 
                                                      
                                                Mayor vs Commissioner
सब कुछ चलता है, पर लखनऊ में प्रोटोकॉल नहीं!
Mayor vs Commissioner 
नगर निगम लखनऊ के मुख्यालय में एक गरिमामय कार्यक्रम था—अनुकंपा पर नौकरी और सेवानिवृत्त कर्मचारियों का सम्मान समारोह। लेकिन इस गरिमा को तार-तार कर दिया गया Protocol Breach ने, जब नगर निगम की ‘मुखिया’ मेयर सुषमा खर्कवाल को इस ‘सरकारी’ आयोजन में बुलाना ही जरूरी नहीं समझा गया।
मेयर को कानों-कान खबर हुई, और फिर जो हुआ वो लखनऊ की फिजाओं में ‘प्रोटोकॉल का झटका’ बन गया। बिना बुलाए मेयर कार्यक्रम में पहुंचीं तो वहां न नगर आयुक्त गौरव कुमार IAS थे, न ही अपर नगर आयुक्त नम्रता सिंह। अफसरों की यह ‘अदृश्य उपस्थिति’ खुद बोल रही थी कि उन्हें न कार्यक्रम की फिक्र है, न पद की मर्यादा की।
गायब थे बड़े अफसर, गुस्से से तपती रहीं मेयर। Mayor vs Commissioner
Lucknow Municipal Corporation के इस आयोजन में मेयर को देख सभी कर्मचारी हैरान रह गए, लेकिन मेयर की नजर अफसरों की खाली कुर्सियों पर अटक गई। कार्यक्रम ‘अफसर विहीन’ था, और शायद ‘सम्मान विहीन’ भी।
गौरव कुमार IAS कहां थे? अपर नगर आयुक्त नम्रता सिंह क्यों गायब थीं? पूछने पर जवाब मिला—वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में व्यस्त हैं। क्या Lucknow Municipal Corporation में कर्मचारियों के सम्मान से बड़ा कोई मीटिंग हो सकता है? मेयर ने तत्काल नगर स्वास्थ्य अधिकारी को नम्रता सिंह को बुलाने का आदेश दिया। आधे घंटे में नम्रता जी पहुंच गईं, लेकिन तब तक मेयर का गुस्सा उबाल मार चुका था।
‘प्रोटोकॉल क्लास’ लेने की सलाह, अफसरों को ठोंका पत्र
Mayor Sushma Kharkwal ने उसी वक्त नगर आयुक्त को पत्र लिखा और तीन दिन में जवाब मांगा। पत्र में व्यंग्य का नमक और नाराजगी की मिर्च भरपूर थी—“क्या मुझे औपचारिक रूप से बुलाना जरूरी नहीं था? अगर मीटिंग इतनी ही ज़रूरी थी, तो कार्यक्रम की तारीख बदली जा सकती थी।”
उन्होंने यह भी पूछा—”क्या विभागीय मुखिया के तौर पर आपकी अनुपस्थिति संवेदनशीलता की कमी नहीं है?” मेयर ने न सिर्फ जवाब मांगा, बल्कि यह भी लिखा कि अफसरों को प्रोटोकॉल की ट्रेनिंग दिलवाना जरूरी हो गया है।
“काम में रुचि कम, कुर्सियों में ज्यादा!”Mayor vs Commissioner
पत्र में Administrative Lapse की पूरी लिस्ट थी—”नव नियुक्त सहायक नगर आयुक्तों के पास अभी तक न तो कमरे हैं, न ही सहायक!” काम के बंटवारे तक की सुध नहीं ली गई। मेयर ने दो टूक कहा—”ऐसा लगता है कि आप नगर के कार्यों में रुचि नहीं रखते।”
कार्यक्रम में न बुलाना, खुद गैरहाजिर रहना, कामकाज में लापरवाही—ये सब सिर्फ Administrative Lapse नहीं बल्कि लोकतांत्रिक मर्यादाओं की धज्जियाँ हैं।
प्रशासनिक बेशर्मी या सत्ता की छीना-झपटी? Mayor vs Commissioner
यह Invitation Controversy एक मिसाल बन सकती है कि लखनऊ में लोकतंत्र कैसे ‘सरकारी अहंकार’ की शिकार हो रहा है। क्या एक निर्वाचित मेयर को सिर्फ इसलिए दरकिनार किया गया क्योंकि उसे चुनकर जनता लाई थी, और आप सिर्फ नियुक्त होकर आए हैं?
अब देखना ये है कि नगर आयुक्त जवाब देते हैं या इस ‘प्रोटोकॉल युद्ध’ को भी फाइलों की धूल में दफना देते हैं।
Written by khabarilal.digital Desk
#Mayor #ProtocolBreach #LucknowNews #GauravKumarIAS #NamrataSingh #MunicipalPolitics #NagarNigamDrama #SushmaKharkwal #AdministrativeLapse #InvitationControversy

 
         
         
         
        