 
                  मथुरा-वृंदावन: बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर और अध्यादेश के खिलाफ 64वें दिन भी विरोध, गोस्वामी और व्यापारी महिलाओं ने किया प्रदर्शन
संवाददाता – अमित शर्मा, मथुरा
Mathura : वृंदावन के प्रसिद्ध Banke Bihari Temple Corridor और सरकार द्वारा लाए गए अध्यादेश के खिलाफ गोस्वामी समाज और स्थानीय व्यापारियों का विरोध 64वें दिन भी अनवरत जारी रहा… शुक्रवार को बांके बिहारी मंदिर के गेट नंबर 1 पर गोस्वामी समाज और व्यापारी समाज की महिलाओं ने केलिमाल के पद का पाठ किया और सरकार के “तुगलकी फरमान” के खिलाफ अपना रोष व्यक्त किया.
महिलाओं का आक्रोश और मांगें

- नीलम गोस्वामी ने कहा, “सरकार अपनी हठधर्मिता पर अड़ी है और जबरन इस फरमान को हम पर थोपना चाहती है. हम इसे कभी बर्दाश्त नहीं करेंगे. हम शांतिपूर्ण तरीके से विरोध कर रहे हैं, लेकिन सरकार इसे उग्र करना चाहती है. जरूरत पड़ी तो हमारा प्रदर्शन उग्र होगा और तब तक जारी रहेगा जब तक हमारी मांगें पूरी नहीं होतीं”.
- श्यामा गोस्वामी ने बताया, “हमें विरोध करते हुए 64 दिन हो गए, लेकिन न कोई अधिकारी हमसे मिला, न सरकार ने हमारी सुध ली. हमारा विरोध तब तक नहीं रुकेगा, जब तक कुंज गलियों को उजाड़ने वाला यह फरमान वापस नहीं लिया जाता. हम अपने प्राण ठाकुर जी के समक्ष त्याग देंगे, लेकिन बांके बिहारी से दूर नहीं जाएंगे”.
- शिवानी गोस्वामी ने कहा, “सरकार जबरन इस राक्षस रूपी कॉरिडोर और अध्यादेश को हम पर थोप रही है. हम इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे, चाहे हमें अपने प्राण ही क्यों न त्यागने पड़ें”.
स्थानीय व्यापारियों और ब्रजवासियों का दर्द

स्थानीय लोगों ने सरकार और ब्रज तीर्थ विकास परिषद पर गंभीर आरोप लगाए… उनका कहना है कि हमें अपने ठाकुर Banke Bihari पर पूरा विश्वास है, वे हमारे साथ अन्याय नहीं होने देंगे. ब्रज तीर्थ विकास परिषद विकास के लिए नहीं, विनाश के लिए बनी है, जो ब्रज की कुंज गलियों को उजाड़ने का काम कर रही है. अगर विकास करना ही है, तो ब्रज की मूल समस्याओं जैसे तंग गलियों, भीड़ प्रबंधन और बुनियादी सुविधाओं पर ध्यान दो. ब्रज के सांस्कृतिक स्वरूप को बिगाड़ने की बजाय उसका संरक्षण करो. एक स्थानीय ने सवाल उठाया, “ब्रज तीर्थ विकास परिषद में एक भी ब्रजवासी अधिकारी क्यों नहीं है? जब तक इसमें ब्रजवासी नहीं होंगे, ब्रज का दर्द उन्हें कैसे समझ आएगा? इसका नाम ब्रज तीर्थ विकास परिषद नहीं, ब्रज विनाश परिषद होना चाहिए”.
कॉरिडोर और अध्यादेश का विवाद
- कॉरिडोर प्रोजेक्ट – उत्तर प्रदेश सरकार का ₹500-1000 करोड़ का बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर प्रोजेक्ट 5 एकड़ जमीन पर प्रस्तावित है, जो मंदिर को यमुना नदी और अन्य धार्मिक स्थलों से जोड़ेगा. सरकार का दावा है कि यह भीड़ प्रबंधन और श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए जरूरी है, खासकर 2022 की जन्माष्टमी के दौरान हुई भगदड़ के बाद.
- अध्यादेश – 26 मई 2025 को सरकार ने श्री बांके बिहारी जी मंदिर न्यास अध्यादेश लागू किया, जिसके तहत 18 सदस्यीय ट्रस्ट बनाया गया. इसमें केवल 2 गोस्वामी प्रतिनिधि हैं, जिसे गोस्वामी समाज मंदिर पर सरकारी नियंत्रण की कोशिश मानता है.
- विरोध के कारण – गोस्वामी समाज और स्थानीय व्यापारी डरते हैं कि कॉरिडोर से उनकी पीढ़ियों पुरानी आजीविका और मंदिर की पारंपरिक व्यवस्था खतरे में पड़ जाएगी. वे कुंज गलियों की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत को नष्ट होने से बचाना चाहते हैं.

 
         
         
        