तालाब था, लेकिन सरकारी फाइलों में वो तीन बन गया। ऐसा नहीं है कि कोई देवता प्रकट हुए हों या कोई चमत्कार हुआ हो। असली चमत्कार तो ग्राम प्रधान और अफसरों की कलम ने किया, जिसने एक गड्ढे को ₹38 लाख का खजाना बना दिया। इस योजना को नाम दिया गया — मनरेगा। मगर असल में ये था: “मनोहर तरीके से रोज़गार का एनीमेशन”।
बरसात में हुई खुदाई और सरकारी आंखें फिर भी सूखी रहीं
जब सरकार खुद कहती है कि बरसात में खुदाई मना है, तब बलरामपुर के अधिकारी वही करते हैं जो सबसे मना हो। तालाब खुदा नहीं, घोटाले की साजिश पकी। और जैसे ही ISRO की सैटेलाइट तस्वीरें सामने आईं, सच निकल आया — तीन तालाब तो फाइल में थे, जमीन पर तो मातमी सन्नाटा था। यानी योजना पूरी, खुदाई अधूरी, लेकिन भुगतान पूरी तरह “स्वाहा”!
MNREGA Scam:नकली मजदूर, असली बिल – Welcome to Digital India
सबसे मज़ेदार पहलू ये है कि काम करने वाले मजदूरों की जो लिस्ट यानी मास्टर रोल बना, उसमें कई नाम स्वर्गीय आत्माओं के भी थे। कुछ बच्चे स्कूल में क्लास अटेंड कर रहे थे, कुछ मज़दूर घर बैठे पाव-भाजी खा रहे थे, लेकिन काग़ज़ों में सबने फावड़ा चला दिया था। अब बताइए, ऐसा डिजिटल इंडिया तो किसी देश ने न देखा न सोचा होगा। मज़दूरी के नाम पर करोड़ों का चेक क्लियर हो गया और गाँव वालों को सिर्फ दलदल और झूठ मिला।
गिरफ्तारी हुई लेकिन माफीनामा तैयार था पहले से
जब मामला तूल पकड़ा तो पुलिस ने ग्राम प्रधान अब्दुल वहाब, रोजगार सेवक जुबेर खान, दो ग्राम विकास अधिकारियों समेत कुल छह लोगों को गिरफ्तार कर लिया। मगर ये गिरफ़्तारी उतनी ही ड्रामाई है, जितनी दिल्ली में किसानों की बातचीत — पहले अंदर भेजो, फिर चाय पिलाओ, फिर “आगे की जाँच जारी है” का लेबल चिपका दो। असली सवाल ये है कि जो अधिकारी इस सबमें मौन थे, जो पेमेंट पास करते रहे, जिनकी आंखें तब मूंद गई थीं — क्या उनकी भी जवाबदेही तय होगी?
ब्रांडेड भ्रष्टाचार: योजनाएं गरीब के नाम, मलाई प्रधान के थाल में
बलरामपुर का ये मनरेगा घोटाला बताता है कि सरकारी योजनाएं अब सिर्फ पोस्टर में गरीबों के नाम होती हैं, माल असली में ग्राम देवताओं के चरणों में अर्पित किया जाता है। आज एक तालाब को तीन दिखाकर घोटाला हो गया, कल शायद एक बाथरूम को ताजमहल बताकर बजट पास करा लिया जाएगा। और जब सिस्टम में बैठे अफसर ही अंधे हों, तो अपराधी सूरमा लगाकर हीरो बन जाते हैं।
बलरामपुर का तालाब नहीं, पूरे सिस्टम की लाश बहा दी गई है
ये कोई साधारण घोटाला नहीं था। ये उस सोच की पराकाष्ठा थी जिसमें नियम, नीति, नैतिकता — सबको एक गड्ढे में दफन कर दिया गया। मनरेगा घोटाला बलरामपुर को नज़रअंदाज़ करना मतलब बाकी गांवों को भी ये इशारा देना कि अब ईमानदारी ‘रिटायर’ हो चुकी है और सरकारी योजनाओं की असली खुदाई सिर्फ फाइलों में होती है। इस तालाब में सिर्फ पानी नहीं, पूरा लोकतंत्र डूब गया है — और किनारे खड़ी सरकार कह रही है, “हम जाँच कराएंगे।”
