15 जून, 2025 को मथुरा के गोविंद नगर में Building Collapse ने एक खुशहाल मोहल्ले को मातम में डुबो दिया। JCB से अवैध खुदाई के कारण मिट्टी का टीला धंस गया, और 6 मकान मलबे में तब्दील हो गए। तोताराम (38) और दो मासूम बहनें यशोदा (6) व काव्या (3) की मौत हो गई।
15 जून, 2025 की दोपहर, मथुरा का गोविंद नगर इलाका। बच्चे खेल रहे थे, महिलाएं घर के काम निपटा रही थीं, और पुरुष रोज़मर्रा की भागदौड़ में व्यस्त थे। तभी, करीब 12 बजे, एक भयानक गड़गड़ाहट ने सबको चौंका दिया। मिट्टी के टीले पर बने 6 मकान एक के बाद एक ढह गए। इस हादसे ने पलभर में खुशियां छीन लीं। तोताराम उम्र 38 साल, यशोदा उम्र 6 साल, और काव्या उम्र 3 साल की मौत हो गई। चश्मदीदों ने बताया, “ऐसा लगा जैसे जलजला आ गया हो। किसी को कुछ समझने का मौका तक नहीं मिला।”अब लोग सिर्फ़ धूल और दर्द की कहानी बयां कर रहे हैं।
Mathura Building Collapse में रेस्क्यू का जंग-सा माहौल
हादसे की सूचना मिलते ही मथुरा पुलिस, नगर निगम, दमकल विभाग, और प्रशासन की टीमें मौके पर पहुंचीं। NDRF और SDRF की टीमें भी रेस्क्यू में जुट गईं। स्निफर डॉग स्क्वॉड को बुलाया गया, ताकि मलबे में दबे लोगों का पता लगाया जा सके। 6 घंटे से अधिक समय तक चले अभियान में 4 से ज्यादा लोगों को ज़िंदा निकाला गया।
Mathura Building Collapse में बिखरा एक परिवार का सपना
तोताराम के पिता बजरंग लाल सैनी की आंखों में आंसू और गुस्सा था। उन्होंने कहा, “मेरा बेटा मलबे में दब गया। डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। मेरी दो बेटियां अभी भी दबी हैं। मेरा सब कुछ खत्म हो गया।” तोताराम के भाई ने बताया कि मलबे में छोटे बच्चे और महिलाएं भी फंसे थे।
Mathura Building Collapse
यशोदा और काव्या की मां की चीखें अस्पताल के गलियारों में गूंज रही थीं। उनके भाई नीरज शर्मा ने रोते हुए कहा, “कोई नोटिस नहीं दिया गया। सुनील चेन ने अपनी जेब भरने के लिए अवैध खुदाई करवाई। मासूमों की जान चली गई। कौन लाएगा उन्हें वापस?” सुनील चेन, जिसने कथित तौर पर यह खुदाई करवाई, अब फरार है।
Mathura Building Collapse
पूर्व ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने इसे “माफिया का खेल” करार दिया। उन्होंने कहा, “मैं मुख्यमंत्री से उच्च स्तरीय जांच की मांग करूंगा। दोषियों को ऐसी सजा मिले कि कोई दोबारा ऐसा न करे।”
Mathura Building Collapse के कारण और लापरवाही का सच
Mathura Building Collapse के पीछे कई कारण उभरकर आए:
अवैध खुदाई: सुनील चेन ने बिना अनुमति JCB से मिट्टी खोदी, जिससे टीला अस्थिर हो गया।
कच्चे निर्माण: मकान मिट्टी के टीले पर बने थे, जिनमें मजबूत नींव नहीं थी।
प्रशासन की चुप्पी: नीरज शर्मा के अनुसार, कोई नोटिस या चेतावनी नहीं दी गई।
माफिया का बोलबाला: स्थानीय लोगों ने “भूमाफिया” की संलिप्तता की ओर इशारा किया।
मथुरा के डीएम ने मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दिए हैं। जांच में अवैध निर्माण और खुदाई की अनुमति की सच्चाई सामने आएगी।
Mathura Building Collapse से बिखरे सपनों की चीखें
यशोदा और काव्या की मासूम हंसी अब सिर्फ़ यादों में बची है। उनकी मां का रोना हर उस परिवार की पीड़ा को बयां करता है, जो लापरवाही की भेंट चढ़ गया। बजरंग लाल सैनी का गम हर उस पिता का दर्द है, जिसने अपने बेटे को खोया। ये सिर्फ़ एक हादसा नहीं, बल्कि एक सबक है। यह हमें पूछने पर मजबूर करता है: क्या मासूमों की जान की कीमत सिर्फ़ एक जांच तक सीमित रह जाएगी?
Mathura Building Collapse
मथुरा के इस हादसे ने एक बार फिर सवाल उठाया है कि आखिर कब तक लापरवाही और भ्रष्टाचार की सजा निर्दोषों को भुगतनी पड़ेगी? क्या हमारी व्यवस्था इतनी कमज़ोर है कि एक JCB की गड़गड़ाहट मासूमों की ज़िंदगी छीन ले?