Mathura News: बरसाना और नंदगांव में कॉरिडोर, न्यास का जोरदार विरोध
Mathura News: मथुरा, वृंदावन, बरसाना और नंदगांव जैसे पवित्र स्थानों की बात ही अलग है. ये वो जगहें हैं, जहां भगवान श्रीकृष्ण और राधारानी की लीलाएं आज भी हर गली-कूचे में जीवंत हैं. लेकिन इन दिनों इन पवित्र स्थानों में एक अलग ही हलचल मची है. श्री बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर और न्यास के प्रस्ताव के खिलाफ विरोध की आग अब बरसाना और नंदगांव तक पहुंच चुकी है. यहां के गोस्वामी और पंडा समाज ने सरकार के इस फैसले की कड़ी निंदा की है और इसे हिंदू संस्कृति और सनातन परंपराओं पर हमला बताया है.
‘खतरे में ब्रज की परंपरा’
बरसाना और नंदगांव के लोगों का कहना है कि सरकार का ये कदम ब्रज की संस्कृति और परंपराओं को नष्ट करने वाला है. गोस्वामी समाज ने साफ शब्दों में कहा, “हमने सरकार से ऐसी उम्मीद नहीं की थी कि वो हमारे मंदिरों और उनकी संपत्तियों पर कब्जा करने की कोशिश करेगी.” लोगों का गुस्सा इस बात को लेकर है कि कॉरिडोर और न्यास के नाम पर मंदिरों की जमीन और परंपराओं को खत्म करने की साजिश रची जा रही है. उन्होंने चेतावनी दी कि अगर सरकार ने ये फैसला वापस नहीं लिया, तो इसका खामियाजा उसे भुगतना पड़ेगा.
“राधारानी रक्षा करो”
वृंदावन से बरसाना और नंदगांव पहुंचे लोगों ने “राधारानी रक्षा करो” और “नंदलाला रक्षा करो” जैसे नारे लगाकर अपनी आवाज बुलंद की. उन्होंने भगवान से प्रार्थना की कि सरकार को सद्बुद्धि दे, ताकि वो इस गलत फैसले को वापस ले. बरसाना और नंदगांव के गोस्वामियों ने भी पूरा समर्थन जताया और कहा कि वे तन, मन, धन से वृंदावन और बांके बिहारी मंदिर के साथ खड़े हैं.
पुलिस ने सख्ती दिखाई
नंदगांव में विरोध प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने सख्ती दिखाई. वृंदावन से आए महिला-पुरुष प्रदर्शनकारियों को मंदिर के द्वार पर ही रोक दिया गया. पुलिस का कहना था कि उस दिन वहां किसी मंत्री का कार्यक्रम था, इसलिए प्रदर्शनकारियों को ऊपर जाने की इजाजत नहीं दी जा सकती. काफी समझाने-बुझाने के बाद प्रशासन ने सिर्फ दस मिनट का समय दिया, जिसमें प्रदर्शनकारी मंदिर में दर्शन कर सके. इस दौरान भारी पुलिस बल तैनात रहा और प्रदर्शनकारियों पर कड़ी नजर रखी गई. जब तक वृंदावन के लोग वापस नहीं लौटे, तब तक प्रशासन के हाथ-पांव फूले रहे. बाद में मंत्री का काफिला बरसाना से नंदगांव की ओर रवाना हुआ.
‘परंपराओं से छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं’
विरोध करने वालों में रामभरोसी गोस्वामी, माधव गोस्वामी, हरिओम गोस्वामी, विष्णु गोस्वामी, ताराचंद गोस्वामी, सुरेश शर्मा, गौरव गोस्वामी, सुशील गोस्वामी, बब्बू पंडा, श्याम गोस्वामी, अमित पाराशर जैसे कई लोग शामिल थे. इन सभी ने एकजुट होकर सरकार को चेतावनी दी कि ब्रज की संस्कृति और मंदिरों की परंपराओं से छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं की जाएगी.
‘ब्रज की आत्मा को बचाने की लड़ाई’
ये विरोध न सिर्फ एक कॉरिडोर या न्यास के खिलाफ है, बल्कि ये ब्रज की आत्मा को बचाने की लड़ाई है. लोग मानते हैं कि अगर सरकार ने अपनी जिद नहीं छोड़ी, तो ये आंदोलन और तेज होगा. ब्रजवासियों का कहना है कि वे अपनी संस्कृति और आस्था की रक्षा के लिए हर हद तक जाएंगे.
