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Mayur Multiplex Fraud — जब पार्किंग को प्लॉट और BDA को मौन बना दिया गया!
Mayur Multiplex Fraud update
शहर का मयूर मल्टीप्लेक्स अब सिनेमा हॉल नहीं, ठगी का टॉकीज बन चुका है।
वी मार्ट के नीचे की बेसमेंट जमीन, जो पार्किंग में गाड़ी खड़ी करने के लिए थी,
उसे ‘रजिस्ट्री रेडी प्लॉट’ में बदल दिया गया और BDA सोती रही —
या कहिए कि BDA ने अपनी आंखों को ‘नो पार्किंग ज़ोन’ बना लिया!
V Mart Scam — चार ठगों की मंडली, और BDA का ‘क्लीन शेव बयान’> Mayur Multiplex Fraud
ठगी की स्क्रिप्ट लिखी गई थी:
वीरेंद्र कुमार राय, संजय गुप्ता, नितेश अग्रवाल और ठगों का बॉस नदीम खान उर्फ बिट्टू —
चारों ने गूलरनाका के निवासी मोहम्मद आरिफ को ऐसा प्लॉट बेचा जो किसी फ्लैट के नीचे की सांस की तरह दबा हुआ था।
23 लाख 80 हज़ार देकर आरिफ ने जमीन खरीदी,
रजिस्ट्री भी हुई, मुस्कान भी मिली —
लेकिन जब निर्माण शुरू हुआ,
तो BDA ने नोटिस पकड़ाया और सपने की चादर खींच ली!
BDA Response — “हमारे पास जानकारी नहीं है, और हम कुछ नहीं बताएंगे!”
जब BDA के सचिव मदन मोहन वर्मा से संपर्क किया गया,
तो उन्होंने ऐसा जवाब दिया जैसे किसी आम आदमी ने गलती से
Google Map से पूछ लिया हो कि रजिस्ट्री वैध है या नहीं!
“न मेरे पास जानकारी है,
न मैं कुछ बताऊंगा,
न ही मैं BDA का पक्ष रखूंगा।”ये जवाब नहीं था, ये एक अफसरशाही मंत्र था —
जिसे हर वो अधिकारी सुबह पूजा की थाली में दोहराता है जब उससे सवाल पूछा जाए।साहब ने जो कहा, उससे ज़्यादा वो था जो नहीं कहा गया।
ये कोई साधारण ‘ना’ नहीं थी,
ये वो ‘ना’ थी जिसमें ‘हाँ, हमें सब पता है, पर हम तुम्हारे लिए नहीं हैं’ का अहंकार छुपा था।
ये सरकारी चुप्पी नहीं थी —
ये उस सिस्टम का प्री-रिकॉर्डेड जवाब था जो हमेशा रसूख के साथ खड़ा होता है और सच के सामने माइक म्यूट कर देता है।BDA का ये रुख देख कर लगता है जैसे
“पार्किंग में जमीन बिक जाए,
तो बिके…
हम तब तक चाय पीते रहेंगे जब तक हाई कोर्ट आर्डर न भेज दे।”
Fake Registry Case — न्याय का लंबा रास्ता, और ठगों का छोटा सा गिरफ्तारी-मुक्त सफर> Mayur Multiplex Fraud
पीड़ित मोहम्मद आरिफ को पुलिस, SP, कोर्ट और अब हाई कोर्ट तक चक्कर लगाने पड़े।
और तब जाकर 26 जुलाई 2025 को इन रसूखदार रजिस्ट्रारों और रीयल एस्टेट के नटवरलालों पर मुकदमा लिखा गया।
लेकिन मुकदमे में धाराएं ऐसी लगाई गईं जैसे थाली में नमक छिड़क कर बिरयानी कह दी हो!
गंभीर धाराएं नदारद, गिरफ्तारी नदारद —
और BDA की गैरहाजिरी, सबसे ज़्यादा हाज़िर!
जब BDA सो जाए, तो ठग प्लॉट बेचते हैं — और जनता लोन भरती है!
अब सवाल सिर्फ जमीन का नहीं है,
सवाल ये है कि BDA जैसी संस्थाएं किस काम की हैं जब उनके नीचे वी मार्ट चलता है और ऊपर ठगी की मंडली।
पार्किंग की जमीन बेची गई,
BDA को पता नहीं चला,
वाह! साहब गजब है आपका काम, कहीं कुछ हो जाए आपको खबर नहीं!
BDA की चुप्पी और सिस्टम की ठगी एक ही सिक्के के दो चेहरे हैं!
BDA की चुप्पी, पुलिस की सुस्ती, और ठगों की मस्ती —
बांदा में ठगी अब केस नहीं, करियर ऑप्शन बन चुका है।
अब मोहम्मद आरिफ कोर्ट में नहीं,
पब्लिक में गूंज रहा है — “ज़मीन बिके या सरकार बिके, हम ही लुटते हैं हर बार!”
Written by khabarilal.digital Desk
🎤 संवाददाता: दीपक पांडेय
📍 लोकेशन: बांदा, यूपी
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