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Mau Nagar Palika Child Labour की शर्मनाक तस्वीर सबके सामने है — जहां स्कूल की घंटी सुनने वाले बच्चों के हाथों में किताब नहीं, डंपिंग यार्ड का कूड़ा है। सवाल यही है कि Mau Nagar Palika Child Labour की इस हकीकत पर कौन आंख खोलेगा — सिस्टम, सरकार या सिर्फ सोशल मीडिया?
Mau Nagar Palika Child Labour: डंपिंग यार्ड में दब गया बचपन, किताबों के बजाय कूड़ा क्यों?
बचपन की मिट्टी में कूड़ा क्यों?
कभी उन नन्हीं आंखों में झांका है जो स्कूल की तरफ देखती भी हैं, लेकिन पहुंच नहीं पातीं?
कभी उन छोटे हाथों को गौर से देखा है, जो कॉपी-किताब के बजाय गीले-सूखे कचरे में गुम हो जाते हैं?
मऊ नगर पालिका के डंपिंग यार्ड में हर दिन सैकड़ों सपने सड़ते हैं — मासूम बच्चे कूड़ा बीनते हैं, ताकि पेट भरे, कोई सपना नहीं।
Mau Nagar Palika Child Labour: जिन हाथों में कलम होनी थी, उनमें अब कचरा क्यों?
ये वही बच्चे हैं जो सुबह स्कूल की घंटी सुनने के हकदार हैं, जिनके लिए मिड-डे मील की थाली बजनी चाहिए थी।
लेकिन हकीकत यह है कि वो डंपिंग यार्ड में प्लास्टिक और कबाड़ बीनते हैं।
कभी पन्नी, कभी बोतल — वो भीड़ में खो जाता है उनका बचपन, वो उम्मीद जो कभी घर के आंगन में खेली थी।
क्या यही है नए भारत का बचपन?
ये बच्चे नहीं जानते कि बाल श्रम कानून क्या होता है।
उन्हें तो बस इतना पता है कि घर में चूल्हा तभी जलेगा जब डंपिंग यार्ड से कुछ बिकाऊ कबाड़ मिलेगा।
ये तस्वीरें वायरल हो चुकी हैं —लेकिन नगर निगम जिसके डंपिंग यार्ड की ये तस्वीर हैं, वो मौन साधे बैठा है, जैसे उसे कोई फर्क ही नहीं पड़ा रहा हो। अब सवाल है कि क्या ये बचपन कभी किताब देख पाएगा? क्या इन्हें भी हक है पढ़ाई का या इनका नसीब बस कूड़े तक सीमित रहेगा?
Mau Nagar Palika Child Labour: सवाल सिस्टम से
योगी सरकार करोड़ों खर्च कर रही है बच्चों के बेहतर भविष्य के नाम पर।
जनप्रतिनिधि मंच से कहते हैं कि बच्चों के हाथों में किताब होगी, खिलौने होंगे।
लेकिन जरा मऊ नगर पालिका के डंपिंग यार्ड में जाकर देखिए —
यहां किताब नहीं, केवल कूड़ा है।
यहां स्कूल की घंटी नहीं, सिर्फ रद्दी चुनने की आवाज है।
क्या यही है वो सुनहरा बचपन, जिसकी गारंटी दी गई थी?
नगर पालिका को अपनी आंखें खोलनी होंगी
जिस जगह बच्चों के हाथों में किताबें होनी थीं, वहां वो कूड़ा बीन रहे हैं।
डंपिंग यार्ड नगर पालिका की जिम्मेदारी है — क्या उसे नहीं दिखता कि उसका कचरा इन नन्हीं जानों की जिंदगी लील रहा है?
क्या नगर निगम की जिम्मेदारी सिर्फ कूड़ा फेंकना है, या बच्चों को स्कूल पहुंचाना भी है? EO दिनेश कुमार, राजीव शुक्ला और अरशद जमाल — क्या आपको इन बच्चों के सपनों का बोझ भी उतना ही भारी लगता है जितना डंपिंग यार्ड का कूड़ा?
कभी बैठकर सोचना पड़ेगा कि अगर यही हाल रहा, तो अगली पीढ़ी कूड़े से निकलकर कहां जाएगी?
Mau Nagar Palika Child Labour: अब कार्रवाई कौन करेगा?
ये सवाल जनता का है — सिस्टम से, सरकार से, नगर पालिका से।
बचपन कूड़े में क्यों है? किताबों में क्यों नहीं?
जो बच्चे आज डंपिंग यार्ड में हैं, कल उनका क्या होगा?
क्या कोई जिम्मेदार खड़ा होगा, या वीडियो वायरल होकर फिर से भूल जाएंगे सब?
Mau Nagar Palika Child Labour की ये तस्वीर आने वाली पीढ़ियों के लिए जवाब मांग रही है — क्या जवाब तैयार है?
Written by khabarilal.digital Desk
🎤 संवाददाता: प्रदीप दुबे
📍 लोकेशन: मऊ, यूपी
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