 
                  Mau Political Controversy: मंच पर बद्रीनाथ-अलका, मऊ में तहलका!
मऊ जिले की मधुबन तहसील में एक तथाकथित “सम्मान समारोह” ने न सिर्फ स्थानीय प्रशासन की नींद उड़ाई, बल्कि समाजसेवा के नाम पर मंचबाज़ी और सियासी खेल का नया रंगमंच सजा दिया। इस आयोजन ने बद्रीनाथ की “समाजसेवा” पर सवाल उठाए तो वहीं गैंगस्टर प्रकरण में घिरी अलका राय की मंच पर मौजूदगी ने विवाद को और हवा दी। सिलसिलेवार तरीके से जानिए हुआ क्या
Mau Political Controversy: बिना परमिशन का तमाशा, लाइव विभाग की चुप्पी!
मधुबन के आशीर्वाद पैलेस और होटल में “विधवा माता-भाभियों का सम्मान समारोह” नाम से आयोजित इस कार्यक्रम को बद्रीनाथ ने अपने खर्च पर करवाया। लेकिन चौंकाने वाली बात? लाइव विभाग से इसकी कोई अनुमति ही नहीं ली गई! नियम-कायदों को ताक पर रखकर मंच सजाया गया, कैमरे चमके, और सोशल मीडिया पर तस्वीरें वायरल हो गईं। अब सवाल यह है—जब आम आदमी बिना परमिशन सड़क पर स्टॉल भी लगाए तो कार्रवाई होती है, तो बद्रीनाथ को ये छूट कैसे? लाइव विभाग की खामोशी और प्रशासन का “हाथ-पर-हाथ” धरे रहना क्या कोई सियासी साठगांठ की ओर इशारा करता है?
Mau Political Controversy: बद्रीनाथ की समाजसेवा या सियासी दांवपेंच?
 खुद को समाजसेवी कहने वाले बद्रीनाथ ने इस आयोजन को “आत्मसम्मान का पर्व” करार दिया। खास वर्ग की महिलाओं को शॉल और स्मृति चिन्ह देकर उनकी तारीफों के पुल बांधे गए। लेकिन जानकार इसे महज इमेज बिल्डिंग का हथकंडा बता रहे हैं। कैमरों की चकाचौंध, सोशल मीडिया पर हल्ला, और मंच पर चमक-धमक—ये सब क्या सिर्फ समाजसेवा था या सियासी पारी की तैयारी? स्थानीय लोग तो इसे “वोट बैंक की जुगाड़” बता रहे हैं। अब बद्रीनाथ जी, समाजसेवा है या मंचबाज़ी का नया नाटक?
Mau Political Controversy: अलका राय की एंट्री से विवाद ने पकड़ा तूल
 इस आयोजन का असली मसाला तब बना, जब मंच पर संजीवनी हॉस्पिटल, मऊ की अलका राय नजर आईं। जी हां, वही अलका राय – जिनका नाम मुख्तार अंसारी के एम्बुलेंस कनेक्शन और गैंगस्टर प्रकरण में उछला था। अब सवाल उठता है—क्या समाजसेवा के मंच पर आपराधिक छवि से जुड़े चेहरों का स्वागत होने लगा है? अलका राय की “संजीवनी से घोशी मंच” तक की जर्नी अब चर्चा का केंद्र बन गई है। क्या ये मंच अब साफ-सुथरी छवि की जगह सियासी समीकरणों का अड्डा बन रहा है?
Mau Political Controversy: प्रशासन की नींद, जनता के सवाल
इस पूरे तमाशे में लाइव विभाग की चुप्पी और प्रशासन का ढीला रवैया सबसे बड़ा सवाल बन गया है। न अनुमति, न निगरानी, और न ही कोई कार्रवाई—ये सब क्या मिलीभगत की ओर इशारा करता है? आम जनता अब पूछ रही है—नियम सबके लिए बराबर हैं, तो बद्रीनाथ और उनकी टीम को ये खुली छूट क्यों? क्या मऊ में अब बिना परमिशन मंच सजाना और प्रशासन को ठेंगा दिखाना नया फैशन बन गया है?
Mau Political Controversy: ‘समाजसेवा’ के पीछे क्या है असली खेल?
यह “सम्मान समारोह” समाजसेवा का प्रतीक था या सियासी मंच की रिहर्सल? बद्रीनाथ की समाजसेवा और अलका राय की मौजूदगी ने इस आयोजन को विवादों के घेरे में ला खड़ा किया है। मऊ की जनता अब जवाब मांग रही है—क्या ये सब सिर्फ दिखावा है या इसके पीछे कोई बड़ा सियासी दांव छिपा है? फिलहाल, मंच सज गया, विवाद शुरू हो गया, और प्रशासन की खामोशी ने इस आग में घी डालने का काम किया है। अब देखना ये है कि इस ड्रामे का अगला सीन क्या होगा!

 
         
         
         
        